Search

Loading

Thursday, January 24, 2013

भारतीय प्रजातंत्र एवं नेताजी सुभाष चन्द्र बोस


नेताजी सुभाष चन्द्र बोस का कल जन्म दिवस था। उनके वारे में कल रात सोच रहा था। उनके अद्भुत त्याग एवं वलिदान की गाथा स्मृति पटल पर उभर रही थी। साथ ही सोच रहा था 26 जनवरी प्रजातंत्र दिवस के सम्वन्ध में।

कल नेताजी सुभाष चन्द्र बोस की 116 वीं जन्म जयंती थी। उनके रहस्यमय मृत्यु (1945) के 5 वर्ष बाद से भरतर में 26 जनवरी प्रजातंत्र दिवस के रूप में मनाया जाने लगा। लेकिन भारत में प्रजातंत्र की हत्या बहुत पहले ही हो चुकी थी और ये वाकया भारत के दो महँ सपूतों के साथ जुडी हुई है।

नेताजी सुभाष चन्द्र बोस त्रिपुरी कांग्रेस में भारी बहुमत से कांग्रेस के अध्यक्ष चुने गए। पट्टाभि सीतारमैया की पराजय हुई।  लगभग 40 वर्ष की उम्र में ही वे भारत के सर्वाधिक लोकप्रिय नेता बन चुके थे। अंग्रेज सरकार उनसे डरती थी और भारतीय जनता उन्हें प्यार करती थी। उनके जीत के बाद महात्मा गाँधी ने एक वयां दिया की पट्टाभि सीतारमैया की पराजय मेरी पराजय है। सुभाष जो की गाँधी जी का बहुत आदर करते थे उन्होंने तत्काल कांग्रेस अध्यक्ष के शक्तिशाली एवं गौरवपूर्ण पद से इस्तीफा दे दिया। गांधीजी ने भी ऐसा करने से उन्हें रोक नहीं। इस तरह एक युग का पटाक्षेप हो गया और हो गई भारतीय प्रजातंत्र की हत्या।

अब जरा देखें मोहनदास करमचंद गाँधी अर्थात महात्मा गाँधी के वारे में नेताजी के विचार:
महात्मा गाँधी को "राष्ट्रपिता" की उपाधि सुभाष बोस ने ही दी। ऐसी अपमानजनक घटना के बाद भी आज़ाद हिन्द फौज के एक ब्रिगेड का नाम गाँधी ब्रिगेड रखा गया। ये थी नेताजी की महानता।

पर विचारणीय विन्दु तो भारत का प्रजातंत्र है। उसकी हत्या तो हो चुकी थी। भारत को संविधानिक रूप से प्रजातंत्र बने 63 वर्ष हो गए परन्तु अभी तक वास्तविक प्रजातंत्र नहीं है। अभी भी एक परिवार की मर्जी सभी मतों से ऊपर मानी जाती है।  उस परिवार के एक व्यक्ति को देश में युवराज के रूप में जाना जाता है। वरिष्ठ से वरिष्ठ कांग्रेसी भी उसके आगे हाथ जोड़ कर खड़े रहने में फख्र महसूस करता है।  अभी अभी उनकी युवराज के रूप में ताजपोशी भी हो चुकी है। ऐसा लगता है जैसे देश के प्रधान मंत्री भी उनके आगे नतमस्तक रहते हैं।

क्या अब भी बदलाव नहीं आएगा? क्या देश इस वारे में नहीं सोचेगा? क्या युवा पीढ़ी जागरूक नहीं होगी? क्या एक परिवार का एकाधिपत्य बना ही रहेगा?

क्या भारत में सचमुच का प्रजातंत्र आयेगा? क्या नेताजी का सपना साकार होगा? परसों प्रजातंत्र दिवस है और हमें इस और सोचना ही होगा।


आम जनता और सरकारी तंत्र: नेता, अधिकारी और कर्मचारी





Thanks,
Jyoti Kothari (Jyoti Kothari, Proprietor, Vardhaman Gems, Jaipur represents Centuries Old Tradition of Excellence in Gems and Jewelry. He is adviser, Vardhaman Infotech, a leading IT company in Jaipur. He is also ISO 9000 professional)



allvoices

No comments: