इस वर्ष श्री जैन श्वेताम्बर खरतर गच्छ संघ, जयपुर चातुर्मास में 8 जुलाई से 5 अगस्त तक पञ्च परमेष्ठी आराधना एवं व्याख्यानमाला का कार्यक्रम आयोजित कर रहा है। यह कार्यक्रम विशिष्ट श्रेणी का है एवं इस तरह का आयोजन जयपुर शहर में पहली वार हो रहा है।
जैन धर्म में पञ्च परमेष्ठी तत्व का अत्यंत महत्व है। जैनों के सर्व श्रेष्ठ मंत्र नवकार में इन्ही पञ्च परमेष्ठी को नमस्कार किया गया है। इनमे से प्रथम दो परमेष्ठी अरिहंत एवं सिद्ध परमात्मा को देव तत्व एवं पीछे के तीन आचार्य, उपाध्याय एवं साधू को गुरु तत्व माना गया है। परमेष्ठी तत्व से ही हमें धर्म की प्राप्ति होती है अतः ये धर्म के आधार माने जाते हैं।
अत्यंत हर्ष का विषय है की हमारे प्रवल पुण्योदय से श्री जैन श्वेताम्बर खरतर गच्छ संघ, जयपुर में इस वर्ष चतुर्विध संघ के साथ चातुर्मास करने का सुअवसर उपस्थित हुआ है।
आगामी 3 जुलाई से चातुर्मास प्रारंभ हो रहा है एवं परम पूज्य स्वर्गीय श्री राजेंद्र मुनि जी के सुशिष्य परम पूज्य श्री विनय मुनि जी महारज साहब आदि ठाना 3 एवं परम पूज्य प्रवर्तिनी स्वर्गीय श्री विचक्षण श्री जी महाराज साहब की सुशिष्या परम पूज्या श्री सुयशा श्री जी महाराज आदि ठाना 2 का चातुर्मास खरतर गच्छ संघ, जयपुर में हो रहा है।
विनय मुनि एवं सुयशा श्री जी का चातुर्मास प्रवेश जुलुश मुल्तान मंदिर से शिवजी राम भवन
आप सभी के सान्निध्य में ये सम्पूर्ण कार्यक्रम होगा। जयपुर में विराजीत अन्य साधू साध्वी भगवन्तो को भी आमंत्रित किया जायेगा।
चातुर्मास प्रारंभ के बाद पहले रविवार 8 जुलाई से ही पञ्च परमेष्ठी आराधना एवं व्याख्यानमाला का कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा है। उस दिन प्रो. कुसुम जैन अरिहंत पद पर अपना व्याख्यान देंगी. 15 जुलाई को प्रो. जे. बी. शाह, निदेशक, एल. डी. इंस्टिट्यूट, अहमदाबाद का सिद्ध पद पर व्याख्यान होगा. 22 जुलाई को प्रसिद्द जैन मनीषी प्रो. सागरमल जैन आचार्य पद पर अपना उद्वोधन देंगे। 29 जुलाई को इस युग के महापुरुष नवकार मंत्र के परम आराधक पन्यास श्री भद्रंकर विजय जी महाराज के श्रावक शिष्य श्री शशिकांत मेहता उपाध्याय पद का महत्व समझाते हुए नवकार मन्त्र के ध्यान की प्रक्रिया बताएँगे। कर्यक्रम के अंतिम दिन 5 अगस्त को जोधपुर विश्वविद्यालय के प्रो. धरमचंद जैन साधू पद पर प्रवचन देंगे।
इन सभी कार्यक्रमों में भारत के विभिन्न स्थानों से समाज के गणमान्य व्यक्ति भी विशेष अतिथि के रूप में आमंत्रित किये गए हैं।
व्याख्यान माला के साथ ही इन पांच दिनों में विशेष प्रकार की पूजाएँ/ महापूजन आदि रखी गई है जिससे परमेष्ठी तत्व की भक्ति की जा सके। इन दिनों में विशेष प्रकार के जप अनुष्ठान,एवं तपस्या का भी कार्यक्रम रखा जाएग। साधर्मी वात्सल्य भी आयोजित होंगे. आप सभी इस कार्यक्रम में सादर आमंत्रित हैं।
जयपुर के जैन समाज की प्रेरणाष्पद गतिविधियां
Thanks,
Jyoti Kothari
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