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Tuesday, August 6, 2019

भारत का अपना गूगल, फेसबुक, यूट्यूब, और व्हाट्सएप्प


भारत का अपना गूगल, फेसबुक, यूट्यूब, और व्हाट्सएप्प बने तो ही भारत वैश्विक अर्थव्यवस्था में बड़ा खिलाडी बन सकता है.

गूगल सर्च इंजन
गूगल 

मोदी २.० ने भारत की अर्थव्यवस्था का आकार ५ वर्ष में ५० ख़राब या ५ ट्रिलियन डॉलर पर ले जाने का लक्ष्य रखा है जिससे भारत विश्व की तीसरी या चौथी बड़ी अर्थव्यवस्था बन सके. परन्तु इस लक्ष्य को पाने के लिए गूगल, फेसबुक, एप्पल, ट्वीटर, लिंकडइन जैसी विश्व स्तर की इंटरनेट कम्पनियाँ बनाना बेहद आवश्यक है. हम जान ते हैं की गूगल दुनिया का सबसे बड़ा सर्च इंजन है परन्तु चीन ने अपना सर्च इंजन बनाया है और चीन का काम गूगल के बगैर भी चल रहा है.

सोशल मीडिया नेटवर्क
सोशल मीडिया नेटवर्क 
गूगल ने यूट्यूब को भी खरीदा और वह भी विश्व में सर्वाधिक देखे जानेवाले वेबसाइटों में शुमार है. इसी प्रकार फेसबुक ने व्हाट्सऐप्प और इंस्टाग्राम का अधिग्रहण कर अपने कारोबार को बेहद मजबूती प्रदान की है. लेकिन चीन में इनका उपयोग भी प्रतिवंधित है और उसने इसी प्रकार की कम्पनियाँ अपने देश के लिए विकसित कर ली है. भारत की जनसँख्या भी लगभग चीन के बराबर है और यहाँ भी गूगल, फेसबुक जैसी कंपनियों के विकास की पूरी सम्भावना है.

अमेरिका की समृद्धि में गूगल, फेसबुक, यूट्यूब, और व्हाट्सएप्प का योगदान 


अमेरिका की समृद्धि के पीछे गूगल, फेसबुक, यूट्यूब, और व्हाट्सएप्प जैसे इंटरनेट माध्यम की कंपनियों का बहुत बड़ा हाथ है. ये कम्पनियाँ पुरे विश्व से प्रतिवर्ष अरबों डॉलर कमाती हैं. अकेले गूगल विज्ञापनदाताओं से जितना पैसा कमाती है वह कई देशों के सकल घरेलु उत्पाद के बराबर होता है. इसी प्रकार की स्थिति फेसबुक की भी है. यदि सही मायने में देखा जाये तो अमेरिका को २००८ की महामंदी से इन्ही इंटरनेट कंपनियों ने बाहर निकाला. ये सच है की उस समय अमेरिका की अधिकतर बड़ी कम्पनियाँ चाहे वो मैन्युफैक्चरिंग, बैंकिंग, विपणन, या रियल एस्टेट किसी भी क्षेत्र में हो, मंदी से गुजर रही थी और भारी नुक्सान दे रही थी. अमेरिका का शेयर बाजार डुब रहा था. बहुत सी बड़ी कम्पनियाँ या तो दिवालिया हो गई थी या दिवालिया होने के कगार पर खड़ी थी. चारों तरफ त्राहि माम की स्थिति थी. ऐसी स्थिति में इंटरनेट कंपनियों ने जबरदस्त काम किया, मुनाफा कमाया और अमेरिका को उस महामंदी से बाहर निकाल दिया.

यूट्यूब
यूट्यूब 


ये सभी कम्पनियाँ वैश्विक स्तर पर काम करतीं हैं इसलिए उनके आय का स्रोत पूरी दुनिया से आता है. ये कम्पनियाँ अकेले अमेरिका पर निर्भर भी नहीं हैं. इससे भी बड़ी बात है की इनके उत्पाद हमारी रोजमर्रा की ज़िन्दगी और संस्कृति का हिस्सा बन चुके हैं.

भारत में बने चीन जैसी इंटरनेट कम्पनियाँ 

जैसा की पहले ही बताया गया है की चीन ने गूगल, फेसबुक जैसी कंपनियों को प्रतिवंधित किया और अपना सर्च इंजन बाइडू विकसित किया. यह चीन में उसी तरह फल फूल रहा है जैसे वैश्विक स्तर पर गूगल.  क्या भारत ऐसी कोई स्वदेशी सर्च इंजन नहीं बना सकता? 

उसी प्रकार चीन ने WeChat नाम का सोशल मीडिया बनाया है जिसमे १ अरब यूजर हैं. ध्यान रहे वैश्विक स्तर पर फेसबुक के २ अरब यूजर हैं. इसके अलावा भी चीन में कई और सोशल मीडिया अप्प हैं और वे वहां फल फूल रहे हैं. इस प्रकार चीन ने अपने यहाँ गूगल और फेसबुक जैसी इंटरनेट कम्पनियाँ बना कर अपने देश का पैसा बाहर जाने से रोक रहा है. प्रश्न ये है की क्या भारत ऐसी कोई स्वदेशी  सोशल मीडिया नहीं बना सकता?

भारत में गूगल और फेसबुक जैसी इंटरनेट कम्पनियाँ बनने की सम्भावना 

भारत में गूगल और फेसबुक जैसी इंटरनेट कम्पनियाँ बनने की अपार संभावनाएं है. जिनमे से कुछ कारणों पर प्रकाश डालना चाहता हूँ. 

सोशल मीडिया ट्री
सोशल मीडिया ट्री 

१. भारत की विशाल जनसँख्या (१३० करोड़ या १.३ अरब)
२. विश्व में सर्वाधिक तकनीकी लोग 
३. सॉफ्टवेयर व इंटरनेट तकनीक में विशेष दक्षता 
४. वैश्विक पहुँच व खुलापन 
५. विश्व का सबसे बड़ा प्रजातंत्र 
६. विश्व में दुसरी सबसे अधिक स्टार्ट अप की संख्या 
७. विश्व के सर्वश्रेष्ठ प्रवन्धकों की उपलब्धता 
८. पूंजी की उपलब्धता 
९. इंटरनेट की व्यापक पहुँच
१०. सहयोगी सरकार

इसप्रकार अन्य भी अनेक कारण हैं जिससे भारत इस प्रकार की इंटरनेट कम्पनियाँ विकसित कर सकता है. 

भारत सरकार के बजट २०१९ से उम्मीद की किरण  

भारत की वित्तमंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण ने इस वर्ष २०१९ के बजट में भारत को वैश्विक अर्थव्यवस्था बनाने एवं उसे आर्थिक महाशक्ति बनाने के लिए अनेक उपायों की घोषणा की है. इससे भी गूगल और फेसबुक जैसी इंटरनेट कम्पनियाँ बनाने की सम्भावना बढ़ जाती है. प्रधानमंत्री मोदी कई वर्ष पूर्व ही हाईवे के साथ आईवे की बात कर चुके हैं. इसी प्रकार भारत सरकार ने आगामी पांच सालों में अधोसंरचना के विकास में १०० लाख करोड़ रुपये के निवेश का वादा किया है. 

इस तरह अब समय आ गया है जब हम भारत का अपना गूगल, फेसबुक, यूट्यूब, और व्हाट्सएप्प बनाने की दिशा में विचार करें और कदम बढ़ाएं. इससे जहाँ भारतीय जनता को बड़ा लाभ होगा वहीँ उद्योगपतियों और उद्यमियों को भी फायदा होगा. रोजगार का सृजन होगा और ५० ख़राब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने में मदद मिलेगी.

आभार: सभी चित्र Pixabay से लिया गया है.

Thanks,
Jyoti Kothari (Jyoti Kothari, Proprietor, Vardhaman Gems, Jaipur represents Centuries Old Tradition of Excellence in Gems and Jewelry. He is adviser, Vardhaman Infotech, a leading IT company in Jaipur. He is also ISO 9000 professional)

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