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Saturday, July 20, 2019

'कोरा' (Quora) में हिंदी के प्रश्न एवं उत्तर


कोरा के प्रश्न और ज्योति कोठारी के जवाब 

कोरा एक प्रश्न-उत्तर का मंच है जिसमे कोई भी सदस्य कोई भी प्रश्न पूछ सकता है और कोई भी सदस्य उसका उत्तर दे सकता है. पहले कोरा अंग्रेजी भाषा में ही था परन्तु कुछ समय पहले इसमें हिंदी के प्रश्न और उत्तर भी जोड़ दिए गए हैं.  मैंने भी हिंदी के प्रश्नों का उत्तर देना प्रारम्भ किया है. यहाँ पर प्रश्नों के लिंक दिए गए हैं जहाँ जा कर आप मेरे एवं अन्य लोगों द्वारा दिए गए उत्तर देख सकते हैं. प्रश्नों के साथ उसके उत्तर देने का दिन भी लिखा गया है. 


क्या धर्म-निरपेक्ष देश में समाज को अल्पसंख्यक और बहुसंख्यक में बंटा जा सकता है? 

भारत एक महाशक्ति हो सकता है? 
नमामी गंगे योजना क्या है? 
गोलन पहाड़िया कहा स्थित है? 
जैन धर्म का इतिहास क्या है? 
भारत की प्राचीन भाषा कौन सी है? 
क्या सबसे बड़ा धर्म मानवता का होता है? 
पेरू कब आजाद हुआ? 
जैन धर्म मैं अरिहन्त कौन है? 



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भारत को अमेरिका से आगे ले जाने के लिए क्या करना होगा?


अमरीका ने पिछले २०० सालों से लगातार तरक्की की है और उसके पास प्राकृतिक संसाधन भी बहुत अधिक मात्रा में है. इसलिए एक वर्ष में अमरीका को पीछे छोड़ने की बात करना शेखचिल्ली के सपने जैसा है. लेकिन फिर भी भारत अमरीका को पीछे छोड़ सकता है, इस बात में दम है, पर कितने समय में? यह हमारे दृष्टिकोण, योजना, इच्छाशक्ति और ऊर्जा पर निर्भर करता है. इसके लिए हमें कुछ जगह सुधार करना पड़ेगा और कुछ नई चीजें भी करनी पड़ेगी. तो आइये, देखते हैं भारत कैसे अमरीका को पीछे छोड़ सकता है.

आगे पढ़ें 

भारत को अमेरिका से 1 साल में आगे ले जाने के लिए क्या-क्या करना होगा?


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Friday, July 19, 2019

My Paryushan at Azimganj 2019


Paryushan this year 2019


Paryushan this year will commence on August 26, 2019, according to Khartar Gachchh sect. The Samvatsari will be observed with enthusiasm on September 2, 2019. As usual, I  will be volunteering myself for Paryushana pravachan this year too. I will be in Azimganj city of Murshidabad district in West Bengal this year. It is worth noted that Azimganj is my native place. However, I never had been there for Paryushan. 


I have been going continually to observe Paryushan since 1984. Of course, I have to discontinue it while discharging my duties as secretary, Khartar Gachchh Sangh, Jaipur for a few years. Right now, I can't remember all of my Paryushana but listing those I can recall.


My Paryushans


Gangapur city in Rajasthan
Jaipur in Rajasthan
Ajmer in Rajasthan 
Bharatpur in Rajasthan
Beawar in Rajasthan
Durg in Chhattisgarh
Hyderabad in Andhra Pradesh
Gwalior in Madhya Pradesh (Twice)
Indore in Madhya Pradesh (Twice)
Chandrapur in Maharashtra
Malegaon in Maharashtra
Delhi, the capital of India
Patna in Bihar
Lucknow in Uttar Prades
Kanpur in Uttar Pradesh
Varanasi in Uttar Pradesh
Kolkata, West Bengal
Howrah in West Bengal 
Koimbatore in Tamilnadu
Bangkok in Thailand (Twice)
Tokyo in Japan

पर्युषण पर्व का महत्व भाग 1

पर्युषण पर्व का महत्व भाग 2


Thanks, Jyoti Kothari (Jyoti Kothari, Proprietor, Vardhaman Gems, Jaipur represents Centuries Old Tradition of Excellence in Gems and Jewelry. He is adviser, Vardhaman Infotech, a leading IT company in Jaipur. He is also ISO 9000 professional)

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Thursday, July 18, 2019

जयपुर के बहुचर्चित सड़क दुर्घटना में दोषी कौन?



सड़क दुर्घटना में दोषी कौन?


अभी परसों जयपुर के एक व्यस्ततम चौराहे पे एक भयानक सड़क दुर्घटना हुई जिसमे दो लोग मारे गए. १२० किलोमीटर की रफ़्तार से आती हुई एक कार ने लाल बत्ती पे खड़ी दुपहिया बाहन सवारों को टक्कर मारी जिससे उसमे सवार दो लोगों की मौत हो गई. इस सड़क दुर्घटना का दोषी कौन? प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार टक्कर इतनी भयानक थी की बाइक में सवार लोग २०-२५ फुट ऊँचे उछल गए. दुर्घटनास्थल पर ही उनकी मृत्यु हो गई. दोनों ही युवा थे, उनकी मृत्यु से जहाँ उनके घर पर मातम छा गया वहीँ पूरा शहर भी आंदोलित हो उठा है.


जयपुर का बहुचर्चित सड़क दुर्घटना

इस दुर्घटना के लिए प्रत्यक्ष रूप से कार चालक ही दोषी है परन्तु क्या इसमें व्यवस्था का दोष नहीं? ऐसा समाचार है की कार चालाक ने यह स्वीकार किया की उसे ठीक तरह से गाड़ी चलानी नहीं आती  तो फिर उसे कार चलाने का लाइसेंस कैसे मिला? नियमानुसार ड्राइविंग टेस्ट देने और उसमे सफल होने के बाद ही ड्राइविंग लाइसेंस मिल सकता है. परन्तु लाइसेंस दिलाने में दलालों के प्रभाव एवं बिना टेस्ट के लाइसेंस बनवाने के गोरखधंधे से सभी परिचित हैं. अफसरों और दलालों की मिलीभगत से यह काम धड़ल्ले से चलता है. तो फिर असली दोषी कौन? यह बात केवल जयपुर के लिए नहीं है अपितु पुरे भारत में ऐसी ही परिस्थिति है.

ऐसी भी खबरें है की कर चालाक को मिर्गी के दौरे पड़ते हैं. ऐसी स्थिति में गाड़ी चलाना और भी खतरनाक हो जाता है. क्या इस प्रकार के रोगियों को या मानसिक रोगियों को ड्राइविंग लाइसेंस देना खतरनाक नहीं?

कार चालक ने स्वीकार किया की उसने कार को नियंत्रित करने की कोशिश की परन्तु नहीं कर पाया. उसने ये भी कहा की ब्रेक की जगह एक्सीलेटर पे पैर रख दिया जिससे गाड़ी की गति और बढ़ गई और दुर्घटना घट गई. यह भी समाचार है की पहले से ही उसकी गाडी १०० किलोमीटर प्रति घंटे की रफ़्तार से चल रही थी और एक्सीलेटर पे पैर रखने से उसकी गति बढ़ कर १२० हो गई. जयपुर के व्यस्त जवाहरलाल नेहरू मार्ग पर १०० से १२० की गति से गाडी चलाने के पीछे क्या मकसद था? इतनी तेज़ गति से गाडी चलाने पर उसे रोका या पकड़ा क्यों नहीं गया?

दुर्घटना के कारण एवं समाधान 


हम अक्सर अत्यंत तेज़ गति से गाड़ी या बाइक चलाते हुए लोगों को देखते हैं. कई लोग खतरनाक तरीके से भी गाड़ी या दुपहिया बाहन चलाते हैं. चौराहे पर मुड़ते समय भी वे अपनी गति कम नहीं करते. ऐसे लोगों को नियंत्रित क्यों नहीं किया जाता? यदि समय रहते इन्हे सजा दे दी जाए तो दुर्घटनाओं की संख्या काफी कम हो सकती है.

हर शहर में अलग अलग सड़कों पर दुपहिया एवं चौपहिया वाहनों के लिए गति सीमा निर्धारित है. निर्धारित गति से अधिक गति से चलने पर सजा और जुर्माने का प्रावधान है. परन्तु यह लागू क्यों नहीं होता? एक महत्वपूर्ण बात ये भी है की गति सीमा से अधिक होते ही सजा का प्रावधान है परन्तु अत्यधिक या खतरनाक गति के लिए विशेष सजा का कोई प्रावधान नहीं है.


सड़क दुर्घटना की समस्या का समाधान 

इस समस्या का समाधान क्या है? अपने कर्तव्यों की अवहेलना करनेवाले अधिकारीयों को दण्डित किया जाए, यही इस समस्या का स्थाई समाधान है. यह देखा जाए की जिस व्यक्ति की बजह से दुर्घटना हुई उसे लाइसेंस किसने जारी किया था? यह भी देखा जाये की जब गाडी खतरनाक गति से चल रही थी उस समय वहां पर ट्रैफिक ड्यूटी पे कौन था? उन सबकी जबाबदेही तय की जाये और उनके लिए भी जुर्माने और दंड का प्रावधान किया जाये. उच्चाधिकारियों को भी अपने अधीनस्थों से सही तरीके से काम लेने में नाकामी के कारण जबाबदेह बनाया जाये.

सभी सरकारी अधिकारी जनता के सेवक हैं और जनता के दिए हुए कर से ही उन्हें बेतन-भत्ता आदि मिलता है. फिर वे जनता के प्रति जबाबदेह क्यों नहीं? उन्हें जबाबदेह बनाने के लिए यदि पुराने कानूनों में बदलाव करना पड़े तो किया जाए. दुर्घटना में दिए जानेवाले सरकारी मुआबजे का एक हिस्सा भी उनसे वसूला जा सकता है. यह उन्हें अपनी जिम्मेदारी समझ कर काम करने के लिए मजबूर करेगा.

इस काम के लिए जन प्रतिनिधियों, राज्य एवं केंद्र सरकार के मंत्रियों को भी अपनी सक्रिय भूमिका निभानी होगी. संसद एवं विधानसभाओं में भी ऐसे प्रश्न उठने चाहिए. यदि केंद्र एवं राज्य सरकार कोई प्रभावी कानून नहीं बनाती है तो कोई भी सांसद या विधायक शून्यकाल में इस मसले को उठा सकता है.

ज्योति कुमार कोठारी

Update:

 दो दिन भी नहीं बीते और आज फिर से ऐसी ही एक दुर्घटना हो गई. आज १९ जुलाई की सुबह सुबह जवाहरलाल नेहरू मार्ग में उसी जगह एक बेलगाम कार चालाक ने एक स्कूटर चालक को टक्कर मार कर बुरी तरह घायल कर दिया. समाचार लिखने तक वह व्यक्ति जीवन और मृत्यु से जूझ रहा है.






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