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गुरुवार, 18 जुलाई 2019

जयपुर के बहुचर्चित सड़क दुर्घटना में दोषी कौन?



सड़क दुर्घटना में दोषी कौन?


अभी परसों जयपुर के एक व्यस्ततम चौराहे पे एक भयानक सड़क दुर्घटना हुई जिसमे दो लोग मारे गए. १२० किलोमीटर की रफ़्तार से आती हुई एक कार ने लाल बत्ती पे खड़ी दुपहिया बाहन सवारों को टक्कर मारी जिससे उसमे सवार दो लोगों की मौत हो गई. इस सड़क दुर्घटना का दोषी कौन? प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार टक्कर इतनी भयानक थी की बाइक में सवार लोग २०-२५ फुट ऊँचे उछल गए. दुर्घटनास्थल पर ही उनकी मृत्यु हो गई. दोनों ही युवा थे, उनकी मृत्यु से जहाँ उनके घर पर मातम छा गया वहीँ पूरा शहर भी आंदोलित हो उठा है.


जयपुर का बहुचर्चित सड़क दुर्घटना

इस दुर्घटना के लिए प्रत्यक्ष रूप से कार चालक ही दोषी है परन्तु क्या इसमें व्यवस्था का दोष नहीं? ऐसा समाचार है की कार चालाक ने यह स्वीकार किया की उसे ठीक तरह से गाड़ी चलानी नहीं आती  तो फिर उसे कार चलाने का लाइसेंस कैसे मिला? नियमानुसार ड्राइविंग टेस्ट देने और उसमे सफल होने के बाद ही ड्राइविंग लाइसेंस मिल सकता है. परन्तु लाइसेंस दिलाने में दलालों के प्रभाव एवं बिना टेस्ट के लाइसेंस बनवाने के गोरखधंधे से सभी परिचित हैं. अफसरों और दलालों की मिलीभगत से यह काम धड़ल्ले से चलता है. तो फिर असली दोषी कौन? यह बात केवल जयपुर के लिए नहीं है अपितु पुरे भारत में ऐसी ही परिस्थिति है.

ऐसी भी खबरें है की कर चालाक को मिर्गी के दौरे पड़ते हैं. ऐसी स्थिति में गाड़ी चलाना और भी खतरनाक हो जाता है. क्या इस प्रकार के रोगियों को या मानसिक रोगियों को ड्राइविंग लाइसेंस देना खतरनाक नहीं?

कार चालक ने स्वीकार किया की उसने कार को नियंत्रित करने की कोशिश की परन्तु नहीं कर पाया. उसने ये भी कहा की ब्रेक की जगह एक्सीलेटर पे पैर रख दिया जिससे गाड़ी की गति और बढ़ गई और दुर्घटना घट गई. यह भी समाचार है की पहले से ही उसकी गाडी १०० किलोमीटर प्रति घंटे की रफ़्तार से चल रही थी और एक्सीलेटर पे पैर रखने से उसकी गति बढ़ कर १२० हो गई. जयपुर के व्यस्त जवाहरलाल नेहरू मार्ग पर १०० से १२० की गति से गाडी चलाने के पीछे क्या मकसद था? इतनी तेज़ गति से गाडी चलाने पर उसे रोका या पकड़ा क्यों नहीं गया?

दुर्घटना के कारण एवं समाधान 


हम अक्सर अत्यंत तेज़ गति से गाड़ी या बाइक चलाते हुए लोगों को देखते हैं. कई लोग खतरनाक तरीके से भी गाड़ी या दुपहिया बाहन चलाते हैं. चौराहे पर मुड़ते समय भी वे अपनी गति कम नहीं करते. ऐसे लोगों को नियंत्रित क्यों नहीं किया जाता? यदि समय रहते इन्हे सजा दे दी जाए तो दुर्घटनाओं की संख्या काफी कम हो सकती है.

हर शहर में अलग अलग सड़कों पर दुपहिया एवं चौपहिया वाहनों के लिए गति सीमा निर्धारित है. निर्धारित गति से अधिक गति से चलने पर सजा और जुर्माने का प्रावधान है. परन्तु यह लागू क्यों नहीं होता? एक महत्वपूर्ण बात ये भी है की गति सीमा से अधिक होते ही सजा का प्रावधान है परन्तु अत्यधिक या खतरनाक गति के लिए विशेष सजा का कोई प्रावधान नहीं है.


सड़क दुर्घटना की समस्या का समाधान 

इस समस्या का समाधान क्या है? अपने कर्तव्यों की अवहेलना करनेवाले अधिकारीयों को दण्डित किया जाए, यही इस समस्या का स्थाई समाधान है. यह देखा जाए की जिस व्यक्ति की बजह से दुर्घटना हुई उसे लाइसेंस किसने जारी किया था? यह भी देखा जाये की जब गाडी खतरनाक गति से चल रही थी उस समय वहां पर ट्रैफिक ड्यूटी पे कौन था? उन सबकी जबाबदेही तय की जाये और उनके लिए भी जुर्माने और दंड का प्रावधान किया जाये. उच्चाधिकारियों को भी अपने अधीनस्थों से सही तरीके से काम लेने में नाकामी के कारण जबाबदेह बनाया जाये.

सभी सरकारी अधिकारी जनता के सेवक हैं और जनता के दिए हुए कर से ही उन्हें बेतन-भत्ता आदि मिलता है. फिर वे जनता के प्रति जबाबदेह क्यों नहीं? उन्हें जबाबदेह बनाने के लिए यदि पुराने कानूनों में बदलाव करना पड़े तो किया जाए. दुर्घटना में दिए जानेवाले सरकारी मुआबजे का एक हिस्सा भी उनसे वसूला जा सकता है. यह उन्हें अपनी जिम्मेदारी समझ कर काम करने के लिए मजबूर करेगा.

इस काम के लिए जन प्रतिनिधियों, राज्य एवं केंद्र सरकार के मंत्रियों को भी अपनी सक्रिय भूमिका निभानी होगी. संसद एवं विधानसभाओं में भी ऐसे प्रश्न उठने चाहिए. यदि केंद्र एवं राज्य सरकार कोई प्रभावी कानून नहीं बनाती है तो कोई भी सांसद या विधायक शून्यकाल में इस मसले को उठा सकता है.

ज्योति कुमार कोठारी

Update:

 दो दिन भी नहीं बीते और आज फिर से ऐसी ही एक दुर्घटना हो गई. आज १९ जुलाई की सुबह सुबह जवाहरलाल नेहरू मार्ग में उसी जगह एक बेलगाम कार चालाक ने एक स्कूटर चालक को टक्कर मार कर बुरी तरह घायल कर दिया. समाचार लिखने तक वह व्यक्ति जीवन और मृत्यु से जूझ रहा है.






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शुक्रवार, 20 जनवरी 2012

फरबरी महीने के मुख्य कार्यक्रम

 श्री जैन श्वेताम्बर खरतर गच्छ संघ, जयपुर अपने मंदिरों एवं दादाबाड़ीओं में पूजा, साधर्मी वात्सल्य, मेला आदि अनेक कार्यक्रम आयोजित करता रहता है. इन सभी कार्यक्रमों में श्रद्धालु बड़ी संख्या में भाग लेते रहता हैं. 

२०१२ फरबरी महीने के मुख्य कार्यक्रम  निम्न प्रकार हैं. 

२ फरबरी को मालपुरा तीर्थ का वार्षिकोत्सव मनाया जायेगा. उसी दिन मंदिर एवं दादाबाड़ी में ध्वजा भी चढ़ाई जाएगी. इसी प्रकार ३ फरबरी को टोंक फाटक श्री महावीर स्वामी मंदिर का वार्षिकोत्सव है. 

इसी महीने में मालपुरा दादाबाड़ी में दादा मेले का भी आयोजन रखा गया है. यह मेला प्रतिवर्ष की भाँती दादा जिन कुशल सूरी जी महाराज के स्वर्गारोहण दिवस के उपलक्ष्य में २० एवं २१ फरबरी को रहेगा. इस वर्ष इस कार्यक्रम के लाभार्थी मालू परिवार, सिवनी, मध्य प्रदेश हैं. 

२० फरबरी को होने वाले भव्य रात्रि जागरण में कलकत्ता के श्री देवेन्द्र बेगानी व श्री विजय सोनी, इंदौर के श्री लावेश बुरड  एवं खैरागढ़ के श्री गौरव लुनिया अपने संगीत का जादू बिखेरेंगे. २१ तारीख को दादागुरु देव की बड़ी पूजा पढाई जाएगी. 

उपरोक्त सभी कार्यक्रमों में श्रद्धालु जन सादर आमंत्रित हैं.
Thanks,
Jyoti Kothari

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रविवार, 13 मार्च 2011

परम पूज्या चंद्रप्रभा श्री जी महाराज का चातुर्मास जयपुर में

परम पूज्या  प्रवर्तिनी श्री चंद्रप्रभा श्री जी महाराज का आगामी चातुर्मास जयपुर में  होना निश्चित हुआ है.  आप श्री अपनी शिष्या मंडली सहित जयपुर में आगामी चातुर्मास व्यतीत करेंगी. चातुर्मास के दौरान प्रवर्तिनी महोदया स्वयं विचक्षण भवन (श्री जैन श्वेताम्बर खरतर गच्छ संघ, जयपुर ) एवं मोती डूंगरी दादाबाड़ी दोनों ही स्थानों पर थोड़े थोड़े दिन विराजेंगी. उनकी शिष्या मंडली भी दोनों ही स्थानों पर रहेंगी.
परम पूज्या प्रवर्तिनी महोदया ने श्री जैन स्वेताम्बर खरतर गच्छ संघ, जयपुर के पदाधिकारियो से बातचीत के समय १० मार्च को मालपुरा में यह निर्णय सुनाया.
आप श्री मालपुरा से बिहार कर आज रेनवाल तक पहुँच चुकी हैं एवं १५ तारीख को सांगानेर दादाबाड़ी पहुचेंगी. १६ मार्च को आप के दीक्षा दिवस के उपलक्ष्य में वहीँ दादागुरुदेव की पूजा पढाई जाएगी. 

Thanks,
Jyoti Kothari

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मंगलवार, 15 फ़रवरी 2011

मालपुरा मंदिर एवं दादाबाड़ी में ध्वजारोहण संपन्न

मालपुरा मंदिर एवं दादाबाड़ी में ध्वजारोहण का कार्यक्रम १३ फरबरी को प. पु. साध्वी श्री चन्द्रकला श्री जी महाराज की निश्रा में  सानंद संपन्न  संपन्न हुआ. इस अवसर पर श्री वासुपूज्य स्वामी मंदिर में सत्रह भेदी पूजा पढाई गई. पूजा के लाभार्थी तिर्पातुर निवासी प्रसन्न कुमार पंकज कुमार बैद हुंडिया थे. मंदिर की कायमी ध्वजा भी इसी परिवार की है. दादाबाड़ी में ध्वजा बाड़मेर हाल सूरत निवासी बाबूलाल संख्लेचा परिवार ने चढ़ाया. अम्बिका देवी एवं अन्य ध्वजों के लाभार्थिओं ने भी ध्वजा चढ़ाई.

पूजा एवं ध्वजारोहण कार्यक्रम में स्थानकवासी मुनि प. पु. चौथमलजी महाराज की समुदायवर्तिनी  साध्वी जी भी उपस्थित थीं. श्री जैन श्वेताम्बर खरतर गच्छ संघ, जयपुर की और से एक बस मालपुरा ले जाई गई थी. इसके अलावा चेन्नई, नागपुर, जोधपुर, सुरत   आदि विभिन्न स्थानों के यात्री भी उपस्थित थे. कार्यक्रम के बाद साधर्मी वात्सल्य का आयोजन किया गया.

Thanks,
Jyoti Kothari

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गुरुवार, 3 फ़रवरी 2011

मोहनबाड़ी में दादागुरु देव पूजन एवं साधर्मी वात्सल्य रविवार ६ फरवरी को

आगामी रविवार ६ फरवरी को मोहनबाड़ी, जयपुर  में दादागुरु देव पूजन एवं साधर्मी वात्सल्य का आयोजन रखा गया है. श्री जैन श्वेताम्बर खरतर गच्छ संघ द्वारा आयोजित यह कार्यक्रम प. पु. साध्वी श्री मणिप्रभा श्री जी महाराज के सान्निध्य में आयोजित होगा. प्रातः ९ से ११ बजे तक विचक्षण समाधि मंदिर में दादागुरु देव का पूजन होगा. उसके बाद पूज्या मणिप्रभा श्री जी महाराज का प्रवचन ११ से १२  बजे तक रहेगा.

प्रवचन के पश्चात् साधर्मी वात्सल्य का आयोजन किया जायेगा. सभी साधर्मी वन्धु सादर आमंत्रित हैं.

मणिप्रभा श्री जी महाराज का जयपुर से विहार कार्यक्रम


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मंगलवार, 1 फ़रवरी 2011

मोहनबाड़ी आदिनाथ जिन मंदिर का शिलान्यास संपन्न




मोहनबाड़ी आदिनाथ जिन मंदिर के शिलान्यास का भव्य कार्यक्रम पूज्या साध्वी श्री मणिप्रभा श्री जी म. सा. की निश्रा में ३१ जनवरी को संपन्न हुआ. प्रातः ७ बजे से कार्यक्रम प्रारंभ हुआ जिसमे हाजोरों श्रद्धालुओं ने भाग लिया. सर्व प्रथम श्री देव चंद जी महाराज कृत स्नात्र पूजा पढाई गई. तत्पश्चात नवग्रह, दस दिक्पाल आदि का पूजन हुआ. उसके बाद शिलाओं का पूजन किया गया. यह सभी कार्यक्रम ऊपर पंडाल में संपन्न हुआ. पूजा के बाद शिलाओं को शिलान्यास स्थल पर ले जाया गया जहाँ विधिवत रूप से मंत्रोच्चार पूर्वक उनकी स्थापना की गई. कुल ९ शिलाएं स्थापित की गई. शिला स्थापन के बाद पंडाल में ही देव वंदन किया गया. सम्पूर्ण विधि विधान श्री सुरेन्द्र गुरूजी, बंगलोर, एवं श्री यशवंत जी गोलेछा, जयपुर ने संपन्न करवाया.

साध्वी श्री के मंगलाचरण पूर्वक सम्मान समारोह प्रारंभ हुआ. कार्यक्रम के मुख्य अतिथि समाज चिंतामणि श्री सुरेश दादा जैन, विधायक, जलगाँव का स्वागत श्री विक्रम गोलेछा ने किया. विचक्षण श्री समाधि मंदिर के सौन्दर्यीकरण का कार्य करने वाले धमतरी निवासी श्री जीवन जी लोढा परिवार का स्वागत मंदिर निर्माण समिति के संयोजक श्री कुशल चंद सुराना ने किया. विधिकारक श्री सुरेन्द्र गुरूजी, बंगालुरू का स्वागत श्री विजय मेहता ने किया.

इसके बाद शिलाओं के लाभार्थिओं का सम्मान किया गया. सुराना परिवार का स्वागत श्री सुरेश दादा जैन ने किया एवं श्रीमती जतन कँवर गोलेछा परिवार का स्वागत श्रीमती निर्मला देवी पुंगलिया ने किया. शिलाओं के अन्य लाभार्थिओं  श्री बोर्दिया परिवार,  श्री चन्द्र प्रकाश लोढा परिवार, श्री प्रेमचंद जी धान्धिया परिवार, श्री प्रकाशचंद जी पूनम चंद जी छाजेड परिवार, श्री कुसुमदेवी डागा परिवार. श्री संतोषचंद  जी झारचुर परिवार एवं श्री विमल जी भंडारी परिवार का भी स्वागत किया गया. इसके अलावा श्री त्रिलोक चंद जी बरडिया, रायपुर, श्री कैलाश चंद जी भंसाली, विधायक, जोधपुर एवं अन्य अनेक महानुभावों का भी स्वागत किया गया. स्वागत कार्यक्रम में श्री जैन श्वेताम्बर खरतर गच्छ संघ, जयपुर के वरिष्ठ उपाध्यक्ष श्री मानक चंद जी गोलेछा, उपाध्यक्ष श्री राजेंद्र जी छाजेड, कोषाध्यक्ष श्री मोहनलाल जी डागा, पूर्व अध्यक्ष श्री तिलोक चंद जी गोलेछा आदि ने अतिथिओं का माल्यार्पण कर एवं साफा पहना कर स्वागत किया. इस अवसर पर जयपुर के अनेक गणमान्य व्यक्ति श्री विरधी माल जी दासोत, श्री भास्कर भाई चौधरी, श्री नेमी चंद जी जैन, श्री फ़तेह सिंह जी बरडिया आदि ने भी अतिथिओं का स्वागत किया.

उपस्थित जनसमूह को मुख्य अतिहि श्री सुरेश दादा जैन ने संवोधित किया. कार्यक्रम के अंत में संघ मंत्री ज्योति कुमार कोठारी ने मंदिर निर्माण के मार्गदर्शक प्राणीमित्र श्री कुमारपाल वि. शाह का शुभ कामना सन्देश पढ़ कर सुनाया.

शिलास्थापन एवं स्वागत कार्यक्रम के पश्चात् श्री विचक्षण श्री समाधि मंदिर का द्वार उद्घाटन धमतरी निवासी स्वर्गीय श्री आइदान जी लोढा के पुत्र श्री जीवन जी लोढा ने किया. अल्पाहार के आयोजन का लाभ श्री त्रिलोक चंद जी सिंघी परिवार ने लिया. कार्यक्रम सञ्चालन ज्योति कोठारी ने किया.     



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बुधवार, 19 जनवरी 2011

साधर्मी बंधुओं को रोजगार हेतु परिचर्चा में लोगों ने उत्साह से भाग लिया

साधर्मी बंधुओं को रोजगार हेतु परिचर्चा १५ जनवरी, दोपहर २ से ३ बजे तक  शिवजीराम भवन में आयोजित हुई. इस परिचर्चा में लगभग बीस लोगों ने भाग लिया. सभी लोगों का अभिमत था की रोजगार बर्तमान समय की एक ज्वलंत समस्या है एवं इस पर चिंतन मनन अति आवश्यक है.
परिचर्चा प्रारंभ करते हुए ज्योति कोठारी ने कहा की यह बात सभी को विदित है की जयपुर जवाहरात के व्यापार का केंद्र है एवं संघ के अधिकांश सदस्य इस व्यापार से जुड़े हैं. पिछले कुछ वर्षों से यह व्यापार मंदी के दौर से गुजर रहा है. इस कारन इस व्यापार से जुड़े लोग काफी परेशानी का सामना कर रहे हैं. साथ ही अन्य व्यापार एवं उद्योगों की स्थिति भी बहुत अच्छी नहीं है.
इन बातों को ध्यान में रखते हुए ही इस परिचर्चा का आयोजन किया गया है जिसमे सब लोग मिल बैठ कर कुछ विचार कर सकें एवं इन  समस्याओं का कोई हल निकल सके.
ज्योति कोठारी ने आगे कहा की जो लोग बेरोजगारी की समस्या से पीड़ित हैं एवं जो लोग रोजगार देने में सक्षम हैं उन लोगों के वीच समन्वय की आवश्यकता है. जवाहरात उद्योग की गंभीर स्थिति  को देखते हुए अन्य उद्योगों को अपनाने पर भी बल दिया.
श्री अनिल बैद ने कहा की "Jito " की स्थापना के पीछे भी मुख्य लक्ष्य लोगों को रोजगार उपलब्ध करवाना था परानु वह भी अपने उद्देश्य में सफल नहीं रही है.
श्री राजेंद्र बोहरा ने कहा की यह एक सुन्दर प्रयास है एवं वे इस सम्बन्ध में किसी भी प्रकार का कार्य करने को सदैब तत्पर हैं. 
श्री महेश महमवाल, श्री पदम् चंद छाजेड आदि ने भी अपने विचार व्यक्त किये.

ज्योति कोठारी

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शुक्रवार, 14 जनवरी 2011

साधर्मी बंधुओं को रोजगार हेतु परिचर्चा १५ जनवरी को

साधर्मी बंधुओं को रोजगार हेतु परिचर्चा १५ जनवरी, दोपहर २ बजे से शिवजीराम भवन में आयोजित है. यह बात सभी को विदित है की जयपुर जवाहरात के व्यापार का केंद्र है एवं संघ के अधिकांश सदस्य इस व्यापार से जुड़े हैं. पिछले कुछ वर्षों से यह व्यापार मंदी के दौर से गुजर रहा है. इस कारन इस व्यापार से जुड़े लोग काफी परेशानी का सामना कर रहे हैं. साथ ही अन्य व्यापार एवं उद्योगों की स्थिति भी बहुत अच्छी नहीं है.

इन बातों को ध्यान में रखते हुए ही इस परिचर्चा का आयोजन किया गया है जिसमे सब लोग मिल बैठ कर कुछ विचार कर सकें एवं इन  समस्याओं का कोई हल निकल सके. जो लोग रोजगार की समस्या से पीड़ित हैं, जो लोग रोजगार देने में सक्षम हैं या अन्य किसी प्रकार से भी इस कार्यक्रम से जुड़ना चाहते हैं वे सभी साधर्मी बंधू इस परिचर्चा में सादर आमंत्रित हैं.

ज्योति कोठारी

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सोमवार, 18 अक्टूबर 2010

पंचायती मंदिर में श्री नवपद जी की पूजा

नवपद ओली के उपलक्ष्य में आज दिनांक १९ अक्टूबर २०१० को पंचायती मंदिर, दडा में श्री नवपद जी की पूजा का आयोजन किया गया है. नवपद पूजा व्याख्यान के बाद सुबह दस बजे से शुरू होगी.

परंपरागत रूप से यह पूजा आश्विन शुक्ल द्वादसी को पंचायती मंदिर में पढाई जाती रही है. आज भी उसी परंपरा का निर्वाह करते हुए यह पूजा पढाई जाएगी.

प. पू. साध्वी श्री संयमनिधि श्री जी एवं आत्मनिधि श्री जी महाराज की निश्रा में यह कार्य क्रम श्री जैन श्वेताम्बर खरतर गच्छ संघ आयोजित करेगा.

सभी से पूजा में पधारने की विनती है.

मालपुरा दादाबाड़ी में प. पू. श्री चन्द्रकला श्री जी एवं श्री मणिप्रभा श्री जी महाराज साहब की निश्रा में तिन दिवसीय कार्यक्रम का आयोजन कल से होगा. प्रथम दिन श्री सिद्ध चक्र महापूजन का आयोजन जयपुर के दासोत परिवार के सौजन्य से आयोजित किया जायेगा.

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शनिवार, 9 अक्टूबर 2010

आमेर में अठारह अभिषेक एवं दादागुरु देव पूजन संपन्न, मेला आज

  आमेर श्री चंदाप्रभु भगवान के मंदिर व दादाबाड़ी में अठारह  अभिषेक  एवं  दादागुरु  देव  पूजन कल ९ अक्टूबर को संपन्न हुआ. अमर तीर्थ पर ऐतिहासिक मेला आज दिनांक १० अक्टूबर को होने जा रहा है. इस अवसर पर परम पूज्य साध्वी श्री मणिप्रभा श्री जी की सुशिष्या गण प्. पु. साध्वी विद्युत्प्रभा श्री जी, हेमप्रज्ञा  श्री जी, संयम निधि श्री जी, आत्मनिधि  श्री जी आदि प्रातः ५.१५ बजे शिव जी राम भवन से पैदल बिहार कर आमेर पहुचेंगी.  इस अवसर पर अनेक श्रावक श्राविकाएं भी उनके साथ होंगे.

मेले में आज श्री नन्दीश्वर द्वीप की पूजा पढाई जाएगी. यह प्राचीन पूजा आमेर मंदिर में ही दो सौ वर्ष पूर्व रचित हुई थी. तब से ही यह पूजा यहाँ पर अनवरत रूप से होती चली आ रही है.


पूजा के बाद साधर्मी वात्सल्य का आयोजन है. इस कार्यक्रम में लगभग २५०० से ३००० लोगों के उपस्थित रहने की सम्भावना है. श्वेताम्बर आम्नाय के सभी पंथ खरतर गच्छ, तप गच्छ, स्थानक वासी, तेरापंथी आदि सभी इस मेले में भाग लेते हैं.
कार्यक्रम का आयोजन श्री जैन श्वेताम्बर खरतर गच्छ संघ, जयपुर  की और से कराया जा रहा है.

Amber Jain temple


Map of Amber temple

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बुधवार, 22 सितंबर 2010

कार्यकारिणी समिति: श्री जैन श्वेताम्बर खरतरगच्छ संघ, जयपुर

 श्री  मानक  चंद  गोलेछावरिष्ठ उपाध्यक्ष
श्री  राजेंद्र  छाजेड उपाध्यक्ष 
श्री  ज्योति  कोठारी संघ मंत्री
श्री  राजेंद्र   बोहरा सह मंत्री
श्री  मोहन  लाल  डागा कोषाध्यक्ष
श्री  राजेंद्र  भंसाली सांस्कृतिक मंत्री
श्री  प्रेमचंद  गोलेछा भण्डारक 
श्री  पदम्   चंद गोलेछा मंदिर  दादाबाड़ी  मंत्री 
श्रीमती  मनीषा  राक्यान   मंत्री  महिला  विभाग 
 श्री  अशोक  डागा मंत्री  बर्तन   विभाग 
श्री  विक्रम  गोलेछा 
श्री  विजय  मेहता 
श्रीमती  निर्मला  पुंगलिया 
श्री  त्रिलोक  चंद  गोलेछा 
श्री  पदम्  चंद  मेहता 
श्री  प्रवीन  लोढ़ा 
श्रीमती  अमिता  भंडारी 
श्री  यशवंत  गोलेछा 
श्री  प्रकाश  खवाड 
श्री  प्रकाश  बांठिया 
श्री  संजय  छाजेड 
श्री  प्रताप  चंद  लुनावत 
श्री  महेश  महमवाल  
श्री  अशोक  बुरड 
श्री  अजित  भंडारी 
श्री  पदम्  चौधरी 
श्री  अनिल  लुनिया 
श्री  प्रकाश  छाजेड 
श्री  सोहनलाल  सुराना  
श्री  विमल  भंडारी 
श्री  सुनील  जैन  (महमवाल  )

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मंगलवार, 4 अगस्त 2009

जयपुर का जवाहरात उद्योग व वैश्विक मंदी भाग 2

इन सारी परिस्थितियों ने जयपुर के जवाहरात उद्योग को संकट में ला दिया है. शुरू में लोग काफी घबराए हुए भी थे परन्तु अब धीरे धीरे परिस्थिति में बदलाव आ रहा है। लोग घबराहट के माहौल से बहार निकल कर फिर से काम की नई शुरुआत करने लगे हैं। परन्तु अब समस्या सिर्फ़ बिक्री की नही रही कुछ और ज्यादा जटिल समस्याओं से जवाहरात उद्योग एवं व्यापार को रुबरु होना पड़ रहा है। माल के बिक्री की समस्या के साथ जो सब से बड़ी समस्या है वो है वसूली की।

पेमेंट: भुगतान की स्थिति काफी ख़राब है। देश व विदेश में बेचे हुए माल का पैसा नहीं आ रहा या बहुत देर से आ रहा है. इससे लगातार तरलता व नगदी की समस्या बनी हुई है। आम तौर पर जयपुर के व्यापारी अपनी पूंजी से व्यापार करते हैं। बैंक से पैसा उधर लेने की प्रवृत्ति अपेक्षा कृत रूप से कम है। इस लिए यहाँ बेचे हुए माल की रकम डूबने की आशंका नगण्य है। परन्तु उधारी की अवधि लम्बी होती जाने से दिन प्रति दिन के खर्चे में दिक्कत आ रही है। विदेशों में खास कर अमेरिका में लंबा पैसा डूबने का ख़तरा अभी भी बना हुआ है।

कारीगर: मंदी के कारण मैनुफक्चारिंग में बहुत कमी आई है जिसके कारण कारीगर बेरोजगार हो गए। लंबे समय तक काम नहीं मिलने के कारण उनलोगों ने जवाहरात की कारीगरी छोड़ कर कोई दूसरा काम ढूंढ़ लिया। इन दिनों गांवों में काम देने की अनेक सरकारी योजनायें भी लागु हो गई जिसमे रोजगार गारंटी योजना प्रमुख है। इस कारण आसपास के गांवों से आने वाले कारीगर उन सरकारी कामों में लग गए। किछ लोग अपने गाँव में रह कर कैरकी (बिड्स) बनाने का या बिंधाई का काम करते थे, गाँव में मजदूर सस्ते होने के एवं अन्य खर्चे कम होने के कारण उन लोगों की लागत कम आती थी। वो लोग जयपुर ला कर व्यापारियों को अपना माल सस्ते में बेच देते थे। इस तरह से व्यापारियों को भी अच्छा मुनाफा होता था। कुछ लोग उनलोगों के कारखाने में अपना माल भी बनवाते थे जिस से माल की लागत भी कम आती थी व माल जल्दी बन जाता था। मंदी के कारण उन लोगों में से भी बहुतों ने अपना कारखाना बंध कर दिया।
इन सभी कारणों से अब कारीगरों की कमी हो रही है। अभी भी लोगों ने ज्यादा उत्पादन शुरू नहीं किया है इस लिए ये तकलीफ व्यापक रूप से महसूस नहीं हो रही है लेकिन भविष्य में ये एक बड़ी समस्या के रूप में सामने आयेगी।
जयपुर का जवाहरात उद्योग व वैश्विक मंदी भाग 1
Important post for investors



क्रमशः......................................

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