IMCTF
INITIATIVE
FOR MORAL AND CULTURAL TRAINING FOUNDATION
नैतिक-सांस्कृतिक प्रशिक्षण प्रवर्तन संस्थान
Meta Description
"सर्वे भवन्तु सुखिनः, सर्वे सन्तु निरामयाः।
सर्वे भद्राणि पश्यन्तु, मा कश्चिद् दुःखभाग्भवेत्।"
(सभी सुखी हों, सभी निरोग रहें, सभी मंगलमय दृष्टिकोण से युक्त हों, कोई भी दुःख का भागी न बने)
यही प्रार्थना IMCTF (Initiative for Moral and Cultural Training Foundation) की नींव है। यह प्रयास भारत की सांस्कृतिक चेतना को आधार बनाकर भावी पीढ़ी को संस्कार, कर्तव्यबोध, और राष्ट्रीय गौरव से जोड़ता है।
![]() |
IMCTF Themes |
आज हम आधुनिकता, स्वतंत्रता और व्यक्तिगत अधिकारों की बात करते हैं —
किन्तु इस एकपक्षीय चिंतन से उत्पन्न हो रहे हैं:
- हमारी संस्कृति और मूल्यों में गिरावट
- युवाओं में पश्चिमी संस्कृति का अंधानुकरण
- भारतीय विरासत के प्रति गर्व का अभाव
जिसके परिणामस्वरूप हो रहा है:
🔻 विचारों का प्रदूषण
🔻 वाणी का अशुद्धिकरण
🔻 आचरण में पतन
यदि इस संकट को शीघ्र न समझा गया, तो भारत को भी पश्चिम जैसी सांस्कृतिक विघटन की स्थिति का सामना करना पड़ेगा।
भारत की भूमिका – Spiritual Soft
Power
अमेरिका की National Intelligence Council की रिपोर्ट के अनुसार: “India will be looked upon to lead the world with its soft power – Spiritualism.”
भारत को वैश्विक दिशा देने के लिए अपनी नैतिक–आध्यात्मिक शक्ति को पुनर्जीवित करना होगा। यही IMCTF का लक्ष्य है।
उद्देश्य
- युवाओं का चरित्र निर्माण
- भारत के सांस्कृतिक आत्मविश्वास का पुनर्जीवन
- राष्ट्र को एक आध्यात्मिक विकल्प के रूप में खड़ा करना
- समाज, संस्कृति, राष्ट्र और प्रकृति के प्रति उत्तरदायित्व की भावना विकसित करना
दर्शन – वसुधैव कुटुम्बकम्
IMCTF एक ऐसे विश्व की कल्पना करता है जिसमें —
- मनुष्य और मनुष्य के बीच करुणा
- मनुष्य और जीव के बीच सह-अस्तित्व
- मनुष्य और प्रकृति के बीच संतुलन
- मनुष्य और राष्ट्र के बीच समर्पण हो
1. वन एवं वन्यजीव संरक्षण
Conserve Forest & Protect Wildlife
🔸 उद्देश्य:
- प्रकृति की रक्षा का संस्कार बाल एवं युवा मन में रोपण करना
- जैव विविधता के प्रति श्रद्धा और सह-अस्तित्व की भावना जगाना
भाव: “वनम् देवालयः इव” — वन को देवालय के समान पवित्र मानना।
🔸 संस्कार:
- वृक्ष वंदना: वृक्षों को जीवनदायिनी देवता मानकर पूजा करना
- नाग वंदना: नागों को धरती के रक्षक, पारिस्थितिकीय संतुलन के प्रतीक के रूप में सम्मान देना
🔸 प्रतीक:
- वृक्ष, वन, नाग, वन्य पशु-पक्षी
2. पारिस्थितिकी संरक्षण
Preserve Ecology
🔸 उद्देश्य:
- पारिस्थितिकी में संतुलन के लिए सभी प्राणियों और वनस्पतियों की महत्ता समझाना
भाव: “प्रकृति रक्षति रक्षितम्” — जो प्रकृति की रक्षा करता है, प्रकृति उसकी रक्षा करती है।
🔸 संस्कार:
- गौ वंदना – गौमाता को पालनकर्ता के रूप में देखना
- गज वंदना – गज (हाथी) को वन-समृद्धि का प्रतीक मानना
- तुलसी वंदना – औषधीय पौधों के प्रति श्रद्धा का भाव
🔸 प्रतीक:
- गौ, गज, तुलसी, समस्त वनस्पति और प्राणी-जगत
3. पर्यावरण संरक्षण
Sustain Environment
🔸 उद्देश्य:
- पर्यावरण के तत्वों के प्रति कृतज्ञता, संरक्षण, और स्वच्छता का भाव उत्पन्न करना
भाव: “माता भूमिः पुत्रोऽहं पृथिव्याः” — यह पृथ्वी मेरी जननी है, मैं उसका पुत्र हूँ।
🔸संस्कार:
- भूमि वंदना – धरती को जननी के रूप में पूजना
- गंगा वंदना – नदियों को पवित्र जीवनधारा मानकर उनका संरक्षण
🔸 प्रतीक:
- पृथ्वी, नदियाँ, जल स्रोत, पर्वत, आकाश
4. पारिवारिक एवं मानवीय मूल्य स्थापना
Inculcate Family & Human Values
🔸 उद्देश्य:
- कृतज्ञता, सेवा, नम्रता, और अनुशासन का भाव बालकों में उत्पन्न करना
भाव: “पितृदेवो भव, मातृदेवो भव, आचार्यदेवो भव, अतिथि देवो भव”
🔸 संस्कार:
- मातृ-पितृ वंदना – माता-पिता को ईश्वर के तुल्य मानकर श्रद्धा
- आचार्य वंदना – गुरुजनों के प्रति सम्मान
- अतिथि वंदना – अतिथि को देव मानना
🔸 प्रतीक:
- माता-पिता, गुरु, अतिथि, वृद्धजन
5. नारी सम्मान की पुनर्स्थापना
Foster Women’s Honour
🔸 उद्देश्य:
- स्त्री को उपभोग की वस्तु नहीं, सम्माननीय शक्ति के रूप में देखना
- समाज में स्त्री-पुरुष समत्व, गरिमा और सुरक्षा को पुनर्स्थापित करना
भाव: “या देवी सर्वभूतेषु मातृरूपेण संस्थिता...”
🔸 संस्कार:
- कन्या वंदना – कन्या को देवी रूप मानकर सम्मान
- सुवासिनी वंदना – मातृत्व और स्त्री गरिमा का आदर
🔸 प्रतीक:
- कन्याएँ, मातृत्व, गृहलक्ष्मी, वधू
6. राष्ट्रभक्ति की भावना का जागरण
Instill Patriotism
🔸 उद्देश्य:
- देशभक्ति, राष्ट्र सेवा, और आत्म-बलिदान के प्रति प्रेरणा देना
- भारत को "विष्वगुरु" के रूप में पुनर्स्थापित करने का भाव
भाव: “जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी”
🔸 संस्कार
- भारत माता वंदना – देश को माता रूप में देखना
- परमवीर वंदना – शहीदों के प्रति श्रद्धांजलि
🔸 प्रतीक:
- भारतमाता, राष्ट्रध्वज, शहीद सैनिक, स्वतंत्रता सेनानी
त्रिकोणीय कार्यनीति – उद्देश्य, संस्कार और प्रतीक
IMCTF प्रत्येक सांस्कृतिक विषय को एक त्रिकोणीय संरचना में समझाता है:
- थीम (Theme): उद्देश्य
- संस्कार (Sanskara): भावनात्मक प्रेरणा
- प्रतीक (Symbol): दृश्य प्रभाव
विषय (Theme) |
संस्कार (Sanskara) |
प्रतीक (Symbol) |
वन एवं वन्यजीव संरक्षण |
वृक्ष वंदना, नाग वंदना |
वृक्ष, पशु, नाग |
पारिस्थितिकी संरक्षण |
गौ, गज, तुलसी वंदना |
गाय, हाथी, तुलसी, वनस्पति जगत |
पर्यावरण संरक्षण |
भूमि वंदना, गंगा वंदना |
पृथ्वी, नदियाँ, जलस्रोत |
पारिवारिक व मानवीय मूल्य |
मातृ-पितृ, आचार्य, अतिथि वंदना |
माता-पिता, गुरु, अतिथि, वृद्धजन |
नारी सम्मान |
कन्या वंदना, सुवासिनी वंदना |
कन्या, मातृत्व |
राष्ट्रभक्ति |
भारतमाता वंदना, परमवीर वंदना |
भारतमाता, शहीद सैनिक |
किसके लिए?
IMCTF का आह्वान समाज के हर जागरूक नागरिक से है:
- स्कूल प्रबंधन, प्राचार्य, शिक्षक
- अभिभावक
- सामाजिक नेता
- राष्ट्र निर्माण में रुचि रखने वाले युवा
कार्यक्रमों की विशेषताएँ
- सांस्कृतिक पुनर्जागरण के माध्यम से युवा मन का निर्माण
- भारतीय प्रतीकों के माध्यम से संस्कारों की गहराई
- जीवनशैली और आचरण में मूल्यों की प्रतिष्ठा
- संवेदनशील नागरिकता, पर्यावरणीय उत्तरदायित्व और देशभक्ति का बोध
आदर्श वाक्य
"Value Building is Nation Building"
“मूल्य-निर्माण ही राष्ट्र-निर्माण है।”
समर्पण और आह्वान
भारत को “विश्वगुरु” बनाने के लिए हम सबका यह साझा संकल्प है।
हम आमंत्रित करते हैं — आइए, इस यज्ञ में सहभागी बनें।
“प्रगति की राह पर अग्रसर आप और हम — जय हिन्द।”
वन्दे मातरम्।
आह्वान – एक पवित्र यज्ञ में सहभागी बनने का
1. हम आपसे आग्रह करते हैं कि आप IMCTF के साथ एक प्राचार्य, प्रबंधन सदस्य, शिक्षक या अभिभावक के रूप में जुड़ें।
2. समाज आपसे अपेक्षा करता है —
आप मात्र शिक्षक या पालक नहीं...
आप हैं:
- धरोहर के दीपधारक — Torchbearer of our
Cultural Heritage
- माटी को आकार देने वाले मृत्तिका-शिल्पी — Ceramist or Potter
of Young Minds
- आदर्श प्रेरक व्यक्तित्व — Role Model
- मार्गदर्शक और पथप्रदर्शक नेता — Path-Founder &
Inspiring Leader
- कर्तव्यनिष्ठ नागरिक — Responsible Citizen
of Bharat
3. IMCTF क्यों?
आज के युवाओं को संस्कार, संस्कृति और आत्मचेतना की आवश्यकता है।
जो बालक-बालिकाएं भारतीय आध्यात्मिक परंपरा से दूर होते जा रहे हैं और जिन पर पाश्चात्य जीवनशैली का नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है, उनके लिए IMCTF एक संरक्षक बनकर उभरता है।
- हम प्रतीकों और संस्कारों के माध्यम से मूल्यनिष्ठ और सांस्कृतिक प्रशिक्षण प्रदान करते हैं।
- हम उनके मन, आचरण, चरित्र और जीवनशैली को भारतीय जीवन मूल्यों के अनुरूप आकार देते हैं।
- हम उन्हें सिखाते हैं — मातृ-पितृ-गुरु वंदन, स्त्री-सम्मान, प्रकृति और राष्ट्र आराधना।
4. हमारा दृढ़ विश्वास है —
"मूल्य निर्माण ही राष्ट्र निर्माण है"
IMCTF का मूल मंत्र:
“Value Building is Nation Building”
5. आइए, हम सब मिलकर इस पुण्य कार्य में सहभागी बनें।
भारत को फिर से “विश्वगुरु” बनाने के इस महान प्रयास में आपकी सहभागिता स्वागतयोग्य है।
IMCTF एक नैतिक-सांस्कृतिक प्रशिक्षणअभियान है जो भारतीय युवाओं में संस्कार, कर्तव्यबोध और राष्ट्रभक्ति को पुनर्स्थापित करता है। “मूल्य निर्माण ही राष्ट्र निर्माण है” — इसी सिद्धांत पर आधारित यह पहल भावी पीढ़ी को भारतीय संस्कृति, पर्यावरण, परिवार और राष्ट्र के प्रति जागरूक एवं कर्मशील बनाती है।
वन्दे मातरम्
प्रगति की राह पर अग्रसर आप और हम – जय हिन्द
टैग्स: #IMCTF #Value Building, #Nation Building, #Spiritual India, #Cultural Renaissance, #नैतिक शिक्षा, #सांस्कृतिक मूल्य, #राष्ट्र निर्माण, #संस्कार निर्माण, #भारतीय संस्कृति, #भारतीय जीवन मूल्य, #पर्यावरण संरक्षण, #परिवार और समाज,#नारी सम्मान, #राष्ट्रभक्ति, #संस्कार और प्रतीक, #वसुधैव कुटुम्बकम्