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Thursday, November 5, 2015

गोवंश गौरव भारत भाग ३: गायों की दुर्दशा क्यों और इसके लिए जिम्मेदार कौन


गोवंश गौरव भारत भाग ३: गायों की दुर्दशा क्यों और इसके लिए जिम्मेदार कौन








गोवंश की इस दुर्दशा के लिए कौन जिम्मेदार है और कैसे हम गोमाता को उसका पुराण गौरव लौटा सकते हैं? यह एक ज्वलंत प्रश्न है और हमें इसका जवाब ढूँढना ही होगा। लोगों की राय यह है की हमारा लालच और जिम्मेदारी दूसरों पर थोपने की वृत्ति के कारन ऐसा हो रहा है. हम लालच में आकर गायों से दूध और अन्य चीजें पाना तो चाहते हैं पर उसकी सेवा नहीं करना चाहते। यदि किसान और गोपालक गाय को पालेगा नहीं तो गोवंश किस प्रकार से देश में विकसित होगा? और जब वो अनुपयोगी करार दे दी जायेगी तो उसे कत्लखाने जाने से कैसे रोका जा सकता है? 


किन्ही अज्ञात कारणों से देशी गायों की नस्ल बिगड़ गई और उसने दुध देना कम कर दिया था और तब से ही भारतीय गोपालक विदेशी गायों की और आकर्षित हुआ और देशी गायों की उपेक्षा का दौर शुरू हो गया. जिससे उचित आहार एवं भरण पोषण के आभाव में नस्ल और भी बिगड़ती चली गई और देशी गाय का दूध २-३ लीटर तक सिमट कर रह गया. जहाँ विदेशी गायें २० से ले कर ४० लीटर तक दूध देती है वहीँ देशी गायों की यह हालत! 


जबसे रासायनिक खाद का प्रचलन बढ़ा तब से किसान ने गोबर के स्थान पर यूरिया का प्रयोग शुरू कर दिया और बैलों का स्थान ट्रैक्टर ने ले लिया। इससे उपयोगी बैल नकारा हो गया और गोबर भी कंडे जलाने मात्र के काम का रह गया. गोमूत्र का उपयोग हम भूल गए और न ही कीटनियंत्रक के रूप में न ही औषधी के रूपमे हम गोमूत्र का प्रयोग करते हैं. 


पहले के जमाने में राजा महाराजा लोग गायों मुफ्त में चरने के लिए गोचर भूमि छोड़ देते थे स्वतंत्रता के बाद गोचर भूमि में कमी आई. हालाँकि कुछ राज्य सरकारें अभी भी गोचर भूमि सुरक्षित रखती है लेकिन हम उसमे भी अतिक्रमण करने से नहीं चूकते। गाय को गोमाता मैंनेवाले समाज में गोचर भूमि का अतिक्रमण केवल अपने थोड़े से लाभ के लिए क्यों? राजस्थान जैसे राज्य में गोचर के अलावा ओरण भी होता था परन्तु अब तो उसमे भी अतिक्रमण की समस्या विकराल हो चुकी है, ऐसी स्थिति में गायों का पालन कैसे हो सकता है. आवश्यकता इस बात की है की गोचर एवं ओरण की सभी जमीन तत्काल प्रभाव से अतिक्रमण से मुक्त हो.


हम सरकारों से बहुत अपेक्षाएं रखते हैं और लोकतंत्र में कल्याणकारी राष्ट्रों को इन अपेक्षाओं को पूरा भी करना चाहिए परन्तु हम कुछ न करें उलटे गायों के लिए नुकसानदायक काम करें और सरकारों से अपेक्षा रखें ये नहीं हो सकता। हम सभी गोभक्तों   होगा, जिम्मेदारी लेनी होगी की गाय सड़क पर कचरा न खाए, उसे भरपेट पौष्टिक भोजन मिले और उसकी  सम्भाल होती रहे. 



गोवंश गौरव भारत भाग २: गायों की वर्तमान दयनीय स्थिति


गोवंश गौरव भारत : अतीत के पृष्ठ



मांस निर्यात पर 25 हज़ार करोड़ रुपये की सब्सिडी क्यों?


ज्योति कोठारी
संस्थापक कोषाध्यक्ष,
गो एवं प्रकृतिमूलक ग्रामीण विकास संस्थान

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