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Wednesday, February 19, 2025

भारतीय संवत्सर में अयन, चातुर्मास, ऋतू, मास एवं उनका नक्षत्रों व राशियों से सम्बन्ध

 

भारतीय संवत्सर : अयन, चातुर्मास, ऋतु और मास  

भारतीय पंचांग की संरचना अत्यंत वैज्ञानिक और खगोलीय आधार पर टिकी हुई है। सूर्य एवं पृथ्वी की सापेक्षिक गति के आधार पर एक संवत्सर को दो अयनों में विभाजित किया गया है। प्रत्येक अयन 6 माह का होता है। इसकी गणना सौर वर्ष एवं सौर मास के अनुसार की जाती है।


भारतीय खगोल विज्ञानं को दर्शाता एक कलात्मक चित्र 

✅ अयन

दो अयनों के नाम हैं:

  1. उत्तरायण (सामान्यतः 14 जनवरी से प्रारंभ)

  2. दक्षिणायन (सामान्यतः 14 जुलाई से प्रारंभ)

उत्तरायण सूर्य के मकर राशि में प्रवेश के साथ प्रारंभ होता है और दक्षिणायन कर्क राशि में। इनका भारतीय मौसम, कृषि, एवं धार्मिक क्रियाकलापों से गहरा संबंध है।

✅ चातुर्मास

वर्ष को तीन चातुर्मासों में भी बांटा गया है:

  1. आषाढ़  चातुर्मास

  2. कार्तिक चातुर्मास

  3. फाल्गुन चातुर्मास

वैदिक परंपरा में सम्बंधित मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि से चातुर्मास का प्रारंभ माना जाता है जबकि जैन परंपरा में पूर्णिमा से। इन तीनों चातुर्मासों में आषाढ़ चातुर्मास का विशेष महत्व है। वैदिक मान्यता के अनुसार, इस काल में देव शयन करते हैं, इसलिए आषाढ़  मास की शुक्ल एकादशी को 'देवशयनी एकादशी' तथा कार्तिक मास की शुक्ल एकादशी को 'देवउठनी एकादशी' कहा जाता है।

जैन परंपरा में, आषाढ़ चातुर्मास के दौरान निरंतर पद विहार करने वाले साधु-साध्वी एक स्थान पर रहकर विशेष तप और साधना करते हैं।

✅ ऋतुएँ और मास

एक संवत्सर को 6 ऋतुओं और 12 मासों में भी बांटा गया है. 6 ऋतुओं का वर्णन केवल भारत में ही पाया जाता है. अन्य देशों में परयह तीन या चार ऋतुओं का ही विवरण मिलता है. 

  1. ग्रीष्म (वैशाख-ज्येष्ठ)

  2. वर्षा (आषाढ़-श्रावण)

राजस्थान में वर्षा ऋतू का एक दृश्य 


  1. शरद (भाद्रपद-आश्विन)

  2. हेमंत (कार्तिक-मार्गशीर्ष)

  3. शिशिर (शीत) (पौष-माघ)

  4. वसंत (फाल्गुन-चैत्र)


बसंत ऋतू में फूलों की बहार को निहारते नर नारी 

भारतीय ज्योतिष के अनुसार, यह विभाजन पृथ्वी की सूर्य के चारों ओर गति और मौसम के परिवर्तन पर आधारित है।

✅ भारतीय माह और नक्षत्र संबंध

विश्व में सर्वप्रथम भारतीय खगोलविदों ने सूर्य और चंद्रमा की सापेक्ष गति के आधार पर वर्ष के समय मान का निर्धारण किया और उसे 12 भागों में विभाजित किया। इसका सम्बन्ध १२ राशियों से है. किसी एक राशि में सूर्य के प्रवेश से उस सौर माह का प्रारम्भ होता है. इसे संक्रांति भी कहते हैं जैसे १४ जनवरी को सूर्य के मकर राशि में प्रवेश को मकर संक्रांति कहते हैं. इसी दिन से सौर माघ माह का भी प्रारम्भ होता है. 

भारतीय परंपरा में चांद्र और सौर, दोनों प्रकार के मास होते हैं, परंतु दोनों का नाम समान होता है। सामान्य भाषा में इन्हें माह या महीना कहा जाता है।

महीनों के नाम पूर्णिमा पर आने वाले नक्षत्र के आधार पर रखे गए हैं। नीचे 12 भारतीय महीनों के मूल संस्कृत एवं प्रचलित हिंदी नाम दिए गए हैं:

संस्कृत नामहिंदी नाम
चैत्र (Chaitra)चैत
वैशाख (Vaishakha)वैशाख
ज्येष्ठ (Jyeshtha)जेठ
आषाढ़  (Ashadha)आषाढ़ 
श्रावण (Shravana)श्रावण
भाद्रपद (Bhadrapada)भादवा / भादो
आश्विन (Ashwina)आश्विन / आसोज, क्वार
कार्तिक (Kartika)कार्तिक
मार्गशीर्ष/अग्रहायण (Margashirsha)अगहन / मगसिर
पौष (Pausha)पोष
माघ (Magha)माघ
फाल्गुन (Phalguna)फागुन / फाग

✅ प्रत्येक हिन्दी माह और उससे जुड़े नक्षत्रों का संक्षिप्त विवरण:

  1. चैत्र (Chaitra) - चित्रा (Chitra)

  2. वैशाख (Vaishakha) - विशाखा (Vishakha)

  3. ज्येष्ठ (Jyeshtha) - ज्येष्ठा (Jyeshtha)

  4. आषाढ़  (Ashadha) - पूर्वाषाढ़ा  (Purvashadha)

  5. श्रावण (Shravana) - श्रवण (Shravana)

  6. भाद्रपद (Bhadrapada) - पूर्वभाद्रपद (Purvabhadrapada)

  7. आश्विन (Ashwin) - अश्विनी (Ashwini)

  8. कार्तिक (Kartika) - कृत्तिका (Krittika)

  9. मार्गशीर्ष (Margashirsha) - मृगशिरा (Mrighashira)

  10. पौष (Pausha) - पुष्य (Pushya)

  11. माघ (Magha) - मघा (Magha)

  12. फाल्गुन (Phalguna) - उत्तरा फाल्गुनी (Uttara Phalguni)

भारतीय महीनों से सम्बंधित नक्षत्र एवं उनका प्रभाव 

1. चैत्र (Chaitra)

  • संबंधित नक्षत्र: चित्रा (Chitra)
  • विवरण: इस माह का नाम 'चित्रा' नक्षत्र से लिया गया है। इस नक्षत्र का प्रभाव रचनात्मकता, सौंदर्य और कला में बढ़ोतरी के रूप में देखा जाता है।

🌸 2. वैशाख (Vaishakha)

  • संबंधित नक्षत्र: विशाखा (Vishakha)
  • विवरण: वैशाख माह का संबंध 'विशाखा' नक्षत्र से है, जो ऊर्जा, परिश्रम और उपलब्धियों का प्रतीक माना जाता है।

🔥 3. ज्येष्ठ (Jyeshtha)

  • संबंधित नक्षत्र: ज्येष्ठा (Jyeshtha)
  • विवरण: इस माह का नाम 'ज्येष्ठा' नक्षत्र से जुड़ा है, जो नेतृत्व, शक्ति और गंभीरता का प्रतीक है।

🌊 4. आषाढ़ (Ashadha)

  • संबंधित नक्षत्र: पूर्वाषाढ़ा (Purvashadha)
  • विवरण: 'पूर्वाषाढ़ा' नक्षत्र से संबंधित यह माह संघर्ष और विजय का संकेत देता है।

🌧️ 5. श्रावण (Shravana)

  • संबंधित नक्षत्र: श्रवण (Shravana)
  • विवरण: श्रावण माह 'श्रवण' नक्षत्र से जुड़ा है, जो आध्यात्मिकता, ध्यान और ज्ञान प्राप्ति के लिए शुभ माना जाता है।

🍂 6. भाद्रपद (Bhadrapada)

  • संबंधित नक्षत्र: पूर्वभाद्रपद (Purvabhadrapada)
  • विवरण: इस माह का नाम 'पूर्वभाद्रपद' नक्षत्र पर आधारित है, जो रहस्यवाद, तपस्या और आत्मज्ञान का प्रतीक है।

🍁 7. आश्विन (Ashwin)

  • संबंधित नक्षत्र: अश्विनी (Ashwini)
  • विवरण: 'अश्विनी' नक्षत्र से संबंधित इस माह में नई शुरुआत और उपचार की शक्ति होती है।

🪔 8. कार्तिक (Kartika)

  • संबंधित नक्षत्र: कृत्तिका (Krittika)
  • विवरण: 'कृत्तिका' नक्षत्र से प्रेरित, यह माह शुद्धि, तप और शक्ति का संकेत देता है।

❄️ 9. मार्गशीर्ष (Margashirsha)

  • संबंधित नक्षत्र: मृगशिरा (Mrighashira)
  • विवरण: 'मृगशिरा' नक्षत्र से जुड़ा यह माह ज्ञान, खोज और रचनात्मकता के लिए उत्तम माना जाता है।

🌬️ 10. पौष (Pausha)

  • संबंधित नक्षत्र: पुष्य (Pushya)
  • विवरण: 'पुष्य' नक्षत्र से संबंधित इस माह में आध्यात्मिक उन्नति और समृद्धि का विशेष महत्व है।

🌿 11. माघ (Magha)

  • संबंधित नक्षत्र: मघा (Magha)
  • विवरण: 'मघा' नक्षत्र से जुड़ा माघ माह पूर्वजों के सम्मान और कर्मकांडों के लिए शुभ माना जाता है।

🌼 12. फाल्गुन (Phalguna)

  • संबंधित नक्षत्र: उत्तरा फाल्गुनी (Uttara Phalguni)
  • विवरण: 'उत्तरा फाल्गुनी' नक्षत्र से संबंधित यह माह प्रेम, आनंद और रचनात्मकता का प्रतीक है।

✅ विशेष नक्षत्र-संबंध

आषाढ़ और भाद्र मास का संबंध दो-दो नक्षत्रों से है:

  • आषाढ़  : पूर्वाषाढ़ा (Purvashadha) एवं उत्तराषाढ़ा (Uttarashadha)

  • भाद्रपद : पूर्वभाद्रपद (Purvabhadrapada) एवं उत्तरभाद्रपद (Uttarabhadrapada)

✨ निष्कर्ष

भारतीय संवत्सर की यह वैज्ञानिक प्रणाली नक्षत्रों, ऋतुओं और धार्मिक आस्थाओं का अद्भुत समन्वय है। महीनों के नाम नक्षत्रों पर आधारित होने के कारण हर मास का एक विशिष्ट ज्योतिषीय और धार्मिक महत्व है। पंचांग न केवल समय का मापदंड है, बल्कि यह जीवन के आध्यात्मिक और प्राकृतिक चक्रों का प्रतीक भी है।



Thanks, 
Jyoti Kothari (Jyoti Kothari, Proprietor, Vardhaman Gems, Jaipur represents Centuries Old Tradition of Excellence in Gems and Jewelry. He is adviser, Vardhaman Infotech, a leading IT company in Jaipur. He is also ISO 9000 professional)

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