Search

Loading
Showing posts with label सत्रह भेदी. Show all posts
Showing posts with label सत्रह भेदी. Show all posts

Wednesday, July 15, 2009

अजीमगंज में पूजा

अजीमगंज जियागंज में अनेक धार्मिक अनुष्ठान होते थे एवं होते हैं। यहाँ मंदिरों में विभिन्न प्रकार की पूजाएँ पढ़ाई जाती थी। मंदिरों में प्रति दिन स्नात्र पूजा होती थी। इसके अलावा यहाँ नवपद जी की पूजा का विशेष महत्वा था। ओलीजी के आलावा भी हर महीने कम से कम एक वार नवपद जी की पूजा जरूर होती थी। ओलीजी के समय नवपद मंडल की पूजा श्री नेमिनाथ जी के मन्दिर में वर्षों से बड़े धूमधाम के साथ होती है। श्री हरख चंद जी रुमाल ने सब से पहले यह पूजा श्री नेमिनाथ जी के मन्दिर में शुरू करवाई थी. पहले यहाँ श्री सम्भवनाथ जी के मन्दिर में दुगड़ परिवार की और से करवाया जाता था।
हर खुशी के मौके पर जैसे शादी होने पर या कोई बड़ी तपस्या (अट्ठाई, मासक्षमन आदि) करने पर सत्रह भेदी पूजा करवाने का रिवाज़ था।
किसी की मौत होने पर अथवा व्रत धारण करने पर बारह व्रत की पूजा करवाई जाती थी।
इसके अलावा पञ्च कल्याणक, पञ्च ज्ञान, पञ्च परमेष्ठी, वीस स्थानक अदि की पूजाएँ भी होती थी।
दादाबाडी में भाव पूर्वक दादा गुरु की पूजा करवाई जाती है।
यहाँ पर काफी अच्छे गायक कलाकार थे एवं आज भी हैं। यहाँ पूजाएँ बहुत अच्छी तरह से विधि विधान के साथ व सुंदर गायकी से होता है।

allvoices