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शनिवार, 9 अक्टूबर 2010

आमेर में अठारह अभिषेक एवं दादागुरु देव पूजन संपन्न, मेला आज

  आमेर श्री चंदाप्रभु भगवान के मंदिर व दादाबाड़ी में अठारह  अभिषेक  एवं  दादागुरु  देव  पूजन कल ९ अक्टूबर को संपन्न हुआ. अमर तीर्थ पर ऐतिहासिक मेला आज दिनांक १० अक्टूबर को होने जा रहा है. इस अवसर पर परम पूज्य साध्वी श्री मणिप्रभा श्री जी की सुशिष्या गण प्. पु. साध्वी विद्युत्प्रभा श्री जी, हेमप्रज्ञा  श्री जी, संयम निधि श्री जी, आत्मनिधि  श्री जी आदि प्रातः ५.१५ बजे शिव जी राम भवन से पैदल बिहार कर आमेर पहुचेंगी.  इस अवसर पर अनेक श्रावक श्राविकाएं भी उनके साथ होंगे.

मेले में आज श्री नन्दीश्वर द्वीप की पूजा पढाई जाएगी. यह प्राचीन पूजा आमेर मंदिर में ही दो सौ वर्ष पूर्व रचित हुई थी. तब से ही यह पूजा यहाँ पर अनवरत रूप से होती चली आ रही है.


पूजा के बाद साधर्मी वात्सल्य का आयोजन है. इस कार्यक्रम में लगभग २५०० से ३००० लोगों के उपस्थित रहने की सम्भावना है. श्वेताम्बर आम्नाय के सभी पंथ खरतर गच्छ, तप गच्छ, स्थानक वासी, तेरापंथी आदि सभी इस मेले में भाग लेते हैं.
कार्यक्रम का आयोजन श्री जैन श्वेताम्बर खरतर गच्छ संघ, जयपुर  की और से कराया जा रहा है.

Amber Jain temple


Map of Amber temple

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बुधवार, 15 जुलाई 2009

अजीमगंज में पूजा

अजीमगंज जियागंज में अनेक धार्मिक अनुष्ठान होते थे एवं होते हैं। यहाँ मंदिरों में विभिन्न प्रकार की पूजाएँ पढ़ाई जाती थी। मंदिरों में प्रति दिन स्नात्र पूजा होती थी। इसके अलावा यहाँ नवपद जी की पूजा का विशेष महत्वा था। ओलीजी के आलावा भी हर महीने कम से कम एक वार नवपद जी की पूजा जरूर होती थी। ओलीजी के समय नवपद मंडल की पूजा श्री नेमिनाथ जी के मन्दिर में वर्षों से बड़े धूमधाम के साथ होती है। श्री हरख चंद जी रुमाल ने सब से पहले यह पूजा श्री नेमिनाथ जी के मन्दिर में शुरू करवाई थी. पहले यहाँ श्री सम्भवनाथ जी के मन्दिर में दुगड़ परिवार की और से करवाया जाता था।
हर खुशी के मौके पर जैसे शादी होने पर या कोई बड़ी तपस्या (अट्ठाई, मासक्षमन आदि) करने पर सत्रह भेदी पूजा करवाने का रिवाज़ था।
किसी की मौत होने पर अथवा व्रत धारण करने पर बारह व्रत की पूजा करवाई जाती थी।
इसके अलावा पञ्च कल्याणक, पञ्च ज्ञान, पञ्च परमेष्ठी, वीस स्थानक अदि की पूजाएँ भी होती थी।
दादाबाडी में भाव पूर्वक दादा गुरु की पूजा करवाई जाती है।
यहाँ पर काफी अच्छे गायक कलाकार थे एवं आज भी हैं। यहाँ पूजाएँ बहुत अच्छी तरह से विधि विधान के साथ व सुंदर गायकी से होता है।

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