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Wednesday, May 19, 2010

वर्त्तमान स्थिति में धार्मिक स्थलों के चुनाव: विचारनीय तथ्य

वर्त्तमान युग प्रजातंत्र का युग है. बिभिन्न सरकारी निकायों में निरंतर चुनाव होते रहते हैं चाहे वो लोकसभा हो या विधान सभा. पंचायत हो या नगर पालिका. इन में राजनीती होती ही रहती है. अलग अलग राजनैतिक दल मतदाताओं को लुभाने एवं अपने पक्ष में करने के लिए तरह तरह के हथकंडे अपनाते हैं. अधिकतर समय ये हथकंडे नैतिकता की सीमायें लांघ जाते हैं.

इसी प्रकार बिभिन्न सार्वजनिक संस्थाओं के भी चुनाव होते रहते हैं. उनमें भी स्वार्थ परक राजनीति की दूषित परम्पराएँ देखने को मिल रही है. सामाजिक एवं धार्मिक संस्थाएं भी अब इस रोग से अछूती नहीं रही. धार्मिक संस्थाओं के चुनाव भी अब राजनैतिक अखाड़ों में परिवर्तित होने लगे हैं. सेवा, सद्भावना, आस्था का स्थान अब धनवल एवं इसी प्रकार की अन्य वस्तुओं  ने ले लिया है. प्रायः आज के साधू साध्वी वर्ग भी राजनीति में लिप्त होते नजर आ रहे हैं.

यहाँ स्थिति विषम तो है ही साथ ही सामाजिक समरसता को भी भंग करने वाली है. जैन समाज के चुनाव भी इस बीमारी से अछूते नहीं हैं. अब चुनाव प्रायः कर के अपने अपने अहम् की तुष्टि के लिए लड़ा जाणे लगा है. किसी भी प्रकार से धन उपार्जन करने वाला समाज का श्रेष्ठी वर्ग प्रायः सामाजिक पदों को प्राप्त करने के लिए अपने धनवल का उपयोग करते हैं. आज ये भी देखने में आता है की साधू साध्वी वर्ग भी इन्ही श्रेष्ठीओं को अपने अपने प्रोजेक्ट्स को पूरा करने के लिए तबज्जो देता है.
समाज का साधारण वर्ग भी ऐसी स्थिति में किसी एक या अन्य गुट  में सम्मिलित हो जाता है.

फिर शुरू होती है एक दुसरे से आगे निकलने की अंधी दौड़. प्रायः एक गुट एवं उसके कार्यकर्ता अन्य गुट को नीचा दिखाने का कोई अवसर हाथ से जाने नहीं देते. इस तरह शुरू हो जाती है वैमनस्यता, लड़ाई झगडे. इन चुनाव एवं चुनावोत्तर परिश्थितियो में कषायों को खुला पोषण मिलता है.

ऐसी स्थिति में "धर्मं" कहन टिक पायेगा?   ये एक ऐसा विचारनीय बिंदु है जिस पर साधू, साध्वी, श्रावक, श्राविका सभी को मिल बैठ कर विचार करना चाहिए.

क्या हम ऐसी स्थिति का फिर से निर्माण नहीं कर सकते जहाँ विनम्र, सेवा भावी, कर्मठ एवं धर्मात्मा लोग सामाजिक संस्थाओं के पदाधिकारी बनें जिससे जिन शासन  की निरंतर एवं उत्तरोत्तर वृद्धि हो सके. 
निवेदक 
ज्योति कोठारी

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Sunday, December 6, 2009

Election results Jaipur Bar Association

Election of Jaipur Bar Association occurred on November 19, 2009 and result was declared on November 20, 2009.



Election Officer
Advocate Pradip Chouhan


Election officer Advocate Pradip Chouhan informed that there are 5505 voters for Jaipur Bar Association. 3591 (65%) had voted in this election.

He added that Mr. Sharma elected as President and Mr. Anup Pareek as Secretary. MS. Anjana Jaiswal and Mr. Mahesh Sharma elected as Vice-Presidents. Mr. Anil Shekhawat has chosen for the post of Treasurer and MS. Jyoti Saini as Deputy Treasurer.

12 more members were elected for Executive committee.

All the elected Office bearers and Committee members have taken their Oath in a ceremony arranged on November 30, 2009. Hon'ble Justice R S Chouhan and Hon'ble Justice Munishwarnath Bhandari             ( Rajasthan High Court) were present as guests along with Mr. Ghanashyam Tiwari, Former Education Minister, Rajasthan and MLA, Sanganer, Jaipur.

Thanks,
Jyoti Kothari

Jyoti Kothari is an author and hubber who writes about Gems and Jewelry, India, Economy, Finance, Management, Skills, Job, Employment, Food, Environment, Jainism and on many other topics.
He is proprietor, Vardhaman Gems, Jaipur, representing centuries old tradition of Excellence in Gems and Jewelry.

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