नूतन वर्षाभिनंदन
नव वर्ष के नूतन प्रभात में
नीलाम्बर को अपनी
निर्मल ज्योत्स्ना से
निरंतर प्रभासित करने वाला
नील गगन का ज्योतिर्पुंज
नित्य ही हमारी
नेह पाती को अपने
नव प्रकाश के
निर्झर से पल्लवित कर
नव चेतना, नव उत्साह
नव जागरण, नव आशा का
नवोदय करे
नियति के
नियामक से यही मेरी
नम्र विनती है !!!
( यह सुंदर कविता मुझे मेरे मित्र श्री कमल कुमार बेगानी, रायपुर ने गत विक्रम संवत के प्रारम्भ में हाथ से लिख कर भेजी थी। उस स्नेह सिक्त पद्य को यहाँ आप के लिए ज्यों का त्यों प्रस्तुत किया गया है। धन्यवाद।) ज्योति कोठारी
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