कुछ ख़ास मिठाइयाँ: मालपुआ, छुआरे की गोली, जमाओ, मोतीचूर (मिहिदाना) के लड्डू, बोडे का बुंदिया, सांकली,गुड का खाजा , चीनी का खाजा, ठेकुआ, मेथी का लड्डू, सोंठ का लड्डू, घाल का लड्डू, चिट्ठा पेडा, सत्तू का लड्डू, कोंढे का मुरब्बा, आदि कुछ मिठाइयाँ वहां की विशेषता है। चावल के लड्डू जिसे नन्द्याल कहते थे वह नवपद जी की ओली में चढाने के लिए बनता था। इस के अलावा और बहुत सी मिठाईया भी बनती है जो common है।
वहां का पीठा और नीमस भी बहुत प्रसिद्ध है। पके आम का पापड और चुरा सिर्फ़ यहीं बनता है.
ख़ास नमकीन: मोयन की पुडी, कलाई की कचोडी आदि वहां की कुछ ख़ास नमकीन है। वहां की खीरे व कमल गट्टे की कचोडी, छाते (कमल गट्टा) की खिचडी, सिंगाड़ा-दही की खिचडी, सलोनी मेवे की खिचडी, भापिया आदि भी प्रसिद्ध है। बिना नमक की मठरी जिसे खाजली कहते थे वह भी ओली जी में चढाने के लिए बनता था।
सब्जी (तरकारी) : इन्डल, डूबकी का झोल, राइ खट्टे का परवल, खट्टा मीठा, पपीते व केले का दबदबा, खीरे की राडी, कच्चे केले की राडी, कद्दू बूट का दाल, खीरा बूट का दाल, कच्चे केले एवं परवल का अकरा, दही की तरकारी, मटर के दाल का चुरा, कटहल के बीज की चटनी व कद्दू एवं कच्चे केले के छिलके की सब्जी भी बनती है। खीरे के छिलके की चटनी एवं मटर के छिलके की सब्जी यहीं की खासियत है। यहाँ अम्बल पानी बनता है जिसे खिचडी के साथ खाया जाता है। पके कट्वेल की चटनी बहुत अच्छी लगती है.
आचार व मुरब्बे : सामान्य आचारों के अलावा यहाँ की कुट्टी मिर्ची विश्व प्रसिद्ध है। बोर की राडी और टिकिया एवं कट्वेल का पाचक भी बहुत स्वादिस्ट होता है।
आम का मुरब्बा बहुत तरह का बनता था जिसमे फकिया, लच्छा, व गोलिया प्रसिद्ध है। छुहारे का मुरब्बा भी बनता था।
शुक्रवार, 19 दिसंबर 2008
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1 टिप्पणी:
´pls put t recipes also...really looking fwd tpo recipe of peetha bhapiyaa
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