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Wednesday, September 9, 2009

अजीमगंज दादाबाडी में खात मुहूर्त व शिलान्यास भाग १

अजीमगंज दादाबाडी का खात मुहूर्त शिलान्यास दिनांक अक्तूबर २००९ को होने जा रहा है। अजीमगंज की प्राचीन दादाबाडी को पुरी तरह जमिन्दोज़ कर नए सिरे से निर्माण कराये जाने की योजना है।
इस विषय में अजीमगंज शहरवाली समाज में काफी विवाद है जिसके वारे में मैंने पिछले लेख में भी लिखा था। उसके बाद से मेंरे पास लगातार फ़ोन रहे हैं एवं लोग अपने अपने मत व्यक्त कर रहे हैं।

जैन धर्म के अनुसार चातुर्मास में किसी भी प्रकार के निर्माण कार्य का प्रायः निषेध किया जाता है। क्योंकि इस दौरान जीवोत्पत्ति अधिक होती है। लेकिन इस दादाबाडी को चातुर्मास के दौरान ही तोड़ने का एवं इसके बाद खात मुहूर्त व शिलान्यास का कार्यक्रम रखा गया है। काफी लोग इस बात से नाराज हैं एवं इसका विरोध कर रहे हैं। इसके अलावा शिलान्यास का मुहूर्त आश्विन शुक्ला पूर्णिमा को रखा गया है। यह दिन नवपद ओली का आखरी दिन है एवं इस दिन अजीमगंज में नवपद मंडल की पूजा वर्षों से होती आ रही है। मंडल जी की पूजा का अजीमगंज जिआगंज के शहरवाली समाज में बहुत महत्व है।

एक ही दिन में दो महत्व पूर्ण कार्यक्रम होने से लोग असमंजस में है।

कुछ लोग इस बात पर भी रोष जाहिर कर रहे हैं की दादाबाडी में भैरव जी के उत्थापन जैसा अत्यन्त महत्वपूर्ण कार्यक्रम बिना किसी विधिकारक के संपन्न करवाया गया है। रामबाग के भैरव जी की पुराने समय से बहुत अधिक मान्यता रही है। मन्दिर परिशर में स्थापित भैरव जी के उत्थापन के समय अनेकों विघ्न पुराने समय में भी आये थे एवं समर्थ पुरुषों के द्वारा ही उस विघ्न का निवारण हो पाया था। ज्ञातव्य है की भैरव जी के उत्थापन से प्रायः विधिकारक गण भी डरते हैं और इस काम को करने में हिचकिचाते हैं। ऐसी स्थिति में किसी अनजान व्यक्ति से यह काम करवाना उस व्यक्ति को खतरे में डालने जैसा हो सकता है

इतने बड़े निर्माण कार्य को करवाने से पहले उसका नक्शा बनवाना एवं संघ की सभा में उसे पारित करवाना आवश्यक था। साथ ही उसका बजट बनवाना भी आवश्यक था। बातचीत में निर्माण की लागत कभी ७० लाख तो कभी से डेढ़ करोड़ बताई जाती है परन्तु वास्तविकता क्या है पता नहीं। लोगों का कहना है की इन गंभीर अनियमितताओं के होते हुए दादाबाडी को जमिन्दोज़ करवाना कतई उचित नही है।

मेरा अजीमगंज समाज के ट्रस्टी गणों से निवेदन है की लोगों की भावनाओं को ध्यान में रखते हुए इस पुरे कार्यक्रम पर नए सिरे से विचार कर उचित निर्णय लें।

अजीमगंज दादाबाडी में खात मुहूर्त व शिलान्यास भाग

जैन धर्म की मूल भावना भाग 1
जैन धर्म की मूल भावना भाग 2
जिन मन्दिर एवं वास्तु



प्रस्तुति:
ज्योति कोठारी

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