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Tuesday, February 1, 2011

मोहनबाड़ी आदिनाथ जिन मंदिर का शिलान्यास संपन्न




मोहनबाड़ी आदिनाथ जिन मंदिर के शिलान्यास का भव्य कार्यक्रम पूज्या साध्वी श्री मणिप्रभा श्री जी म. सा. की निश्रा में ३१ जनवरी को संपन्न हुआ. प्रातः ७ बजे से कार्यक्रम प्रारंभ हुआ जिसमे हाजोरों श्रद्धालुओं ने भाग लिया. सर्व प्रथम श्री देव चंद जी महाराज कृत स्नात्र पूजा पढाई गई. तत्पश्चात नवग्रह, दस दिक्पाल आदि का पूजन हुआ. उसके बाद शिलाओं का पूजन किया गया. यह सभी कार्यक्रम ऊपर पंडाल में संपन्न हुआ. पूजा के बाद शिलाओं को शिलान्यास स्थल पर ले जाया गया जहाँ विधिवत रूप से मंत्रोच्चार पूर्वक उनकी स्थापना की गई. कुल ९ शिलाएं स्थापित की गई. शिला स्थापन के बाद पंडाल में ही देव वंदन किया गया. सम्पूर्ण विधि विधान श्री सुरेन्द्र गुरूजी, बंगलोर, एवं श्री यशवंत जी गोलेछा, जयपुर ने संपन्न करवाया.

साध्वी श्री के मंगलाचरण पूर्वक सम्मान समारोह प्रारंभ हुआ. कार्यक्रम के मुख्य अतिथि समाज चिंतामणि श्री सुरेश दादा जैन, विधायक, जलगाँव का स्वागत श्री विक्रम गोलेछा ने किया. विचक्षण श्री समाधि मंदिर के सौन्दर्यीकरण का कार्य करने वाले धमतरी निवासी श्री जीवन जी लोढा परिवार का स्वागत मंदिर निर्माण समिति के संयोजक श्री कुशल चंद सुराना ने किया. विधिकारक श्री सुरेन्द्र गुरूजी, बंगालुरू का स्वागत श्री विजय मेहता ने किया.

इसके बाद शिलाओं के लाभार्थिओं का सम्मान किया गया. सुराना परिवार का स्वागत श्री सुरेश दादा जैन ने किया एवं श्रीमती जतन कँवर गोलेछा परिवार का स्वागत श्रीमती निर्मला देवी पुंगलिया ने किया. शिलाओं के अन्य लाभार्थिओं  श्री बोर्दिया परिवार,  श्री चन्द्र प्रकाश लोढा परिवार, श्री प्रेमचंद जी धान्धिया परिवार, श्री प्रकाशचंद जी पूनम चंद जी छाजेड परिवार, श्री कुसुमदेवी डागा परिवार. श्री संतोषचंद  जी झारचुर परिवार एवं श्री विमल जी भंडारी परिवार का भी स्वागत किया गया. इसके अलावा श्री त्रिलोक चंद जी बरडिया, रायपुर, श्री कैलाश चंद जी भंसाली, विधायक, जोधपुर एवं अन्य अनेक महानुभावों का भी स्वागत किया गया. स्वागत कार्यक्रम में श्री जैन श्वेताम्बर खरतर गच्छ संघ, जयपुर के वरिष्ठ उपाध्यक्ष श्री मानक चंद जी गोलेछा, उपाध्यक्ष श्री राजेंद्र जी छाजेड, कोषाध्यक्ष श्री मोहनलाल जी डागा, पूर्व अध्यक्ष श्री तिलोक चंद जी गोलेछा आदि ने अतिथिओं का माल्यार्पण कर एवं साफा पहना कर स्वागत किया. इस अवसर पर जयपुर के अनेक गणमान्य व्यक्ति श्री विरधी माल जी दासोत, श्री भास्कर भाई चौधरी, श्री नेमी चंद जी जैन, श्री फ़तेह सिंह जी बरडिया आदि ने भी अतिथिओं का स्वागत किया.

उपस्थित जनसमूह को मुख्य अतिहि श्री सुरेश दादा जैन ने संवोधित किया. कार्यक्रम के अंत में संघ मंत्री ज्योति कुमार कोठारी ने मंदिर निर्माण के मार्गदर्शक प्राणीमित्र श्री कुमारपाल वि. शाह का शुभ कामना सन्देश पढ़ कर सुनाया.

शिलास्थापन एवं स्वागत कार्यक्रम के पश्चात् श्री विचक्षण श्री समाधि मंदिर का द्वार उद्घाटन धमतरी निवासी स्वर्गीय श्री आइदान जी लोढा के पुत्र श्री जीवन जी लोढा ने किया. अल्पाहार के आयोजन का लाभ श्री त्रिलोक चंद जी सिंघी परिवार ने लिया. कार्यक्रम सञ्चालन ज्योति कोठारी ने किया.     



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Wednesday, September 9, 2009

अजीमगंज दादाबाडी में खात मुहूर्त व शिलान्यास भाग १

अजीमगंज दादाबाडी का खात मुहूर्त शिलान्यास दिनांक अक्तूबर २००९ को होने जा रहा है। अजीमगंज की प्राचीन दादाबाडी को पुरी तरह जमिन्दोज़ कर नए सिरे से निर्माण कराये जाने की योजना है।
इस विषय में अजीमगंज शहरवाली समाज में काफी विवाद है जिसके वारे में मैंने पिछले लेख में भी लिखा था। उसके बाद से मेंरे पास लगातार फ़ोन रहे हैं एवं लोग अपने अपने मत व्यक्त कर रहे हैं।

जैन धर्म के अनुसार चातुर्मास में किसी भी प्रकार के निर्माण कार्य का प्रायः निषेध किया जाता है। क्योंकि इस दौरान जीवोत्पत्ति अधिक होती है। लेकिन इस दादाबाडी को चातुर्मास के दौरान ही तोड़ने का एवं इसके बाद खात मुहूर्त व शिलान्यास का कार्यक्रम रखा गया है। काफी लोग इस बात से नाराज हैं एवं इसका विरोध कर रहे हैं। इसके अलावा शिलान्यास का मुहूर्त आश्विन शुक्ला पूर्णिमा को रखा गया है। यह दिन नवपद ओली का आखरी दिन है एवं इस दिन अजीमगंज में नवपद मंडल की पूजा वर्षों से होती आ रही है। मंडल जी की पूजा का अजीमगंज जिआगंज के शहरवाली समाज में बहुत महत्व है।

एक ही दिन में दो महत्व पूर्ण कार्यक्रम होने से लोग असमंजस में है।

कुछ लोग इस बात पर भी रोष जाहिर कर रहे हैं की दादाबाडी में भैरव जी के उत्थापन जैसा अत्यन्त महत्वपूर्ण कार्यक्रम बिना किसी विधिकारक के संपन्न करवाया गया है। रामबाग के भैरव जी की पुराने समय से बहुत अधिक मान्यता रही है। मन्दिर परिशर में स्थापित भैरव जी के उत्थापन के समय अनेकों विघ्न पुराने समय में भी आये थे एवं समर्थ पुरुषों के द्वारा ही उस विघ्न का निवारण हो पाया था। ज्ञातव्य है की भैरव जी के उत्थापन से प्रायः विधिकारक गण भी डरते हैं और इस काम को करने में हिचकिचाते हैं। ऐसी स्थिति में किसी अनजान व्यक्ति से यह काम करवाना उस व्यक्ति को खतरे में डालने जैसा हो सकता है

इतने बड़े निर्माण कार्य को करवाने से पहले उसका नक्शा बनवाना एवं संघ की सभा में उसे पारित करवाना आवश्यक था। साथ ही उसका बजट बनवाना भी आवश्यक था। बातचीत में निर्माण की लागत कभी ७० लाख तो कभी से डेढ़ करोड़ बताई जाती है परन्तु वास्तविकता क्या है पता नहीं। लोगों का कहना है की इन गंभीर अनियमितताओं के होते हुए दादाबाडी को जमिन्दोज़ करवाना कतई उचित नही है।

मेरा अजीमगंज समाज के ट्रस्टी गणों से निवेदन है की लोगों की भावनाओं को ध्यान में रखते हुए इस पुरे कार्यक्रम पर नए सिरे से विचार कर उचित निर्णय लें।

अजीमगंज दादाबाडी में खात मुहूर्त व शिलान्यास भाग

जैन धर्म की मूल भावना भाग 1
जैन धर्म की मूल भावना भाग 2
जिन मन्दिर एवं वास्तु



प्रस्तुति:
ज्योति कोठारी

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