Thursday, July 30, 2009
Origins of Jain Migration into Murshidabad by Rajib Doogar
Please click the link to view the article:
Origins of Jain Migration into Murshidabad
Please send news, events, photos, videos and what not about shaharwali society. we want to preserve our culture.
Thanks,
Jyoti Kothari
Wednesday, July 29, 2009
Message from Ms. Riju
I have got a message from Ms. Riju and the same is reproduced for your perusal. This is all about her topic of studies. You may find this useful.
Please send information about events, news, photos, videos etyc to be posted in this blog.
Thanks,
Jyoti Kothari
Original Message:
Hi Jyotiji,
Nice to hear from you. Thank you for the congratulatory message and for making a post on your blog about my graduation.
I studied learning and memory within the eye movement control system in humans. Basically, I looked at how people make accurate eye movements under different conditions and how people remember locations in space. I also studied which brain areas are involved while this is happening by using fMRI (functional magnetic resonance imaging) technology.
I continue to do research in this area, but am also looking for jobs outside of academia right now.
Best regards,
Riju,
सिलामी व व्याह भाग 2
उस समय शादी कम उमर में ही हो जाती थी लेकिन लड़की पियर में ही रहती थी। थोडी बड़ी होने के बाद (मुख्यतः मासिक धर्मं होने के बाद) लड़की को बिदा किया जाता था एवं उसके बाद ही लड़की ससुराल जाती थी। पीहर से बिदा होने की यह रश्म सावन के महीने में ही होती थी इसलिए इसे सावन मोकलाई कहते थे। मोकलाई का अर्थ मारवाडी भाषा में भेजना होता है।
अजीमगंज के बड़े मन्दिर में एक खाता रखा जाता था जिसे केसरिया व्रत का खाता कहते थे। इस खाते में शादी से संवंधित सभी बातें दर्ज की जाती थी। इसमें वर वधु के नाम, माता-पिता, पता आदि सभी बातें दर्ज होती थी। शादी के अवसर पर लड़के वालों से एक निश्चित शुल्क ले कर ही इस खाते में नाम दर्ज किया जाता था। उस राशि में मन्दिर, गुरूजी (यती जी), मन्दिर के पुजारी अदि सभी का हिस्सा होता था। एक प्रकार से यह विवाह की रजिस्ट्री होती थी।
शादी के बाद विदा करते समय लड़की को डोली में बैठा कर भेजा जाता था। इस डोली को झपानक कहते थे। उस समय की औरतें एवं लड़कियां अक्सर झपानक में ही कहीं आया जाया करती थीं। साधारण स्थिति वाले लोगों के यहाँ झपानक नहीं होने पर कोठियों मंगवा लिया जाता था। कुछ समय पूर्व तक राजवाडी (राजा विजय सिंह जी दुधोरिया) में एक झपानक था।
विशेष द्रस्टव्य: ये सारी जानकारी मुझे श्री अशोक सेठिया से मिली है एवं इसके लिए मैं उनका आभारी हूँ।
यदि आपके पास भी अजीमगंज-जियागंज शहरवाली समाज के वारे में कोई जानकारी हो तो हमें लिखना न भूलें। उसे आपके नाम के साथ प्रकाशित किया जाएगा।
सिलामी व व्याह भाग 1
प्रस्तुति:
वर्धमान जेम्स
जयपुर की राजमाता गायत्री देवी का निधन
राजमाता गायत्री देवी बंगाल के कूचबिहार राज्य की राज कुमारी थीं एवं अपने समय की अद्वितीय सुंदरी। जयपुर के महाराजा सवाई मानसिंह के पोलो खेल पर मुग्ध हो कर उन्होंने उनका वरण किया व जयपुर की महारानी बनीं। महारानी बनने के बावजूद वे महलों की कैद हो कर नहीं रहीं। उन्होंने जन सेवा के लिए अपने आपको समर्पित किया। भारत स्वतंत्र होने के बाद वे राजनीती में भी आईं व तत्कालीन कांग्रेस सरकार का जम कर विरोध किया। उन्होंने स्वतंत्र पार्टी की स्थापना कर उससे चुनाव लड़ा व जयपुर से सांसद रहीं। जब १९७६ में तत्कालीन प्रधान मंत्री इंदिरा गाँधी ने आपातकाल की घोषणा की तो उन्होंने इसका डट कर विरोध किया। उन्हें उस समय इस विरोध की सजा भी भुगतनी पड़ी एवं वे ६ महीने तक कारागार में भी रहीं। भारतीय जनता पार्टी में राजमाता विजया राजे सिंधिया के बाद उन्ही का नाम लिया जाता था।
१९८९ में उनके लड़के व जयपुर महाराजा कर्नल भवानी सिंह ने कांग्रेस पार्टी से सांसद का चुनाव लड़ा तव उन्होंने बेटे के स्थान पर तत्कालीन भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार गिरधारीलाल भार्गव का समर्थन किया। स्वर्गीय गिरधारीलाल भार्गव का सांसद के लिए वह पहला चुनाव था एवं उस चुनाव में वे ८० हज़ार से भी अधिक मतों से विजयी रहे थे। स्वर्गीय सांसद गिरधारीलाल भार्गव इस बात के लिए सदैव राजमाता का एहसान मानते थे।
आज राजमाता हमारे बीच नहीं रहीं पर जयपुर की जनता उन्हें सदैव स्मरण करती रहेगी।
प्रस्तुति:
वर्धमान जेम्स
Tuesday, July 28, 2009
JAS 2009
Exhibitors mainly exhibit Jewelry and not much color stones. Some nice emeralds were exhibited there.
Visitors from all over India came to visit the show. Exhibitors told that they had a moderate sale and this is OK during this recession.
Important post for investors
Posted by:
Vardhaman Gems
Requirements in Emerald
Vardhaman Gems@yahoo.com.
Thanks,
Jyoti Kothari
Vardhaman Gems
Riju Srimal got her Ph. D in Neuroscience
we Azimganzites are proud of her. I wish more successes and achievements in her life.
Please congratulate Ms. Riju in the comments section.
An appeal to all Shaharwali
Presented by:
Vardhaman Gems
Monday, July 27, 2009
My Paryushan 2009 at Kolkata
Samvatsari Pratikramana will be on 24th August.
He will be there from 17 to 24 August 2009.
Paryushan Pravachan: Jyoti Kothari
Posted by:
Vardhaman Gems
Centuries old Tradition of Excellence in Gems and Jewelry
Shree Neminath Swami Janma Kalyanaka
As all of you know that Sadhwi Shashiprabha Shree ji with three of her disciples are staying in Azimganj for Chaturmas। Azimganj Sri Sangh has been organizing several events
Azimganj Sri Sangh organized Shree Neminath Swami Janma Kalyanaka at Shree Neminath Swami Jain temple, Azimganj on sunday, 26 July, 2009. Neminath Swami is the 22nd Tirthankar and the Principal deity of Azimganj.
Mr. Amit, who is with Sadhwi Shree, has informed about the event.
Presented by:
Vardhaman Gems
Sunday, July 26, 2009
गोष्ठी: श्रावण मास में शिव आराधना
गुलाबी नगर विचार मंच की गोष्ठी "श्रावण मास में शिव आराधना" में मुख्या वक्ता के रूप में बोलते हुए गलता पीठाधीश्वर श्री अवधेशाचार्य ने कहा की श्रावण मास का नक्षत्र श्रवण है एवं चंद्रमा उसका स्वामी है। शिव की आराधना भी शीतल मन से करनी चाहिए। शिव की आराधना सभी अनिष्ट व अमंगल दूर करती है. जगत कल्याण कारक होने से शिव को शंकर कहा जाता है। शिव जल्दी तुष्ट होते हैं इसलिए उन्हें आशुतोष कहा जाता है. वे औघड़ दानी भी हैं. श्रावण मास में शिव जी की आराधना करनी चाहिए। अराधना भक्ति, आस्था व धैर्य के साथ करने से फलप्रद होती है।
अध्यक्षीय उद्वोधन में सत्य नारायण शर्मा "कलाकार" ने कहा की जयपुर का राज घराना शिव भक्त अर्थात शैव था। एक समय यहाँ राज आज्ञा प्रसारित हुई थी की हर देवालय में शिव मूर्ति होना आवश्यक है। उन्होंने आग्रह किया की सांप्रदायिक विद्वेष छोड़ कर समन्वय का रास्ता अपनाते हुए शैव, वैष्णव, शाक्त सभी को एक दुसरे का आदर करना चाहिए.
गोष्ठी में वैद्य हरिमोहन शर्मा, ज्योति कोठारी, मिर्जा हबीब बैग "पारस", चावला जी आदि ने भी अपने विचार रखे। गोष्ठी का संचालन मंच के अतिरिक्त संयोजक ज्योति कोठारी ने किया। धन्यवाद पूर्व मंत्री डा. उजला अरोरा ने व्यक्त किया।
सभा के अंत में कारगिल के वीरों को श्रद्धांजलि दी गई। प्रख्यात संगीतज्ञ गंगू बाई हंगल के निधन पर भी शोक व्यक्त किया गया।
Jaipur Videos
Rajasthan Videos
Posted by:
Jyoti Kothari
Vardhaman Gems
Centuries old tradition of excellence in Gems and Jewelry
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Saturday, July 25, 2009
Friday, July 24, 2009
Video: Noted artist Shekhar Sen appeals
Presented by:
Vardhaman Gems
Parshwa Padmavati Mahapujan to be held at Shivji Ram Bhawan, Jaipur
Shree Chandra Prakash Prakash Chand Lodha will sponsor the Mahapujan. Jain Vidhikarak Yashwant Golchha will perform all Vidhi Vidhan of the Pooja.
It is expected that 250 to 300 couples will participate in this Mahapujan. Mahapujan will be followed by Sadharmi Vatsalya.
Please view for the details of Pujan held on 9 August
View in News:
Jyoti Kothari