Search

Loading
Showing posts with label ज्योति कोठारी. Show all posts
Showing posts with label ज्योति कोठारी. Show all posts

Saturday, September 5, 2009

अजीमगंज दादाबाडी में भैरव जी का उत्थापन

*
*
स्फटिक चरण

उत्थापन कार्यक्रम में उपस्थित जनसमूह


अजीमगंज रामबाग दादाबाडी में भैरव जी के उत्थापन का कार्यक्रम दिनांक २ सितम्बर २००९, वुधवार को पूज्या साध्वी श्री शशिप्रभा श्री जी महाराज की निश्रा में सम्पन्न हुआ। इसके साथ ही प्राचीन दादाबाडी को तोड़ने काम भी शुरू हुआ। ज्ञातव्य है की इस अति प्राचीन दादाबाडी को पुरी तरह जमींदोज कर (सिर्फ़ मूल वेदी को छोड़ कर) नए सिरे से निर्माण कराया जायेगा। यह कार्यक्रम काफी बड़ी लागत से सम्पन्न होगा। इस काम को करवाने के लिए अजीमगंज श्री संघ के सचिव श्री सुनील चोरडिया काफी लगन के साथ परिश्रम कर रहे हैं।

इस दादाबाडी में तीन दादागुरुओं के साथ ही पंचम काल के अंत में होने वाले अन्तिम युगप्रधान आचार्य श्री दुप्पह सूरी के भी चरण हैं। ये चारों नयनाभिराम चरण स्फटिक रत्न से बने हुए हैं।

इस काम के संवंध में शहरवाली समाज में एक मत नहीं है। जहाँ कुछ लोग यह काम करवाना चाहते हैं वहीँ बड़ी संख्या में लोग इस के विरोध में भी हैं। विरोधी लोगों का मत है की दादाबाडी का सामान्य रूप से जीर्णोद्धार करवाना ही काफी है। अब अजीमगंज में बहुत कम लोग रहते हैं। दादाबाडी शहर से दूर होने के कारण बहुत कम लोग ही वहां पहुचते हैं। ऐसी स्थिति में इस जगह पर इतना पैसा लगाने का औचित्य नहीं है। उनका मानना है की इस पैसे का बेहतर उपयोग हो सकता है।

रामबाग परिसर में दो तालाव भी है। अभी कुछ दिन पूर्व किसी वास्तुकार ने सलाह दी की इन्हे बंद करवा दिया जाए। इस बात को ले कर भी गहरे मत भेद है। कुछ लोग इस सलाह पर अमल करना चाहते हैं लेकिन कुछ लोगों का मानना है की इसमे बहुत अधिक जीव हिंसा होगी जो की जैन सिद्धांत के ख़िलाफ़ है। साथ ही तालाव बंद करवाना राज्य के कानून के भी ख़िलाफ़ है। लोगों का यह भी कहना है की जिस समय यह तालाव बना था तब अजीमगंज बहुत समृद्ध था तो फिर इसमें वास्तु दोष कैसे हो सकता है?
जैन धर्म की मूल भावना भाग 1
जैन धर्म की मूल भावना भाग 2


दादाबाडी का प्राचीन चित्र
सौजन्य बिकास छाजेड
प्रस्तुति:
ज्योति कोठारी

allvoices

Sunday, July 26, 2009

गोष्ठी: श्रावण मास में शिव आराधना

*






गुलाबी नगर विचार मंच
की गोष्ठी "श्रावण मास में शिव आराधना" में मुख्या वक्ता के रूप में बोलते हुए गलता पीठाधीश्वर श्री अवधेशाचार्य ने कहा की श्रावण मास का नक्षत्र श्रवण है एवं चंद्रमा उसका स्वामी है। शिव की आराधना भी शीतल मन से करनी चाहिए। शिव की आराधना सभी अनिष्ट व अमंगल दूर करती है. जगत कल्याण कारक होने से शिव को शंकर कहा जाता है। शिव जल्दी तुष्ट होते हैं इसलिए उन्हें आशुतोष कहा जाता है. वे औघड़ दानी भी हैं. श्रावण मास में शिव जी की आराधना करनी चाहिए। अराधना भक्ति, आस्था व धैर्य के साथ करने से फलप्रद होती है।
अध्यक्षीय उद्वोधन में सत्य नारायण शर्मा "कलाकार" ने कहा की जयपुर का राज घराना शिव भक्त अर्थात शैव था। एक समय यहाँ राज आज्ञा प्रसारित हुई थी की हर देवालय में शिव मूर्ति होना आवश्यक है। उन्होंने आग्रह किया की सांप्रदायिक विद्वेष छोड़ कर समन्वय का रास्ता अपनाते हुए शैव, वैष्णव, शाक्त सभी को एक दुसरे का आदर करना चाहिए.
गोष्ठी में वैद्य हरिमोहन शर्मा, ज्योति कोठारी, मिर्जा हबीब बैग "पारस", चावला जी आदि ने भी अपने विचार रखे। गोष्ठी का संचालन मंच के अतिरिक्त संयोजक ज्योति कोठारी ने किया। धन्यवाद पूर्व मंत्री डा. उजला अरोरा ने व्यक्त किया।
सभा के अंत में कारगिल के वीरों को श्रद्धांजलि दी गई। प्रख्यात संगीतज्ञ गंगू बाई हंगल के निधन पर भी शोक व्यक्त किया गया।



Jaipur Videos
Rajasthan Videos
Posted by:
Jyoti Kothari
Vardhaman Gems
Centuries old tradition of excellence in Gems and Jewelry

*

allvoices

Monday, July 6, 2009

साध्वी श्री शशिप्रभा श्री जी का अजीमगंज में चातुर्मास प्रवेश

१ जुलाई २००९ को साध्वी श्री शशिप्रभा श्री जी का अजीमगंज में चातुर्मास प्रवेश महोत्सव पूर्वक हुआ। प्रातः ७ बजे बिस्कुट फैक्ट्री से जुलुश बैंड बाजे सहित रवाना हुआ । सभी लोग परंपरागत शहरवाली पोशाक में थे। चुन्नटदार धोती, केशरिया कुरता व दुपट्टा मन को मोह रहा था। श्री शांतिनाथ स्वामी के मन्दिर में दर्शन करते हुए जुलुश आगे बढ़ा। हर घर के बाहर साध्वी मंडल के स्वागत में बैनर लगा था। हर घर में गहुली कर उनका स्वागत किया गया। बंगाली समाज की औरतें भी स्वागत में पीछे नही थी। वे शंख ध्वनि कर उनके आगमन पर हर्ष व्यक्त कर रहीं थीं।

श्री नेमिनाथजी के पंचायती मन्दिर
में सामूहिक दर्शन व चैत्यवंदन कर साध्वी श्री ने उपाश्रय में प्रवेश किया व सभी को मंगलिका प्रदान किया। उसके बाद जुलुश पुरे जैन पट्टी की परिक्रमा कर फाटक होते हुए सिंघी सदन पहुँचा जहाँ पर भव्य कार्यक्रम आयोजित किया गया।

सर्व प्रथम साध्वीजी ने मंगलाचरण किया. उसके बाद महिला मंडल, अजीमगंज के द्वारा स्वागत गीत गाया गया. स्थानीय एवं बाहर से पधारे हुए विशिष्ट अतिथिओं को मंच पर आसीन कराया गया एवं उनका बहुमान किया गया। अजीमगंज संघ के मंत्री श्री सुनील चोरडिया ने स्वागत भाषण दिया। अखिल भारतीय खरतर गच्छ महासंघ के अध्यक्ष श्री पदम चंद नाहटा, सम्मेत शिखर तीर्थ के अध्यक्ष श्री कमल सिंह रामपुरिया, कलकत्ता बड़े मन्दिर के मानद मंत्री श्री कांतिलाल मुकीम, मुर्शिदाबाद संघ के पूर्व अध्यक्ष श्री शशि नवलखा, श्री ज्ञान चंद लुनावत, श्री महेंद्र परख, टाटानगर के श्री कमल वैद, बालाघाट की श्रीमती नीता लुनिया आदि ने भी सभा को संवोधित किया।
कलकत्ता के स्वनाम धन्य गायक श्री सुरेन्द्र बेगानी ने अपने भजन से सभी को आह्लादित किया। उनके अलावा मनिचंद बोथरा, मोहित बोथरा, किशोर सेठिया अदि ने भी भजन प्रस्तुत किया। साध्वी श्री के गुरुपूजन का लाभ श्रीमती कुसुमदेवी चोरडिया परिवार ने लिया.
अतिथिओं का स्वागत अजीमगंज श्री संघ के अध्यक्ष श्री शीतल चंद बोथरा, मुर्शिदाबाद संघ के अध्यक्ष श्री ज्योति कोठारी आदि ने अतिथिओं का माल्यार्पण कर, तिलक लगा कर, व स्मृति चिह्न भेंट कर स्वागत किया.
सभा को साध्वी श्री सम्यग्दर्शना श्री जी व साध्वी श्री शशिप्रभा श्री जी ने भी मंगल प्रवचन से लाभान्वित किया. अंत में साध्वी श्री शशिप्रभा श्री जी के मंगलाचरण के साथ सभा का समापन हुआ.

कार्यक्रम का संचालन जयपुर के श्री ज्योति कोठारी ने किया।
सभा के बाद साधर्मी वात्सल्य का आयोजन हुआ।

जैन साधू साध्विओं के चातुर्मास की शास्त्रीय (आगमिक) विधि


See Video:

Paryushana
*
*

allvoices

Thursday, December 25, 2008

शहरवाली पोषाक


शहरवाली समाज की अपनी एक अलग पोषाक है। चुन्नटदार धोती, कुर्ता, शाल व पगडी। यहाँ की पगडी भी विशेष प्रकार की होती है। शाल ओढ़ने का अलग ही अंदाज़ है। अजीमगंज के प्रसिद्ध दुगड़ परिवार के गौतम जी दुगड़ शहरवाली पोषाक में यहाँ दिख रहे हैं.

allvoices

Friday, December 19, 2008

कुछ निराले शहरवाली नाम

अजीमगंज के शहरवाली समाज में कुछ निराले नाम प्रचलित थे । इस प्रकार के नाम और कहीं भी देखने में नहीं आते हैं । कुछ नाम जो मुझे याद है उन्हें यहाँ पर लिख रहा हूँ। यदि आप लोगों को ऐसे कोई भी नाम और मालुम हो तो मुझे लिखने का कष्ट करें। अजीमगंज-जिआगंज-मुर्शिदाबाद के शहरवाली साथ के बारे में और भी कुछ जानकारी आप के पास हो तो जरूर मुझे बताएं। धन्यवाद।
नामावली:
पुरूष: घोंता, हुत्तु, नाडू, बेटा बाबु, नत्थू, गोलू, गोल, लोंदु, पोदु, खुद्दु, बुढा, फुचुआ, फत्तू, फुत्तुस, छेदु, चुलू, टुलू, उदु, सुदु, दुदू, कुमरू, हामू, झामू, बाह्जी, जर्मन, जापानी, हाबू, बाबू बच्चा, मिस्टर बाबू, पीला बाबू, लाल बाबू, नया बाबु, खोली भट्टाम, सिंटू, मिंटू, चीनी बाबू, लाली बाबू, बाबू राजा, बन्नू बाबू, तन्नु बाबू, लाख दो लाख।

स्त्री: लाडा, पाडा, पुप्पी, लोजेंस, बाण मति, मोंचुरिया, बीबी, रुबू, हांसी, छोटी मुन्नी, रानी मुन्नी, नन्ही मुन्नी, फुच्ची, नन्ही फुच्ची, खेंतो.

allvoices