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Thursday, December 17, 2009

अजीमगंज श्री नेमी नाथ स्वामी स्तवन

जैन श्वेताम्बर मूर्तिपूजक समुदाय के खरतर गच्छ परम्परा में, श्री सुख सागर सूरी के समुदाय में पूज्य श्री हरी सागर सूरी  आचार्य बने. उन्हें अजीमगंज में महोत्सव पूर्वक आचार्य पद प्रदान किया गया. उस समय अजीमगंज श्री नेमी नाथ स्वामी के मंदिर में अस्टान्हिका  (अट्ठाई) महोत्सव का आयोजन किया गया. उस अवसर पर मंदिर की शोभा का वर्णन करते हुए श्री जगन्नाथ पटावरी ने एक स्तवन लिखा था. यह स्तवन स्तवनावली एवं प्रभु भजनावली में भी मुद्रित है. यह भजन एक ऐतिहासिक दस्तावेज़ भी है.
स्तवन


उत्सव की आई बहार,  बहार मेरे प्यारे, उत्सव की आई बहार. 
मंगलमय धन बंगाल देशे,  अजीमगंज उदार,  उदार मेरे प्यारे, उत्सव की आई बहार. १
नेमी प्रभु जिन मंदिर सुन्दर,  देव विमान आकार,  आकार मेरे प्यारे....  २
भाविक भक्त जन पूजा रचावे,  आठ अनेक प्रकार,  प्रकार मेरे प्यारे ..३.
भाव नन्दीश्वर तीरथ राजे, पावापुरी है श्रीकार, श्रीकर मेरे प्यारे ...४
चम्पापुरी वर तीरथ अष्टापद, भव जल से तारनहार, हार मेरे प्यारे... .5
सम्मेत शिखर समवशरण की, रचना है आनंद्कार, कार मेरे प्यारे..६.
पूज्य हरी सागर सूरी पदोत्सव, संघ रचावे जयकार,  कार मेरे प्यारे ...७
साधर्मी आवे देश देश के, दर्शन वंदन कार, कार मेरे प्यारे...८
स्वर्ग निवासी देव देवी गण, आने को उत्सुक अपार, अपार  मेरे प्यारे...९
गंगा नदी जल धारा ले आवे, पाप पखालन हार, हार मेरे प्यारे...१० 
जगन्नाथ प्रभु पुण्य कृपाते, घर घर मंगलाचार, चार मेरे प्यारे...११

अजीमगंज में पूजा
सत्रह भेदी पूजा

Thanks,
Jyoti Kothari

Jyoti Kothari, Proprietor, Vardhaman Gems, Jaipur represents Centuries Old Tradition of Excellence in Gems and Jewelry. He is also a ISO 9000 professional.

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Saturday, August 1, 2009

अरिहंत कोठारी के १६ उपवास की तपस्या

श्री विवेक पत कोठारी (छोटू), अजीमगंज के सुपुत्र श्री अरिहंत कोठारी के १६ उपवास की तपस्या के उपलक्ष्य में दिनांक अगस्त २००९ को अजीमगंज श्री नेमिनाथ जी मन्दिर में सत्रह भेदी पूजा पढ़ाई जायेगी तत्पश्चात साधर्मी वात्सल्य का आयोजन किया गया है।
श्री अरिहंत कोठारी अजीमगंज निवासी स्वर्गीय श्री अजय सिंह जी कोठारी के सुपौत्र हैं। आज उनके १२ उपवास है। तपस्वी की बहुत बहुत अनुमोदना।

प्रस्तुति:
ज्योति कोठारी

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Monday, July 6, 2009

साध्वी श्री शशिप्रभा श्री जी का अजीमगंज में चातुर्मास प्रवेश

१ जुलाई २००९ को साध्वी श्री शशिप्रभा श्री जी का अजीमगंज में चातुर्मास प्रवेश महोत्सव पूर्वक हुआ। प्रातः ७ बजे बिस्कुट फैक्ट्री से जुलुश बैंड बाजे सहित रवाना हुआ । सभी लोग परंपरागत शहरवाली पोशाक में थे। चुन्नटदार धोती, केशरिया कुरता व दुपट्टा मन को मोह रहा था। श्री शांतिनाथ स्वामी के मन्दिर में दर्शन करते हुए जुलुश आगे बढ़ा। हर घर के बाहर साध्वी मंडल के स्वागत में बैनर लगा था। हर घर में गहुली कर उनका स्वागत किया गया। बंगाली समाज की औरतें भी स्वागत में पीछे नही थी। वे शंख ध्वनि कर उनके आगमन पर हर्ष व्यक्त कर रहीं थीं।

श्री नेमिनाथजी के पंचायती मन्दिर
में सामूहिक दर्शन व चैत्यवंदन कर साध्वी श्री ने उपाश्रय में प्रवेश किया व सभी को मंगलिका प्रदान किया। उसके बाद जुलुश पुरे जैन पट्टी की परिक्रमा कर फाटक होते हुए सिंघी सदन पहुँचा जहाँ पर भव्य कार्यक्रम आयोजित किया गया।

सर्व प्रथम साध्वीजी ने मंगलाचरण किया. उसके बाद महिला मंडल, अजीमगंज के द्वारा स्वागत गीत गाया गया. स्थानीय एवं बाहर से पधारे हुए विशिष्ट अतिथिओं को मंच पर आसीन कराया गया एवं उनका बहुमान किया गया। अजीमगंज संघ के मंत्री श्री सुनील चोरडिया ने स्वागत भाषण दिया। अखिल भारतीय खरतर गच्छ महासंघ के अध्यक्ष श्री पदम चंद नाहटा, सम्मेत शिखर तीर्थ के अध्यक्ष श्री कमल सिंह रामपुरिया, कलकत्ता बड़े मन्दिर के मानद मंत्री श्री कांतिलाल मुकीम, मुर्शिदाबाद संघ के पूर्व अध्यक्ष श्री शशि नवलखा, श्री ज्ञान चंद लुनावत, श्री महेंद्र परख, टाटानगर के श्री कमल वैद, बालाघाट की श्रीमती नीता लुनिया आदि ने भी सभा को संवोधित किया।
कलकत्ता के स्वनाम धन्य गायक श्री सुरेन्द्र बेगानी ने अपने भजन से सभी को आह्लादित किया। उनके अलावा मनिचंद बोथरा, मोहित बोथरा, किशोर सेठिया अदि ने भी भजन प्रस्तुत किया। साध्वी श्री के गुरुपूजन का लाभ श्रीमती कुसुमदेवी चोरडिया परिवार ने लिया.
अतिथिओं का स्वागत अजीमगंज श्री संघ के अध्यक्ष श्री शीतल चंद बोथरा, मुर्शिदाबाद संघ के अध्यक्ष श्री ज्योति कोठारी आदि ने अतिथिओं का माल्यार्पण कर, तिलक लगा कर, व स्मृति चिह्न भेंट कर स्वागत किया.
सभा को साध्वी श्री सम्यग्दर्शना श्री जी व साध्वी श्री शशिप्रभा श्री जी ने भी मंगल प्रवचन से लाभान्वित किया. अंत में साध्वी श्री शशिप्रभा श्री जी के मंगलाचरण के साथ सभा का समापन हुआ.

कार्यक्रम का संचालन जयपुर के श्री ज्योति कोठारी ने किया।
सभा के बाद साधर्मी वात्सल्य का आयोजन हुआ।

जैन साधू साध्विओं के चातुर्मास की शास्त्रीय (आगमिक) विधि


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Paryushana
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Thursday, December 25, 2008

शहरवाली पोषाक


शहरवाली समाज की अपनी एक अलग पोषाक है। चुन्नटदार धोती, कुर्ता, शाल व पगडी। यहाँ की पगडी भी विशेष प्रकार की होती है। शाल ओढ़ने का अलग ही अंदाज़ है। अजीमगंज के प्रसिद्ध दुगड़ परिवार के गौतम जी दुगड़ शहरवाली पोषाक में यहाँ दिख रहे हैं.

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Friday, December 19, 2008

अजीमगंज शहरवाली साथ का खाना

कुछ ख़ास मिठाइयाँ: मालपुआ, छुआरे की गोली, जमाओ, मोतीचूर (मिहिदाना) के लड्डू, बोडे का बुंदिया, सांकली,गुड का खाजा , चीनी का खाजा, ठेकुआ, मेथी का लड्डू, सोंठ का लड्डू, घाल का लड्डू, चिट्ठा पेडा, सत्तू का लड्डू, कोंढे का मुरब्बा, आदि कुछ मिठाइयाँ वहां की विशेषता है। चावल के लड्डू जिसे नन्द्याल कहते थे वह नवपद जी की ओली में चढाने के लिए बनता था। इस के अलावा और बहुत सी मिठाईया भी बनती है जो common है।
वहां का पीठा और नीमस भी बहुत प्रसिद्ध है। पके आम का पापड और चुरा सिर्फ़ यहीं बनता है.

ख़ास नमकीन: मोयन की पुडी, कलाई की कचोडी आदि वहां की कुछ ख़ास नमकीन है। वहां की खीरे व कमल गट्टे की कचोडी, छाते (कमल गट्टा) की खिचडी, सिंगाड़ा-दही की खिचडी, सलोनी मेवे की खिचडी, भापिया आदि भी प्रसिद्ध है। बिना नमक की मठरी जिसे खाजली कहते थे वह भी ओली जी में चढाने के लिए बनता था।

सब्जी (तरकारी) : इन्डल, डूबकी का झोल, राइ खट्टे का परवल, खट्टा मीठा, पपीते व केले का दबदबा, खीरे की राडी, कच्चे केले की राडी, कद्दू बूट का दाल, खीरा बूट का दाल, कच्चे केले एवं परवल का अकरा, दही की तरकारी, मटर के दाल का चुरा, कटहल के बीज की चटनी व कद्दू एवं कच्चे केले के छिलके की सब्जी भी बनती है। खीरे के छिलके की चटनी एवं मटर के छिलके की सब्जी यहीं की खासियत है। यहाँ अम्बल पानी बनता है जिसे खिचडी के साथ खाया जाता है। पके कट्वेल की चटनी बहुत अच्छी लगती है.

आचार व मुरब्बे : सामान्य आचारों के अलावा यहाँ की कुट्टी मिर्ची विश्व प्रसिद्ध है। बोर की राडी और टिकिया एवं कट्वेल का पाचक भी बहुत स्वादिस्ट होता है।
आम का मुरब्बा बहुत तरह का बनता था जिसमे फकिया, लच्छा, व गोलिया प्रसिद्ध है। छुहारे का मुरब्बा भी बनता था।

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कुछ निराले शहरवाली नाम

अजीमगंज के शहरवाली समाज में कुछ निराले नाम प्रचलित थे । इस प्रकार के नाम और कहीं भी देखने में नहीं आते हैं । कुछ नाम जो मुझे याद है उन्हें यहाँ पर लिख रहा हूँ। यदि आप लोगों को ऐसे कोई भी नाम और मालुम हो तो मुझे लिखने का कष्ट करें। अजीमगंज-जिआगंज-मुर्शिदाबाद के शहरवाली साथ के बारे में और भी कुछ जानकारी आप के पास हो तो जरूर मुझे बताएं। धन्यवाद।
नामावली:
पुरूष: घोंता, हुत्तु, नाडू, बेटा बाबु, नत्थू, गोलू, गोल, लोंदु, पोदु, खुद्दु, बुढा, फुचुआ, फत्तू, फुत्तुस, छेदु, चुलू, टुलू, उदु, सुदु, दुदू, कुमरू, हामू, झामू, बाह्जी, जर्मन, जापानी, हाबू, बाबू बच्चा, मिस्टर बाबू, पीला बाबू, लाल बाबू, नया बाबु, खोली भट्टाम, सिंटू, मिंटू, चीनी बाबू, लाली बाबू, बाबू राजा, बन्नू बाबू, तन्नु बाबू, लाख दो लाख।

स्त्री: लाडा, पाडा, पुप्पी, लोजेंस, बाण मति, मोंचुरिया, बीबी, रुबू, हांसी, छोटी मुन्नी, रानी मुन्नी, नन्ही मुन्नी, फुच्ची, नन्ही फुच्ची, खेंतो.

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