Search

Loading

Tuesday, May 11, 2010

आनंदघन जी के पद : अब हम अमर भये न मरेंगे

अब  हम  अमर  भये न मरेंगे (अब),
या कारण मिथ्यात्व दिए तज, क्यों कर देह धरेंगे.

राग द्वेष जग वंध करत है, इनको नाश करेंगे,
मर्यो अनंत काल ते प्राणी, सोऽहं काल करेंगे.

देह विनाशी, हूँ अविनाशी, अपनी गति पकरेंगे,
नाशी जासी हम थिरवाशी, चोखे हैं निखरेंगे.

मर्यो अनंत वार बिन समझ्यो, अब सुख दुःख विसरेंगे,
आनंदघन निपट अक्षर दो, नहीं समरे सो मरेंगे.

आनंदघन जी के पद : आशा औरन की क्या कीजे

आनंदघन जी के पद : अब हम अमर भये न मरेंगे

 

ज्योति  कोठारी  

 



Reblog this post [with Zemanta]

allvoices

No comments: