भटके द्वारी द्वारी लोकन के, कुकर आशा धारी,
आतम अनुभव रस के रसिया, उतरे न कबहु खुमारी.
आशा दासी के जे जाये, ते नर जग के दाशा
आशा दासी करे जे नायक, लायक अनुभब पाशा.
मनसा प्याला, प्रेम मसाला, ब्रह्म अग्नि पर जाली,
तन भाटी उबटाई पिए कष, जागे अनुभव लाली.
अगम प्याला पियो मतवाला, चिन्हे अध्यातम वासा,
आनंदघन चेतन वै खेले, देखे लोक तमाशा.
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