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Monday, March 10, 2025

बंगाली नववर्ष (पोइला बोइशाख) : इतिहास, महत्व और उत्सव

परिचय

बंगाली नववर्ष, जिसे पोइला बोइशाख (পয়লা বৈশাখ) कहा जाता है, पश्चिम बंगाल, बांग्लादेश और विश्वभर में बंगाली समुदाय द्वारा हर्षोल्लास से मनाया जाता है। यह बंगाली कैलेंडर का पहला दिन होता है और व्यापारिक व सांस्कृतिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दिन को नवीन जीवन, व्यापार और सामाजिक कार्यक्रमों की शुरुआत का शुभ अवसर माना जाता है।


पोइला बोइशाख की तिथि और वर्ष

बंगाली नववर्ष की गणना सौर वर्ष (सूर्य सिद्धांत) के आधार पर की जाती है, जो इसे विक्रम संवत (चंद्र वर्ष आधारित) से भिन्न बनाती है।
ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार हर वर्ष 14 या 15 अप्रैल को यह पर्व मनाया जाता है।

📅 2025 में, यह 14 अप्रैल को मनाया जाएगा।

बंगाली कैलेंडर सूर्योदय-आधारित प्रणाली पर कार्य करता है और इस वर्ष हम बंगाली संवत 1432 में प्रवेश करेंगे।


इतिहास और शुरुआत

बंगाली नववर्ष की शुरुआत मुगल सम्राट अकबर के शासनकाल में हुई थी। उन्होंने कृषि कर संग्रह को सुगम बनाने के लिए एक नया कैलेंडर तैयार करवाया, जिसे "फसली संवत" कहा गया।

बंगाली किसान फसल घर ले जाते हुए 

उस समय हिजरी संवत के अनुसार कर संग्रह किया जाता था, लेकिन चंद्रमा आधारित हिजरी कैलेंडर कृषि चक्र से मेल नहीं खाता था। इसलिए, अकबर ने ज्योतिषाचार्य आमिर फतेहुल्लाह सिराजी की सहायता से एक नए पंचांग की रचना करवाई, जो भारतीय सौर गणना और इस्लामी हिजरी कैलेंडर का मिश्रण था।

धीरे-धीरे यह बंगाली समाज और संस्कृति का अभिन्न अंग बन गया।

भारतीय और इस्लामी कैलेंडर में अंतर

  • इस्लामी हिजरी कैलेंडर पूर्णतः चंद्र आधारित होता है, जिसमें 354 दिन होते हैं।
  • भारतीय चंद्र-सौर कैलेंडर में अधिक मास (Leap Month) की व्यवस्था होती है, जिससे यह सौर वर्ष से तालमेल बैठा लेता है।
  • बंगाली नववर्ष पूर्णतः सौर गणना पर आधारित होने के कारण कृषि चक्र से अधिक सामंजस्य रखता है।

बंगाली नववर्ष का महत्व

🔸 कृषि से जुड़ा पर्व – यह त्योहार किसानों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है क्योंकि यह रबी फसल की कटाई के बाद आता है।
🔸 व्यापारिक महत्व – बंगाल के व्यापारी इस दिन को "हालखाता" के रूप में मनाते हैं, जिसमें वे नए खाता-बही की शुरुआत करते हैं और पुराने उधार चुकता किया जाता है।
🔸 सांस्कृतिक पहचान – बंगाली संस्कृति, साहित्य, संगीत और कला को संजोने और आगे बढ़ाने का यह एक प्रमुख अवसर है।
🔸 सामाजिक समरसता – इस दिन हिंदू और मुस्लिम दोनों समुदाय मिलकर इसे मनाते हैं, जो बंगाल की समृद्ध सांस्कृतिक विविधता को दर्शाता है।



हालखाता करते हुए बंगाली व्यापारी 

कैसे मनाया जाता है?

1. हालखाता (व्यापारिक परंपरा)

🔹 व्यापारी अपने पुराने बहीखाते बंद कर नए खाता-बही की शुरुआत करते हैं।
🔹 ग्राहकों को मिठाइयाँ, उपहार और शुभकामनाएँ दी जाती हैं।
🔹 ग्राहक दुकान पर आकर कुछ खरीदारी करते हैं या राशि जमा कर शुभारंभ करते हैं।

(यह परंपरा उत्तर भारत में दिवाली पर होने वाले खाता-पूजन से मिलती-जुलती है।)

2. पारंपरिक परिधान और नृत्य-संगीत

🎭 पुरुष धोती-कुर्ता या पायजामा-कुर्ता पहनते हैं, महिलाएँ लाल-पाड़ साड़ी धारण करती हैं।
🎶 रवींद्र संगीत (रवींद्रनाथ टैगोर रचित गीत) गाए जाते हैं।
💃 गांभीर्या नृत्य, चौ नृत्य जैसे पारंपरिक लोक नृत्य प्रस्तुत किए जाते हैं।

3. विशेष बंगाली व्यंजन

बंगाली नववर्ष पर पारंपरिक भोजन भी बहुत महत्वपूर्ण होता है।
🍛 भात (चावल)
🥗 शुक्तो (सब्जियों से बना व्यंजन)
🍚 पायेश (खीर, चावल और दूध से बनी मिठाई)
🍬 रोसोगुल्ला और संदेश जैसी मिठाइयाँ

पारम्परिक बंगाली नृत्य-संगीत 


4. बौद्धिक और सांस्कृतिक आयोजन

📖 कई स्थानों पर विशेष मेले, जुलूस, नाटक और कविता पाठ का आयोजन किया जाता है। सामान्य रूप से नृत्य संगीत आदि का आयोजन तो होता ही है. 
बांग्लादेश में "मंगल शोभायात्रा", जो यूनेस्को द्वारा सांस्कृतिक धरोहर के रूप में मान्यता प्राप्त है, इस दिन की विशेष पहचान है।


बांग्लादेश में बंगाली नववर्ष

बांग्लादेश में पोइला बोइशाख राष्ट्रीय अवकाश होता है और इसे अत्यंत धूमधाम से मनाया जाता है।
📍 ढाका विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित "मंगल शोभायात्रा" सबसे प्रसिद्ध आयोजन है।
🎭 इस दिन लोग रंग-बिरंगे मुखौटे पहनते हैं और बांग्ला संस्कृति के प्रतीक चिह्नों को दर्शाने वाली झाँकियों में भाग लेते हैं।


निष्कर्ष

बंगाली नववर्ष केवल एक नया साल शुरू करने का पर्व नहीं है, बल्कि यह बंगाली संस्कृति, परंपरा, और सामाजिक सौहार्द्र का प्रतीक भी है।

यह दिन हर किसी को एक नई शुरुआत का संदेश देता है –
🎉 "शुभो नवो बर्षो!" (শুভ নববর্ষ) – शुभ नववर्ष! 🎊


Thanks, 
Jyoti Kothari 
(Jyoti Kothari, Proprietor, Vardhaman Gems, Jaipur represents Centuries Old Tradition of Excellence in Gems and Jewelry. He is an adviser, Vardhaman Infotech, a leading IT company in Jaipur. He is also ISO 9000 professional)

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