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Tuesday, July 12, 2016

कहानी- जिम्मेदार बच्चा और सहृदय दुकानदार



लेखक: श्यामसुंदर सामरिया  

एक 6 साल का बच्चा अपनी 4 साल की बहिन का हाथ पकड़ कर एक जिम्मेदार बड़े भाई की तरह सड़क के किनारे किनारे जा रहा था ! बड़प्पन का भाव उसके मासूम चहरे पर साफ टपक रहा था !कुछ दूर साथ चलने के बाद बहिन ने अपना हाथ छुड़ा लिया औरअपने छोटे कदमो के साथ भाई के साथ साथ चलने लगी ! कुछ दूर चलने के बाद भाई ने देखा की उसकी बहिन कुछ पीछे रह गई है !उसने पीछे मुद कर देखा की उसकी बहिन एक चमचमाती दुकान के सामने खड़ी है और बड़े ही बाल सुलभ और मोहक एवं ख़ुशी के अंदाज के साथ कुछ देख रही है !
 बच्चा उसके पास आया और बोल "क्या बात है तुझे कुछ चाहिए? "बच्ची ने प्रसन्नता के साथ अपनी उंगली से एक गुड़िया की तरफ इशारा किया !बच्चे ने गुड़िया की और देखा और पूछा "क्या ये गुड़िया चाहिए ?बच्ची ने मुस्कुराते हुए अपनी गर्दन हां में घुमाई ! वहां पर बैठा दुकानदार बड़े ही प्रेम से दोनों बच्चों की हरकतों को निहार रहा था ! वो एक बेहद शालीन और सह्रदय इंसान दिखाई दे रहा था! उसे उस 6 साल के बच्चे की अपने आप को बड़ा समझने की बाल मानसिकता पर बड़ा आनंद आ रहा था !बच्चा दुकानदार के पास गया और अपनी तोतली जुबान से पूछा "ये डॉल कितने की है ?दुकानदार ने मुस्कुरा कर कहा तुम कितने दे सकते हो? बच्चे ने अपनी ज शर्ट की एक जेब में हाथ डाला और उसमे से कुछ रंग बिरंगी सीपियाँ,जो उसने कुछ ही देर पहले समुन्द्र के किनारे से एकत्रित की थी , को दुकानदार के सामने मेज पर फेला दी ! फिर अपनी शर्ट की दूसरी जेब से भी सीपियाँ निकल कर रख दी ! फिर अपनी पेंट की दोनों जेबों में से भी कई छोटी बड़ी रंग बिरंगी सीपिया निकाल कर दुकानदार के सामने काउंटर पर रख दी और कहा ये लीजिए डॉल की कीमत!
 दुकानदार ने उन सीपियों को गिनना चालू किया और ऐसे दर्शाया मानो वो रुपये गिन रहा हो !गिनने के बाद दुकानदार चुप हो गया !बच्चे ने चिंतित स्वर में पूछा "क्या कम है ? दुकानदार ने मुस्कुराते हुए कहा "नहीं ये तो डॉल की कीमत से कुछ अधिक है "और उसने उन सीपियों में से कुछ सीपिया वापस बच्चे को देते हुए कहा "अब ठीक है और डॉल उस बच्चे को देदी !बच्चे के चहरे पर मुस्कान तेर गई उसने वो सीपिया वापस अपनी जेब में रख ली जैसे की एक जिम्मेदार वयस्क अपनी जेब में रुपये रखता है और ख़ुशी के साथ वो डॉल ले कर अपने छोटे छोटे हाथो से अपनी उस छोटी मासूम सी बहन के हाथ में पकड़ा दी !बच्ची ने डॉल को एक हाथ से कस कर पकड़ कर अपने सीने से उसे लगाया और दूसरे हाथ से अपने भाई का हाथ पकड़ कर मुस्कुराते हुए दुकान से बाहर निकाल गई !दुकानदार मुस्कुराते हुए उन्हें जाते हुए देखता रहा !

दुकान में काम कर रहे एक कर्मचारी ने पूछा "आप ने इतनी महंगी डॉल इन बेकार की सीपियों में उस बच्चे को दे दी ? दुकानदार ने कहा "हो सकता है ये सीपिया तुम्हारी और मेरी नज़रों में बेकार हो पर उस बच्चे की नजर में तो ये बेशकीमती है! आज वो बच्चा रुपयों और इन सीपियों में फर्क नहीं समझता पर उसे अपनी जिम्मेदारी का तो अहसास है कल वो बड़ा होगा फिर वो भी दूसरों की तरह रुपयों का महत्त्व समझने लगेगा और जब उसे याद आएगा की उसने अपनी बहिन के लिए कैसे बचपन में सीपियों से एक डॉल खरीदी थी तो क्या वो मुझे याद नहीं करेगा ?मेने बच्चे के मन की इसी सकारात्मक प्रवृति की बढ़ाने का एक छोटा सा प्रयास मात्र किया है जिसके सामने लाखों रुपयों की कीमत भी कुछ नहीं है ! जब की वो तो एक छोटी सी डॉल मात्र थी!

दोस्तों हो सके तो आप लोग भी धन दौलत दान में देने के साथ साथ लोगो में सकत्मकता को बढ़ने की भी कोशिश करे
:-- श्यामसुंदर सामरिया

Thanks,
Jyoti Kothari (Jyoti Kothari, Proprietor, Vardhaman Gems, Jaipur represents Centuries Old Tradition of Excellence in Gems and Jewelry. He is adviser, Vardhaman Infotech, a leading IT company in Jaipur. He is also ISO 9000 professional)

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