Search

Loading

Monday, November 2, 2015

गोवंश गौरव भारत : अतीत के पृष्ठ


गोवंश गौरव भारत : अतीत के पृष्ठ और वर्तमान अवस्था 

देव-स्वरूपा गोमाता 

देसी गाय बछड़े के इंतज़ार में 

सभी जानते हैं की हज़ारों वर्षों से भारत में गाय को माता एवं देवता का दर्ज़ा दिया जाता रहा है. भारत एक कृषि प्रधान देश है एवं इस देश की कृषि गोवंश पर आधारित थी।  बगैर गाय के कोई प्राचीन भारत की कल्पना भी नहीं कर सकता है. हम यह भी जानते हैं की प्राचीन और मध्य काल में भारत एक समृद्ध देश हुआ करता था जिसे सोने की चिड़िया के नाम से भी जाना जाता था. भारत की आर्थिक समृद्धि का राज गो-पालन में छिपा हुआ था और इसी लिए तत्कालीन भारत में गाय गो-धन के रूप में जानी जाती थी.

इस देश के ग्रन्थ गो-महिमा से भरे हुए हैं एवं गायों की संख्या किसी व्यक्ति के धनवान होने का मापदंड हुआ करता था. प्राचीन ग्रन्थ उपासक-दसांग में भारत के १० प्रसिद्ध धनवानों की कथा है जिनमे से सभी के पास कई गोकुलें थी (१०,००० गायों का एक गोकुल होता है). राजा महाराजा भी गायों का संग्रह करते थे और गो-धन प्राप्त करने के लिए युद्ध तक हो जाया करते थे. महाभारत की एक प्रसिद्ध कथा के अनुसार एक बार कौरवों ने मत्स्य नरेश विराट के गो-धन को लूटने के प्रयास में उनके पुत्र से युद्ध भी किया था.

उस समय गो-दान की भी परंपरा थी. राजा-महाराजा एवम धनी व्यक्ति ब्राह्मणो, कवियों, दरिद्र व्यक्तियों आदि को गाय दान में दिया करते थे. गाय का इतना महत्त्व उस प्राणी के आर्थिक-सामजिक उपयोगिता के कारण ही था. हिंदी के सर्वश्रेष्ठ लेखक मुंशी प्रेमचंद का "गोदान" उपन्यास उनकी अमर कृति है.

मानव सभ्यता के इतिहास में मनुष्य ने जितने भी जीवों को पालतू बनाया है उसमे गाय सर्वाधिक उपयोगी है. गाय का दूध माता के दुध के सामान शिशु / वालक के लिए पौष्टिक है, इस लिए इसे गो-माता के नाम से बुलाया जाता है।  इसके दुध से दही, छाछ, घी, मावा आदि अनेक प्रकार के अत्यंत उपयोगी खाद्य सामग्रियों का निर्माण होता है. दुध, दही, छाछ, मक्खन, घी आदि गोरस के नाम से जाने जाते हैं और यह सभी कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, फैट एवं अनेक खनिजों व विटामिनो का अमूल्य स्रोत है.

जहाँ स्त्री गो-वंश दूध देने का काम करती है वहीँ बैल खेती में काम करता है, खेत को जोत कर उसे उपजाऊ बनाता है. गाय का गोबर उठता खाद है साथ ही ईंधन भी. गोबर का जैविक खाद न सिर्फ जमीन को उर्बर बनता है बल्कि जमीन में केचुए की उत्पत्ति में भी सहायक होता है. केचुए जमीन को निरंतर पोली बना कर पौधों में  प्राणवायु (ऑक्सीजन) का संचार करता है.  गोवर के कीटाणुनाशक क्षमता के कारण इससे घर के आँगन को लीपा जाता था और कच्चे मकानो को गोबर का घोल मज़बूती भी प्रदान करता था.

गो-मूत्र एक उत्तम औषधि होने के साथ यह कीटाणु एवं पतंग-प्रतिरोधी भी है एवं फसलों को कीट-पतंगों से बचने के लिए इसका बहुलता से उपयोग होता था. मृत्यु उपरांत भी गाय अनुपयोगी नहीं होती एवं इस के चमडे  से जुटे, चप्पल, बैग आदि विविध वस्तुओं का निर्माण होता है, इसकी हड्डियां फॉस्फोरस का उत्तम स्रोत है और इसके सिंग भी जमीन को सूक्ष्म तत्व उपलव्ध करवाते हैं.

इस प्रकार से गाय भारत की अर्थनीति की रीढ़ की हड्डी थी और इसके बगैर भारत में जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती थी. इसीलिए जीने भारत के जनमानस ने भगवान माना उस कृष्ण का एक नाम "गोपाल" और उनका एक मनमोहक रूप "माखनचोर" भी है. जगत कल्याणकर्ता शिव का वाहन नंदी (बैल) है और देवताओं का भी भरण पोषण कामधेनु करती है.  जैनों के प्रथम तीर्थंकर ऋषभदेव का चिन्ह भी बृषभ ही है और सभी तीर्थंकरों की माताएं पुत्र जन्म से पहले जो १४ स्वप्न देखती थी उसमे से एक बृषभ होता था. २५०० वर्ष पूर्व के "आजीवक" दर्शन के प्रवर्तक का नाम "गोशालक" था.

इस तरह हम देख सकते हैं की सभी धर्म, मत एवं सम्प्रदायों में गोवंश का एक जैसा ही महत्त्व था और धर्म-मत-पंथ निर्विशेष गाय भारत की आत्मा में वसति थी.

सभी प्राचीन उपाख्यानों में गुरुकुल वास में शिष्य गुरु की धेनुएँ चराने जाया करते थे. गाय के बछड़े को वत्स कहा जाता है और गाय की अपार ममता का द्योतक वात्सल्य शब्द बन गया. गाय के चार थन होते हैं, उसमे से दो थन का दूध बछड़े के लिए होता था और मनुष्य अपने प्रयोजन के लिए दो थनो से दूध दुहता था. इसी से दोहन शब्द बना.

इस प्रकार गोवंश भारत की अर्थनीतिक, सामाजिक, सांस्कृतिक, राजनैतिक और धार्मिक गतिविधियों के केंद्र में है और यही उसकी गौरव गाथा है जिसे अतीत के सहेजे हुए पन्नो में से निकाला गया है.

और पढ़ें
https://jyoti-kothari.blogspot.com/2015/11/blog-post_3.html
https://jyoti-kothari.blogspot.com/2015/11/blog-post_5.html


मांस निर्यात पर 25 हज़ार करोड़ रुपये की सब्सिडी क्यों?


ज्योति कोठारी
संस्थापक कोषाध्यक्ष,
गो एवं प्रकृतिमूलक ग्रामीण विकास संस्थान






allvoices

Friday, October 30, 2015

मांस निर्यात पर 25 हज़ार करोड़ रुपये की सब्सिडी क्यों?

मांस निर्यात 

मांस निर्यात पर ७० रुपये प्रति किलो की सब्सिडी क्यों? यह प्रश्न हर भारतीय के मन में उठ रहा है. यह सब्सिडी बहुत वर्षों से चल रही है और भैंसों के परिवहन पर यह सब्सिडी दी जाती है. इसके साथ ही निर्यातोन्मुखी कत्लखानों के आधुनिकीकरण के लिए १५ करोड़ रुपये प्रति कत्लखाने भी केंद्र सरकार द्वारा दिए जाते हैं. राज्यसभा की याचिका समिति ने 13 फरवरी 2014 को मांस निर्यात नीति पर पुनर्विचार कर सब्सिडी बंद करने की सिफारिश की थी, मगर उस रिपोर्ट पर वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय ने 3 दिसंबर 2014 को पुनर्विचार करने से इंकार कर दिया है.  केंद्र सरकार ने आज तक यह सब्सिडी देना बंद नहीं किया है. विभिन्न राज्य सरकारों द्वारा दिए जाने वाले अनुदान एवं सुविधाएँ इसके अतिरिक्त है.

इन सब्सिडियों के बुते भारत विश्व का सबसे बड़ा मांस निर्यातक देश बन चूका है और इस मामले में वह ब्राज़ील, न्यूज़ीलैंड, ऑस्ट्रेलिया जैसे परंपरागत निर्यातक देशों को पीछे छोड़ चूका है. भारत ने इस वर्ष लगभग २४ लाख टन मांस का निर्यात किया है और इस हिसाब से केवल परिवहन अनुदान पर ही सरकार ने कर दाताओं के १६८०० (सोलह हज़ार आठ सौ) करोड़ रुपये मांस निर्यातकों पर लूटा दिए. कत्लखानो के आधुनिकीकरण पर इसके अतिरिक्त ३०० करोड़ रुपये खर्च किये गये. केंद्र सरकार द्वारा दिए गए अन्य अनुदान एवं लाभ के वारे में कोई आंकड़े लेखक के पास उपलव्ध नहीं है.

केंद्र सरकार के अतिरिक्त राज्य सरकारें भी मांस निर्यातकों को अनुदान एवं अन्य सुविधाएँ प्रदान करती है जिससे संवंधित आंकड़ों का संकलन करना अभी बाकी है. इसके साथ ही इन मांस निर्यातकों को आयकर भी नहीं देना पड़ता। भारत से मांस का निर्यात मूल्य लगभग ३२५ अरब रुपये है, और इस बहुत ही लाभजनक व्यापार से निर्यातकों को काम से काम १०० से १५० अरब रुपये प्रति वर्ष का मुनाफा होता है.  इस प्रकार केंद्र सरकार को इनसे ३५ से ५० अरब रुपये आयकर के रूप में मिलना चाहिए परन्तु आयकर में छूट होने के कारन यह पैसा भी मुट्ठीभर मांस निर्यातकों की ही जेब में रह जाता है.

हमने ऊपर के आंकड़ों में देखा की केंद्र सरकार द्वारा इस मद में करीब १७ हज़ार करोड़ (१७० अरब) रुपये प्रति वर्ष सब्सिडी के रूप में दिया जाता है इसमें आयकर छूट को और शामिल किया जाए तो यह आंकड़ा २० हज़ार करोड़ (२०० अरब रुपये) के पार पहुंच जाता है. यदि हम यह मान लें की राज्य सरकारें केंद्र सरकार का चौथाई भी देती है तो यह रकम भी ५००० करोड़ (५० अरब) रुपये के पार पहुचती है. इस प्रकार करदाताओं का २५००० (पच्चीस हज़ार) करोड़ या २५० अरब रुपये केंद्र व राज्य सरकारें मांस निर्यातकों पर लूटा रही है.  यह रकम कुल निर्यात आय के ७५ प्रतिशत के बराबर है.

दैनिक जनसत्ता के अनुसार  देश के चार सबसे बड़े मांस निर्यातक अरेबियन एक्सपोर्ट (सुनील करन), अल कबीर एक्सपोर्ट (सतीश और अतुल सभरवाल), एमकेआर फ्रोजन फूड्स (मदन एबट) व पीएमएल इंडस्ट्रीज (एएस बिंद्रा) हैं. समाचारों के अनुसार पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं कांग्रेस के दिग्गज नेता कपिल सिब्बल की पत्नी भी इस व्यापार में अग्रणी भूमिका में है.

गौरतलब बात ये है की देश में मुट्ठीभर (५० से भी कम) बड़े मांस निर्यातक हैं और करदाताओं की गाढ़ी कमाई की यह सारी रकम का अधिकांश भाग उन थोड़े से लोगों पर वर्षों से लुटाया जा रहा है.

यह उद्योग न तो बुनियादि संरचनाओं के विकास में कोई योगदान देता है न ही कोई विशेष रोज़गार सृजन का काम करता है उलटे देश के संसाधनो पर अतिरिक्त दवाब ले कर आता है. कत्लखानों से हमारे जलस्रोतों को प्रदूषित होते है, दूध का उत्पादन कम कर उसे महंगा बनाता है जिससे पौष्टिक भोजन की कमी होती है. फिर किस स्वार्थ से इन मांस निर्यातकों पर इतनी मेहरबानी और दरियादिली दिखाई जाती है?

भारत जैसे विकासशील देश में जहाँ शिक्षा, स्वास्थ्य, पेयजल जैसी बुनियादी सुविधाओं के लिए धन का आभाव रहता है और हम लगातार विदेशी निवेशकों के पीछे भागते रहते हैं वहां केवल मांस निर्यात पर इतना भारी भरकम धन खर्च करना कहाँ तक उचित है? ध्यान देने लायक बात यह है की यह रकम केंद्र सरकार के कुल स्वास्थ्य बजट के बराबर है.

मांस निर्यातकों को छूट देने की यह परंपरा महावीर, बुद्ध, गांधी के इस देश में स्वतंत्रता के समय से चली आ रही है और बढ़ती ही जा रही है. क्या हमारी केंद्र व राज्य सरकारें इस विषय में विचार करेगी? क्या जनता जागृत हो कर सरकारों को ऐसा न करने के लिए मज़बूर करेगी? इस ज्वलंत प्रश्न का उत्तर हमें देना ही होगा।

 यांत्रिक कत्लखानों- मांस निर्यात के विरोध में आंदोलन ६ दिसंबर से

Summary in English:
Why governments are paying a 25 thousand crore subsidy on meat export from India?

India is now the World's number 1 in meat export, exporting 24 million tonnes of beef. The central government is paying a subsidy of Rs. 70 per KG on transportation costs amounting to Rs. 16800 crore or 168 billion. The same is paying up to 15 crore or 150 million for the modernization of slaughterhouses and has paid a total of Rs. 300 crore last year. Central government loses approximately 3500 to 5000 crore for the income tax benefits given to the meat exporters. The federal government of India pays a sum of Rs. 20,000 crore or 200 billion in total as direct or indirect subsidies to the meat exporters.

If we assume that State governments are paying one-fourth of the amount paid by the Union government, it is Rs. 5000 crore or 50 billion. Thus the total amount paid by both central and state governments amounts to Rs. 25000 crore. This money goes from the pocket of taxpayers which means from our pockets.

Why? Raise your voice against the subsidy of Rs twenty-five thousand crore on meat export. This is equal to the total budget of the Central government for health care in India. Lion's share of the whole amount goes to the pockets of a few meat exporters (Less than 50). Raise your voice to stop this subsidy to meat exporters and ask the governments to spend this money for the benefit of people in general.

Jyoti Kothari 

Q&A on the carcinogenicity of the consumption of red meat and processed meat





allvoices

Wednesday, October 21, 2015

Be aware of calls in the name of Google


Google, Bing and Yahoo, Major Search Engines
Please be aware of phone calls in the names of Google. There are several Companies who are calling in the name of Google and misleading the customers. Its a rare instance when Google calls any customer to buy their products.

Several IT Companies in SEO business have been calling in the name of Google to various business houses. There is no harm in calling customers and offering one's service. Customers have option to accept or reject their offers. However, calling in the name of Google creates an extra hype in the minds of customer.

Large numbers of businessmen in India do not have adequate knowledge in Information Technology. Many of them do not have much exposure to IT. Google is a symbolic name for them and this is synonym to internet or web world for them.

SEO services are offered to improve page ranking in search engines for better web visibility. This service help in growing business by attracting more customers through websites or other IT products. Most of the people worldwide use Google for searching any product or service and to gain knowledge.

When a business person (Having not much knowledge about IT or SEO) gets a call for SEO in the name of Google, he or she may get excited. It is therefore, easy for the SEO company to sell their ideas and services to that client.  However, he or she would not be getting services from Google. The business person may go the hands of such persons or Company, who cannot provide quality services. So, be aware of such calls and pay only if you are satisfied with the service provider. Please do not be misguided by the name of Google.

How to promote business boost sales with well designed websites?

Why SEO? What is SEO? Keywords, tools, techniques, training and services

Yahoo and Microsoft joined hands to beat Google competition

Thanks,
Jyoti Kothari

(Jyoti Kothari, Proprietor, Vardhaman Gems, Jaipur represents Centuries Old Tradition of Excellence in Gems and Jewelry. He is adviser, Vardhaman Infotech, a leading IT company in Jaipur. He is also ISO 9000 professional)

allvoices

Friday, September 4, 2015

Indian President did not speak about Non-Congress Prime Ministers


Pranab Mukherjee addressing at MDU
Pranab Mukherjee, Honorable President of India, taught school students today at Rajendra Sarvoday Vidyalay in Rashtrapati Bhavan.  It is a welcome step that the constitutional Head of India came forward to teach school students on September 5, Teacher's Day. He taught about the history of Indian democracy and shared his vision and experience. He spoke about several Congress Prime Ministers including Jawaharlal Nehru, Rajeev Gandhi, Narsimha Rao and Dr. Manmohan Singh.

Surprisingly, he did not speak anything about any of the Non-Congress Prime Ministers while describing democracy and democratic strength of India. Does only Congress bring democracy in India? Can democracy exist without opposition parties?  He forgot Morarji Desai, first ever Non-Congress Prime Minister or even Atal Vehari Bajpayee, three times PM of India. I don't know why he escaped mentioning any of the Non-Congress Prime Ministers. However, it was his privilege.

Prime Minister Narendra Modi also addressed school students and interacted with them. It was the first time when both the top leaders, Honorable President, and the Prime Minister. Anyway, today will be remembered for very long time for this honor to the teachers.

Thanks,
Jyoti Kothari, ( Proprietor, Vardhaman Gems, Jaipur represents Centuries Old Tradition of Excellence in Gems and Jewelry. He is adviser, Vardhaman Infotech, a leading IT company in Jaipur. He is also ISO 9000 professional)

Attribution: By MDU Rohtak [CC BY-SA 3.0 (http://creativecommons.org/licenses/by-sa/3.0)], via Wikimedia Commons

allvoices

Saturday, August 15, 2015

सावन की तीज: प्रकृति और महिलाओं का त्यौहार


themed nature jewellery sawan ki teej
कदम्ब पुष्प अंगूठी: सावन की तीज


 परसों १७ अगस्त, २०१५  सावन की तीज है. यह प्रकृति और खास कर महिलाओं का त्यौहार है. चारों ओर हरियाली हो, कदम्ब के पुष्प खिले हों, वर्षा से स्नात हो कर रूपसियों की विकसित रोम राजी जैसी महकते कदम्ब के बृक्ष में बंधा हुआ झूला हो, हाथों में मेहंदी रचाये सोलह श्रृंगार कर स्त्रियां नाचती गाती अपनी मस्ती में झूमती हुई वन बिहार करती हों तो वो कहलाता है सावन का तीज या हरियाली तीज. क्या है यह त्यौहार और इसका भारतीय संस्कृति में महत्व?

सावन का महीना चौमासे अर्थात वर्षा ऋतू का पहला महीना होता है. झूमते बादल के साथ इठलाती वर्षा रानी पूरी प्रकृति को आनंदित कर देती है. बरसात की फुहार सुखी और गरम धरती को न सिर्फ शीतल करती है परन्तु उसमे नया जीवन भी फूँक देती है. हर तरफ हरियाली का साम्राज्य फैलने लगता है और प्रकृति नवीन जीवन के पल्लवन से सृजन की खुशियों से भर उठती है. ऐसे आनंदोत्सव में महिलाएं क्यों न सम्मिलित हों? आखिर स्त्रियों को भी तो प्रकृति ही कहा गया है, वे भी तो सृजनहार ही हैं.

कहा जाता है की वृन्दावन में कृष्ण कन्हैय्या अपनि प्रियतमा राधा रानी के साथ वन और उद्यानों में गोपियों संग क्रीड़ा करते थे. कदम्ब के पुष्पों से महकती बृन्दावन की कुञ्ज गलिन में हिंडोले में बैठ कर झूला झूलते थे. वर्षा की बूंदों से आनंदित मयूर गण भी वहां आकर अपनी  नृत्यकला से मानो राधा कृष्ण को रिझाने में लगे रहते थे. राधा की सखियाँ अर्थात बृंदावन की गोपियाँ भी मस्ती में झूमते हुए मानो नृत्यकला में मयूरों को भी पीछे छोड़ देना चाहती थी, तब ऐसे मनती थी सावन की तीज.

कदम्ब के पुष्पों का भारतीय साहित्य में बहुलता से वर्णन है. किसी की प्रसन्न चित्तता बताने के लिए प्रायः कदम्ब के पुष्पों की उपमा दी जाती थी. जब ख़ुशी से किसी के रोम-रोम पुलकित होते थे तो उसकी उपमा धारास्नात कदम्ब के पुष्पों से दी जाती थी और उसकी महक का तो कहना ही क्या?

राजस्थान में सावन की तीज का महत्व बहुत अधिक है, वीरों की ये धरती लगभग प्यासी ही रहती है, रेगिस्तान में पानी का महत्त्व क्या है यह तो वहां के रहवासी ही जान सकते हैं. यूँ तो वर्षा सभी जगह आवश्यक एवं आनंद दायक होती है परन्तु राजस्थान के मरुस्थल की बात कुछ विशेष ही है. और इसलिए सावन की तीज का महत्त्व भी यहाँ और स्थानो से अधिक ही है।

जिन सौभाग्यवती स्त्रियों के पति प्रवास में रहते थे ऐसी प्रोषित भर्तृका स्त्रियों के पति भी प्रायः वर्षा ऋतू में प्रवास से घर वापस आ जाते थे. लम्बे इंतज़ार के बाद अपने प्रियतम  से मिलन की अद्भुत ख़ुशी सावन के तीज के त्यौहार में चार चान्द लगा देती थी तभी तो स्त्रियां सोलह श्रृंगार कर अपने प्रियतम के साथ वन बिहार को जाती थी और उन्मुक्त प्रकृति का आनंद लेती थी. ऐसे अवसर पर किसी भी स्त्री के पीहर पक्ष वाले अपनी बहन या बेटी के लिए श्रृंगार की सामग्री, आभूषण, स्वादिष्ट पकवान आदि भेजा करते थे. श्रृंगार सामग्री भेजने की यही प्रथा अब सिंजारा कहलाती है.

मंद मंद सुरभित पवन के बीच झूले में झूलना, नव-पल्लवित लता गुल्मो के बीच अठखेली करते दम्पति-युगल, पति - पत्नी अथवा प्रेयसि- प्रेमी के मिलन को एक अनिर्वचनीय अानन्द की अनुभूति से भर देता था.

चित्र-परिचय: ऊपर के चित्र में कदम्ब वन में पुष्पों पर मंडराते-गुंजारव करते हुए भौंरे और स्त्रियों का प्रिय आभूषण अंगूठी को दर्शाया गया है. अंगूठी की प्राकृतिक सुंदरता भौंरे को भी भ्रमित कर रही है और वो उसे ही फूल मान कर उधर आकर्षित हो रहा है. ऐसे ही और भी चित्र देखने के लिए यहाँ क्लिक करें.

ज्योति कोठारी 
वर्धमान जेम्स, जयपुर

  

allvoices

Friday, July 10, 2015

I am enjoying my work


I am enjoying my work very much, really enjoying. I am working for my Gems and Jewelry Company, Vardhaman Gems. This is doing very well online. We have scored 11000 likes in Facebook in just three months, that too, without advertising or buying likes. All these facebook likes are organic.

Vardhaman Gems decided to provide good quality Diamond Jewelry in 18K gold (Hallmarked) in a reasonable price to online customers and had created an e-Commerce website for online shopping. We have promoted the page in Facebook and have been receiving an excellent response. I am thankful to all our friends and likers.

I am enjoying in bearing my responsibilities as the advisor, Vardhaman Infotech, an IT Company. Darshan Kothari, my son is running this Company that developed more than 70 Android and IOS mobile Applications for domestic and international clients.

I am also enjoying my life in social services, I used to render. I am enjoying my life with my family, society, countrymen and people worldwide at large and wish all of you enjoy your life.

Thanks,
 Jyoti Kothari, ( Proprietor, Vardhaman Gems, Jaipur represents Centuries Old Tradition of Excellence in Gems and Jewelry. He is adviser, Vardhaman Infotech, a leading IT company in Jaipur. He is also ISO 9000 professional)

allvoices

Saturday, October 4, 2014

देश को चाहिए चौकीदार India needs watchmen



भारत को चाहिए चौकीदार। ऐसे सशक्त पहरेदार जो देश में पनपनेवाली हर बुराई पर पैनी नज़र रख सके और लोगों को आगाह कर सकें।  हमारे प्रधान मंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने भारत को एक सशक्त एवं उन्नत देश बनाने का संकल्प लिया है और उस दिशा में निरंतर कदम बढ़ा रहे हैं. परन्तु वे अकेले क्या कर सकते हैं? देश में हर जगह गन्दगी, गरीबी और भ्रष्टाचार व्याप्त है जो की देश की तरक्की में वाधक बना हुआ है.

मोदीजी कहते हैं की यदि हर भारतवासी एक कदम चलेगा तो देश १२५ करोड़ कदम आगे बढ़ जायेगा। उनके इस आह्वान पर हमने भी साथ चलने का निश्चय किया है और इसी उद्देश्य से यह लिख रहा हूँ. हमें कई बार ऐसा लगता है की हम अकेले क्या कर सकते हैं> मैं एक सरल उपाय बताता हूँ.

अभी दो दिन पहले गांधी जयंती के अवसर पर माननीय प्रधान मंत्री जी ने स्वच्छ भारत अभियान की शुरुआत की और पांच वर्ष में लक्ष्य प्राप्त करने की बात कही. अब आप जहाँ कहीं गन्दगी देखें बस उसका एक फोटो खिंच लें. उसे संवंधित अधिकारी तक पहुचाये और सफाई का आग्रह करें। यदि आप स्वयं उसे साफ़ कर सकें तब तो बहुत अच्छी बात होगी पर काम क्से काम अधिकारी तक बात पंहुचा तो सकते ही हैं. यदि इतना करना भी मुश्किल हो तो कम से कम फेसबुक में एक पोस्ट तो कर ही सकते हैं.

इस काम के लिए मैने फेसबुक में एक ग्रुप बनाया है चौकीदार। आज इस ग्रुप को बनाते के साथ ही करीब सौ लोगों ने इसे ज्वाइन किया है. आप भी इसे ज्वाइन करें और जहाँ गन्दगी दिखे इसमें उसकी फोटो पोस्ट कर दें. साथ में जगह का पता देना न भूलें। यदि संभव हो तो वहां दूसरे दिन दुबारा जा कर देखें की गन्दगी साफ़ हुई या नहीं। यदि नहीं हुई हो तो मैसेज के साथ इसे दोबारा पोस्ट कर दें. इससे लोगों में जागरूकता बढ़ेगी और संवंधित अधिकारी एवं कर्मचारियों पर दवाव बढ़ेगा। हो सकता है किसी भले आदमी के मन में आ जाए और वो ही इसे साफ़ कर दें.

इतना तो आप जरूर कर सकते हैं.  मैं प्रयास करूँगा की इस ग्रुप का लिंक PMO India से भी हो जाये जिससे आपकी बात सीधे मोदीजी तक भी पहुँच सके. आज के दिन में मोबाइल व इंटरनेट के कारण यह एक बहुत ही आसान काम है पर इसका असर बहुत दूरगामी होनेवाला है. क्या हम नहीं चाहते की हमारा देश स्वच्छ और साफ़ सुथरा रहे? तो देर कैसी? काम शुरू कर दें.. प्रभु आपका मंगल करेगा!!

बनिए भारत के चौकीदार

India needs watchmen

The nation needs watchmen. Hundreds and thousands of watchmen चौकीदार who can keep their eyes on anything wrong happening in the country. Fortunately, we have got Narendra Modi as our PM who wants to work day and night for the betterment of the people and development of India.
However, we know that the corrupt and inefficient system does not allow him to work. It is, therefore, our duty as citizens of India to work as watchmen. The present task is cleaning India.
Whenever and wherever you see dirt report here. Please take a picture from your camera or mobile phone and upload here with a description of the location.
It will be better if you follow the place and report the next day whether the garbage is there or it is cleaned. Please do this for few days and you will see that the officials responsible for cleaning will be alert.
Can we contribute a little to clean India? Please click here to join 
Thanks,
Jyoti Kothari   (Proprietor, Vardhaman Gems, Jaipur represents Centuries Old Tradition of Excellence in Gems and Jewelry. He is adviser, Vardhaman Infotech, a leading IT company in Jaipur. He is also ISO 9000 professional)

allvoices

Wednesday, October 1, 2014

Research scholar Borayin Larios from Heidelberg, Germany in Jaipur

Sri Suparshwa Nath, the main deity at the temple

Colorful Roof painting at Sri Suparshwa Nath temple, Jaipur


Research scholar Borayin Larios from Heidelberg, Germany is in Jaipur and researching on antique jewelry using garnet gemstones. He has been here for a month and working with me continually to find useful clues. There are a few pieces of antique Jewelry in museums in Germany that have garnet (flat cut) inlaid into them. There is a probability that garnet stones used in these 1500 years old jewelry are from India.

 Borayin Larios was a student of comparative religion and studied the Vedas for his Doctoral program. He has changed his name to "Maitreya" (An Indian name in Sanskrit) inspired by his spiritual Guru. I am helping him as a gemstone dealer. I am also working with him on finding Jain texts about gemstones and jewelry.

He visited S J Public School today (October 1, 2014)  with me and delivered a lecture among the management, teachers, and students of the prestigious school. He said that 2nd October, the next day, is Gandhi Jayanti who fought all of his life with the weapon of Ahimsa. He linked the environment with Ahimsa and asked everyone to go with nature and not to pollute and contaminate the mother earth.

We had been at Sri Suparshwa Nath Shwetambar Jain temple, Johri Bazar a few days back where he shot some beautiful snaps of the temple. I have posted a few of these pictures at the top of the blog. 

Thanks,
Jyoti Kothari, (Proprietor, of Vardhaman Gems, Jaipur represents Centuries Old Tradition of Excellence in Gems and Jewelry. He is an adviser, to Vardhaman Infotech, a leading IT company in Jaipur. He is also an ISO 9000 professional)

allvoices

Thursday, September 18, 2014

Poorn Chandra Jain, a freedom fighter and true Sarvoday leader


Poorn Puran Chandra Jain Tunklia, Freedom fighter and Sarvoday leader
Poorna Chandra Jain Tunklia
Poorna Chandra Jain (Puran Chand Tunkalia), a multi dimensional personality was born on 19th September, 1909. He was a highly qualified person of his time who obtained post graduate degree from Agra University.  Poorna chandraji started his career as a teacher on request of the Jobner thakur (a chieftain under Jaipur estate).

Soon after that, he got attracted to the freedom movement and joined Jaipur Rajya Prajamandal (the flagship organization of freedom fighters in princely states under British rule). He soon occupied the centre stage of freedom movement in Jaipur because of his sharpness, straightforwardness and commitment.

He was also the chief Editor of “Lokvani”, the most popular Hindi daily in Jaipur. Besides freedom movement, he made his presence strongly felt in the literary circles of the nation. He led social reforms in the city; he started criticizing social evils of that time and attacked those making his articles weapon against the same. His articles even embarrassed the monks and nuns of his own Jain community.

He contributed a lot for the educational development in the city. He decided not to join active politics post independence. Though he was sure to be inducted as a minister in the first ever popular ministry formed in Rajasthan after independence, he decided to remain in the field of constructive work and social service. He was the main leader in Rajasthan in Bhoodan movement launched by Saint Vinoba Bhave.


Poorn Chandra Jain sitting with Saint Vinoba Bhave (Group photo)
He was founder of several social and voluntary organizations within and outside Jaipur including Prakritrik chikitsalaya (a renowned Naturopathy center). He was an all India figure in regard to Sarvodaya movement, the movement for prohibition of Alcohol etc.

He worked in close association with Sri Jay Prakash Narayan (JP), the most popular leader of that time. In early seventies, they worked together for surrender of dreaded dacoits of Chambal valley. Many of the dreaded dacoits came forward and surrendered their weapons and took oath of “Ahimsa” before him.

At the age of 75, Poorna Chandra ji decided to relinquish all the official positions. He was so firm on his decision that repeated attempts by the then chief minister Mr. Bhairon Singh Shekhawat ( who was very close to him too) also failed to persuade him to accept the chairmanship of a govt. body under which he would have been entitled for a cabinet minister ranking.

He wrote a hand-note on January 14 and handed it over to his family members on August 1, 1995. He clearly instructed not to perform any rituals and not to call any of his family members from outside the city after his death except funeral and Utavna. His family members followed his instructions after his death. 

Jaipur will celebrate his 105th birthday tomorrow September 19, 2014 at Vani Mandir, Bapunagar to pay homage to their reverend leader who worked selflessly for his whole life. I have got details from Ajay Tunkalia, his grand son about his personality and work. I am publishing this article editing those details for your perusal.

Photographs of Birth day celebration at Vani Mandir

Jyoti Kothari with Chandi Prasad Bhatt, Dr VS Vyas, former consultant to PM of India
Jyoti Kothari speech, Vani MandirC P Bhatt, V S Vyas and Ajay Tunkalia at Dias 

Jyoti Kothari among Dignified audience at Puran Chand Tunkalia memorial lecture in Jaipur
Audience at Vani Mandir, Poorn Chandra Jain memorial lecture
Thanks,
Jyoti Kothari, (Proprietor, Vardhaman Gems, Jaipur represents Centuries Old Tradition of Excellence in Gems and Jewelry. He is adviser, Vardhaman Infotech, a leading IT company in Jaipur. He is also ISO 9000 professional)

allvoices

Tuesday, September 16, 2014

বিধানসভা উপ নির্বাচনে বি জে পী এলো তৃনমূলের সমকক্ষে



শমিক ভট্টাচার্য, বসিরহাট দক্ষিণ থেকে জয়ী

আজ পশ্চিম বঙ্গে বিধানসভা উপ নির্বাচনের ফলের ঘোষনা হলো. বসিরহাট দক্ষিনে  বি জে পী প্রত্যাশী শমিক ভট্টাচার্য তৃনমূলের প্রত্যাশী কে হারিয়ে জয়লাভ করলেন। সি পি এম এবং কংগ্রেস প্রত্যাশী ক্রমশ তৃতীয় এবং চতুর্থ স্থানে থাকলেন। এই সিটে কংগ্রেস প্রার্থীর জামানত বাজেয়াপ্ত হয়েছে। 
চৌরঙ্গী (কলকাতা) আসন অবশ্য তৃনমূলের প্রত্যাশী জয়ী হয়েছেন কিন্তু এইখানে ও বি জে পী দ্বিতীয় স্থান পেয়েছে। কংগ্রেস এবং  সি পি এম প্রত্যাশী ক্রমশ তৃতীয় এবং চতুর্থ স্থানে থাকলেন। পশ্চিম বঙ্গে বিধানসভা উপ নির্বাচনে বি জে পী এলো তৃনমূলের সমকক্ষে। উভয় দল ই এক - এক টি আসনে জয়লাভ করেছে এবং এক - এক টি আসনে দ্বিতীয় স্থানে থেকেছে। কংগ্রেস এবং  সি পি এম এক - এক টি আসনে তৃতীয় এবং চতুর্থ স্থানে থাকলেন।

এই নির্বাচন ইঙ্গিত করছে যে বি জে পি পশ্চিমবঙ্গে একটি বিশিষ্ট রাজনৈতিক শক্তি হিসেবে প্রতিষ্ঠিত হয়েছে। বাংলার মানুষ এখন এই দল কে তৃনমূলের বিকল্প হিসেবে দেখতে শুরু করেছে। বিশেষ দ্রস্টব্য যে বি জে পি প্রথম বার একক ভাবে বিধানসভা নির্বাচন লডেছে। সাধারনত দেখা যায় যে উপ নির্বাচনে শাসক দল ই জয় লাভ করে কিন্তু এইবার বি জে পি নিজেকে প্রতিষ্ঠিত করতে পেরেছে।

কংগ্রেস এবং  সি পি এম উভয় দল ই বাংলার রাজনীতি তে নিজেদের ভূমিকা স্থাপিত করতে পারছে না. জয়লাভ করার পারে তার প্রথম প্রতিক্রিয়ায় শমিক দা বললেন যে বসিরহাটের মানুষ তাকে বিধানসভায় পাঠিয়েছে এবং তিনি বিধানসভা দেখে আসবেন যাতে ২০১৬ তে অনেক যান কে নিয়ে যেতে পারেন।

Thanks,
Jyoti Kothari,
In Charge, West Bengal,
Narendra Modi Vichar Manch

allvoices

Wednesday, September 10, 2014

Hindu and Jain festivals in September - October 2014


Flower decoration in Diwali in Jaipur

The season for Hindu and Jain festivals have tarted. there are many in this September and coming  October 2014. Large numbers of people search for dates of festivals and want to know significance and importance of these Hindu and Jain festivals.

I have written several detailed media rich articles with related photos and videos in Hubpages where I I love to write on various topics. First of all I am writing about the festivals of Shraddh Paksh (Pitru Paksh),  Navratri, Durga Puja and Dashara - Vijaya Dasami (Hindu festivals), Navpad Oli (Jain festival) and Dhan Teras - Diwali along with dates of these Indian festivals. Diwali festival includes Govardhan Pooja and Bhai Dooj.

Most of these festivals are celebrated not only in India but worldwide by Indian communities.  I hope you will celebrate and enjoy these festivals on dates mentioned below according to your faith and belief.

Shraddh Paksh Pitri Paksh in 2014

Shraddh Paksh (Pitri Paksh) starts from September 9, Tuesday in 2014. It will be ended with Mahalaya Shraddh on Wednesday, September 24. Navratri will be starting from the next day September 25. Please click below to read articles for detailed information.
Hindu festival in India: Shraddh Paksh: Pitri Paksh


Ashwina Navratri and Dashara dates in 2014

Sharadiya Navratri (Ashwin) starts from September 25 Thursday this year 2014. Shashthi will be on September 30 and Maha Saptami, Ashtami and Navami will be falling on October 1, 2, and 3 respectively.Dashara alias Vijaya Dasami will be on Saturday, October 4, 2014. Click the link below:

Navpad oli dates in 2014

Navpad oli (Ashwin) will be starting from Tuesday, September 30 and will be ended on Sharad Poornima, Wednesday, October 8 in this year 2014.  Please click below to read articles for detailed information.

Dhan Teras and Diwali dates in 2014

Happy Diwali!
Dhan Teras will be falling on Tuesday, October 21 in the year 2014. Diwali will be on Thursday October 23. Roop Chaudas will be on October 22. Nirvan Laddu and Govardhan Pooja will be on 24th and Bhai Dooj on October 25. Get details by clicking 
I believe that you will get useful and interesting information with related photos and relevant videos in these articles. Please feel free to comment on those. You can also share those articles in social media.  

Thanks,
Jyoti Kothari, (Proprietor, Vardhaman Gems, Jaipur represents Centuries Old Tradition of Excellence in Gems and Jewelry. He is adviser, Vardhaman Infotech, a leading IT company in Jaipur. He is also ISO 9000 professional)

allvoices

Sunday, September 7, 2014

Situation of husband according to Goswami Tulsidas


I have received an Email from Sri Surendra Bothra and found interesting. I am posting this with his comment.

Satya Vachan..
Do not under estimate the power of women!!!!!!!!!!!!!!!

Wonderful depiction of the universal reality . Goswami Tulsi Das said — "नारि-विवश नर सकल गुसॉंई, नाचहिं नर मरकट की नाईं।" (All men are helpless in front of their women. They have to dance like a monkey to the tune of the owner).


If you want to change the world, do it when you are still a bachelor.
After marriage,  you can't even change a TV channel!!!

Listening to wife is like reading the terms conditions of website.........
You understand Nothing, still you click .......

Chess is the only game in the world, which reflects the status of the husband.
The poor king can take only one step at a time ..........
While the mighty queen can do whatever she likes.

 All Men are Brave,  Horror Movies don't scare them............
 But 5 Missed Calls from Wife ..surely.

Comment by Sri Surendra Bothra
Hi there!
This is for the males of the family to gracefully accept the reality and for the females of the family to rejoice with just a little shyness that the secret is out!!!

Thanks,
Jyoti Kothari
(Jyoti Kothari, Proprietor, Vardhaman Gems, Jaipur represents Centuries Old Tradition of Excellence in Gems and Jewelry. He is adviser, Vardhaman Infotech, a leading IT company in Jaipur. He is also ISO 9000 professional)

allvoices

Saturday, September 6, 2014

Helping German research scholar in Jaipur researching garnet gemstones



Borayin Larios, a research scholar from Heidelberg, Germany had arrived in Jaipur, India a few days back and met me. He is researching about origins of garnet in India. In fact, he is in search of some historical facts about garnet in India.

There are several pieces of antique jewelry studded with garnet are kept in European museums. Garnet studded in these jewelry look like rubies. These uncut garnets are thin like paper. Jewelry makers put thin flaps of silver beneath the gemstones that enhance the color and brightness of the same. 

Borayin Larios has brought some pictures of this jewelry that he showed me. The origins of a few of these garnets are identified in the lab testing. However, it is unknown in most of the cases. It is assumed that those garners are from the Indian sub-continent.

There are several garnet mines in Rajasthan, Orissa, Andra Pradesh, Chhattisgarh, and some other places in India. His topic of research is to find garnet mines in India and take samples for identification. 

Borayin Larios had come to India for religious studies several times. He has studied the Vedas in Maharashtra and south Indian provinces. He has taken an Indian Name Maitreyee and knows Sanskrit and Hindi languages. 

It is the first time he has been to Jaipur and with a different purpose. He will study garnet and its history in India and also investigate its cultural and religious significance. He will also study contexts in
Jain canons and texts.

As I used to support foreign research scholars visiting India, I have promised him to help and support in his research.

Thanks,
Jyoti Kothari (Jyoti Kothari, Proprietor, Vardhaman Gems, Jaipur represents Centuries Old Tradition of Excellence in Gems and Jewelry. He is an adviser, to Vardhaman Infotech, a leading IT company in Jaipur. He is also an ISO 9000 professional)

allvoices

Saturday, August 23, 2014

Paryushan, the greatest Festival of India's Jain Community



Paryushan, the greatest Festival of India's Jain Community

 

What is Paryushan for Jain community?

 

Paryushan is an Indian festival celebrated by the Jain community as a spiritual occasion to purify the soul. Paryushan will be starting from Friday, August 22, 2014, in this year. Shwetambar Jain community will observe eight days of Paryushan between August 22 and 29. Samvatsari will be observed on August 29. Some of the Swetambar sects will observe Paryushan a day later i.e. Aug 23 to Aug 30.

This is a festival of self-realization. The Sanskrit word Paryushan means living with yourself. It is called Pajjosavan in Prakrit, another ancient oriental language. Auspicious festivals are called Parva in Sanskrit and Pavva in Prakrit language. Paryushan is the greatest and holiest festival for the Jain community.

One has to practice controlling his or her body, speeches and mind to get control over oneself during the days of Paryushan. Paryushan is meant for observing principles of Jainism as told by Lord Mahavira and other Tirthankara. People observe the right knowledge (Samyag Gyan), right faith (Samyag Darshan), and right conduct (Samyag Charitra) three gems of Jain spirituality.

Paryushan is also for austerity and penance like other Jain festivals. People go through self-realization and purification of themselves. Samvatsari, the last day is forgiveness and universal friendship day. People ask pardon from each other for all misdeeds during the year and spread the eternal love.

Please subscribe to धर्म व अध्यात्म channel to see videos about Paryushan and other Jain topics.

https://www.youtube.com/channel/UCh1cAij3A_fLGUx8sBnubnQ

Image: Samavasharana

What do the Jain do in Paryushan?

 

The ultimate goal of Jainism is attaining liberation, Nirvana. Jain people observe various spiritual things for self-realization during these auspicious days. They do Pooja and pray in the Jain temples (to show devotion to God), God in Jainism means differently. Arhant and Siddh are called God according to Jain texts. They are omniscient and omnipotent but do not interfere with any mundane activities. Jain does not believe in a creator God.

Ashtanhika Pravachan is a sacred Jain text that describes the duties of a Jain in the holy days of Paryushan. It is a general practice among some sects in Jain that ascetics read out this text in the first two or three days of the eight auspicious days.

Kalpasutra is one of the main Jain canons that describe a lot about Paryushan. It is a normal practice to listen to discourses from the Kalpasutra during Paryushan. The canon includes lives of Tirthankara, Lives of famous ancient ascetics and dos and don'ts for the Jain ascetics.


Image: Mahavira Swami Temple Kolkata

Jain people observe rituals like Samayik (an act of practicing equanimity) and Pratikraman (an act of confession), take vows, bow down to ascetics, listen to spiritual teachers, reading sacred canons, etc.

Jain Sharavak (layman) and Shravika (a laywoman) also observe fast and other acts of austerity and penance. They also chant Mantra especially Navkar Mantra using a rosary, sing devotional songs, and observe Paushadh (live like ascetics).

Both Jain ascetics and laymen observe these acts rigorously to purify soul with an aim to attain Nirvana, liberation.

Paryushan is also called Ashtanhika that means it lasts for eight days. The last day is called Samvatsari. Both Jain layman and ascetics to perform Samvatsarik Pratikraman (Annual confession) and ask pardon from all creatures in the universe with a pure heart for any misdeeds. This the act that promotes eternal love and universal brotherhood. This also brings peace.

Antagadhdashang Sutra is another Jain canon that describes the souls who liberated in the same birth. Some sects of Jain ascetics also give discourses from this canon during Paryushan days.

Tatwartha Sutra alias Moksha Shastra by Umaswati is a great Jain text that contains the gist of all Jain canons. The holy book contains ten chapters describing the complete path of Nirvana (Moksha- liberation) and also the substance of the universe. Digambar Jain sect listens to these ten chapters during ten days of Das Lakshan Parva.

(NB: Old manuscripts of Kalpasutra contain many miniature paintings. These are the oldest miniature paintings in the world. The oldest manuscript is preserved in a museum in Germany. We have displayed a few of Kalpasutra miniature paintings with gold pen in this hub below.)


Image: Sisters of Sthulibhadra, Kalpasutra old manuscript

Das Lakshan- Digambar Paryushan

The word Das Lakshan means ten attributes of Dharma. These are qualities of a soul such as forgiveness, modesty, simplicity, truthfulness, purity, etc. These are the same or at least similar to the virtues observed in Paryushan.

Paryushan falls in Bhadrapad or Bhado month of the lunar calendar during Chaturmas. Shwetambar sect observes it for eight days and Digambar sect of Jain for ten days. Digambar also calls it Das Lakshan Parva. The auspicious festival usually comes in August or September in Gregorian calendar

Ashadh Chaturmas (Four months of monsoon) has special characteristics in Jain faith. Jain ascetics live in one place during these four months. These four months are Sharavan, Bhadra, Ashwin and Kartik of Indian lunar calendar. In the rest of the eight months, they travel regularly barefoot from a place to another.

Digambar Jain celebrates Paryushan as Das Lakshan Parva. There are ten attributes of Dharma according to Jain canons. Especially Tatvarthadhigama Sutra alias Moksha Shastra describes these ten attributes of Dharma (Spirituality) in detail. These are

1. Uttam Kshama (Forgiveness)
2. Uttam Mardav (Modesty)
3. Uttam Arjav (Simplicity)
4. Uttam Shauch (Purity)
5. Uttam Satya (Truthfulness)
6. Uttam Sanyam (Self-control)
7. Uttam Tapa (Penance and austerity)
8. Uttam Tyag (Sacrifice)
9. Uttam Aakinchanya (Non-possessiveness)
10. Uttam Bhramcharya (Chastity)

These are eternal and internal qualities of a pure soul. A mundane soul tries to achieve these qualities (Virtues) in order to progress in the spiritual path. Digambar Jain community celebrates Das Lakshan Parva to worship these ten attributes.

Paryushan: The true way to liberation

 

Nirvana is liberation from all earthly miseries. We, ourselves are responsible for all our miseries. ignorance of thyself is the fundamental reason for all sorrows. Mundane souls, ignorant of thyself act and behave sinfully in search of earthly and sensual pleasure. They act through their body, their senses, their speeches, and their minds. They act with astringent and loose peace of mind. Seldom they are virtuous.

These acts and behavior make mundane souls restless and unhappy. The dilemma is that they are ignorant of the causes of their sorrow and unhappiness. Spirituality shows them the true way to get rid of all miseries and sorrows through three Gems (Virtues) as Lord Mahavira taught the path.

Paryushan is the auspicious festival of spirituality and time to practice the virtues Samyag Darshan (Right faith), Samyag Gyan (Right knowledge i.e. wisdom) and Samyag Charitra (Right conduct).

Attaining equanimity through meditation is the apex of all spiritual deeds observed in the Paryushan. An intense degree of meditation liberates mundane souls from all Karmic bondage and help to attain omniscience and Nirvana.

May heaven bless you with these virtues to attain Nirvana free from all Karmic bondage and liberated from all miseries!

Paryushan In Varanasi


Bhelupur Parshwanath Temple, Varanasi

 Varanasi is a Jain pilgrimage center where 16 Kalyanaka of four Tirthankara took place. Bhelupur is the most prominent place in Varanasi where four Kalyanaka of Lord Parasnath occurred. Bhelupur is also a Jain district in Varanasi where large numbers of Jain community members live in.

I have been observing my Paryushan herein Bhelupur temple and Dharmshala. I give discourse in the morning on Ashtanhika (First two days) and Kalpasutra (Last six days) in the morning among Swetambar Jain community members of Varanasi.

There are daily Pooja, Abhishek, Snatra, Aangi and Pratikraman observed in this premise. Several Jain students studying in IIT at BHU used to come to join us in a religious ceremony.

Updated on August 23, 2014.

Thanks, 

Jyoti Kothari (Jyoti Kothari, Proprietor, Vardhaman Gems, Jaipur represents Centuries Old Tradition of Excellence in Gems and Jewelry. He is an adviser, Vardhaman Infotech, a leading IT company in Jaipur. He is also ISO 9000 professional)

allvoices

Monday, June 2, 2014

বাংলার বিজেপি নেতা তপন সিকদার প্রয়াত



প্রাক্তন কেন্দ্রিয মন্ত্রী তপন সিকদার

অত্যন্ত দুঃখের অঙ্গে জানাতে হচ্ছে যে বাংলার বিজেপি নেতা এবং প্রাক্তন কেন্দ্রিয মন্ত্রী শ্রী তপন সিকদার প্রয়াত। দীর্ঘ অসুস্থাবাস্থার পর তিনি দিল্লির AIIMS হাসপাতালে ২ জুন সকালে দেহত্যাগ করলেন। পশ্চিম বঙ্গে বিজেপি কে প্রতিষ্ঠিত করতে তার যোগদান অতুলনীয়। তিনি ছিলেন বাংলার অন্যতম বরিষ্ঠ বিজেপি নেতা। পশ্চিম বঙ্গে বিজেপির সংগঠন গড়ে তুলতে তার অবদান অতুলনীয়।

১৯৯৯ সালে তিনি প্রথম বার দমদম লোকসভা নির্বাচন কেন্দ্র থেক্র নির্বাচিত হন এবং অটল বিহারী বাজপেয়ীর কেন্দ্রীয় মন্ত্রী পরিষদে স্থান পান. ভারতের দূরসঞ্চার মন্ত্রী হিসেবে (১৯৯৯- ২০০৪) তিনি দেশের যথেষ্ট সেবা করেছেন। তপন সিকদার দুই বার লোকসভা থেকে জয়ী হয়েছিলেন। 

লোকসভা নির্বাচন ২০১৪ তে ও তিনি ছিলেন বিজেপি প্রত্যাশী যদি ও এইবার তিনি জিততে পারেন নি. অসুস্থ অবস্থা সত্বে ও তিনি এই নির্বাচনে যথেষ্ট পরিশ্রম করেছিলেন। তার কিডনি খারাপ হয়ে গিয়েছিল এবং সপ্তাহে দুই বার ডায়ালিসিস করতে হত.  শরীর বেশি খারাপ হওয়ার জন্য তাকে AIIMS দিল্লি নিয়ে যাওয়া হয় যেখানে তিনি দেহত্যাগ করলেন। 

দিল্লি বিজেপি দফতরে রাষ্ট্রীয় সভাপতি এবং কেন্দ্রীয় স্বরাষ্ট্র মন্ত্রী রাজনাথ সিংহ তার পার্থিব দেহে মাল্যদান করে শক ব্যক্ত করলেন।  প্রধান মন্ত্রী নরেন্দ্র মোদী ও ট্বীট করে তার প্রতি সম্মান জানালেন।  আজ রাত্রে তার পার্থিব সারির কে কোলকাতা আনা হলো এবং কাল সকালে (৩ জুন, ২০১৪) অন্তিম দর্শনের জন্য রাখা হবে. তারপরে তার অন্ত্যেষ্টি করা হবে.

নরেন্দ্র মোদী বিচার মঞ্চ তার অকাল প্রয়াণের জন্য শোক সন্তপ্ত এবং তার প্রতি শ্রদ্ধা ব্যক্ত করছে। ঈশ্বরের কাছে প্রার্থনা যে তার আত্মা শান্তিলাভ করুক। 


জ্যোতি কোঠারী,
প্রভারী, পশ্চিম বঙ্গ,
নরেন্দ্র মোদী বিচার মঞ্চ

বিধানসভা উপ নির্বাচনে বি জে পী এলো তৃনমূলের সমকক্ষে


Narendra Modi triumphed over Congress in Loksabha election 2014

এখন বিজেপি কে পশ্চিম বঙ্গে সংগঠনের কাজ করতে হবে


পশ্চিম বঙ্গে এই নির্বাচনে বিজেপির ভোট শেয়ার তিন গুন হলো


allvoices