महापर्व पर्युषण ३ से ११ सितम्बर, २०२१
शुक्रवार ३ सितम्बर से जैन धर्म का महापर्व पर्युषण प्रारम्भ हो रहा है। श्वेताम्बर जैन समाज के अलग अलग समुदायों में कहीं यह सितम्बर से प्रारम्भ हो कर १० को समाप्त होगा, कहीं ४ को प्रारम्भ हो कर ११ सितम्बर को समापन होगा।यह आत्मशुद्धि एवं आत्मविकास का महापर्व है. यह कोई लौकिक त्यौहार नहीं, जिसमे राग रंग मौज मजा किया जाए। यह भौतिक कामनाओं से दूर, संयम साधना पूर्वक अपने स्वयं के आत्मविकास के लिए आत्मसाधना करने का पर्व है। प्रतिवर्ष भाद्र मॉस की कृष्णा द्वादशी अथवा त्रयोदशी से प्रारम्भ हो कर यह महापर्व भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी अथवा पंचमी को समाप्त होता है।
चित्र: प्राचीन कल्पसूत्र पाण्डुलिपि
इस अवसर पर महान आगम ग्रन्थ कल्पसूत्र का वांचन होता है, मंदिरों में भव्य पूजा अर्चना होती है, साधु भगवंतों के प्रवचन होते हैं, लोग तपस्या कर जीवन सफल बनाते हैं. स्थानकवासी परंपरा में कल्पसूत्र के अतिरिक्त अंतगढ़ दसांग सूत्र वाचन की भी परिपाटी है। पर्युषण पर्व के पांचवें दिन भगवान् महावीर का जन्म वाचन होता है। सभी जैन धर्मावलम्बी इसे बड़े उत्साह एवं धूमधाम से मनाते हैं. यह महान पर्व पर्युषण आत्मसाधना के साथ जिनशासन की प्रभावना का भी पर्व है।
आठ दिन के इस पर्युषण महापर्व का अंतिम दिन संवत्सरी पर्व होता है। इस दिन सांवत्सरिक प्रतिक्रमण कर वर्षभर में किये गए पापों/ दुष्कृत्यों की आलोचना की जाती है। आलोचना स्वरुप अतिचार का पाठ बोल कर सभी पापों का मन, वचन, काया से मिच्छामि दुक्कडं दिया जाता है। इसके बाद ८४ लाख जीवयोनि से खमत खामना की जाती है अर्थात सभी जीवों को क्षमा करते हैं एवं सभी से क्षमा याचना भी करते हैं। क्षमा याचना के बाद संवत्सरी प्रतिक्रमण के माध्यम से पापों का प्रायश्चित्त कर कर्मों के बोझ को हल्का किया जाता है।
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Jyoti Kothari
(Jyoti Kothari, Proprietor, Vardhaman Gems, Jaipur represents Centuries Old Tradition of Excellence in Gems and Jewelry. He is an adviser, Vardhaman Infotech, a top IT company in Jaipur. He is also ISO 9000 professional)