भारतीय खगोलविद्या की समृद्ध विरासत: जंतर मंतर बनाम ग्रीनविच वेधशाला
इन लेखों के माध्यम से, भारतीय खगोलविद्या, कालगणना, और पंचांग की समृद्ध परंपरा और वैज्ञानिक दृष्टिकोण को समझने में सहायता मिलती है।
Jyoti Kothari, Proprietor, Vardhaman Gems, representing centuries old tradition of excellence in Gems and Jewelry. He is a Quality Management lead Auditor, Trainer and Consultant. Author, Philanthropist, Academician and Social server.
इन लेखों के माध्यम से, भारतीय खगोलविद्या, कालगणना, और पंचांग की समृद्ध परंपरा और वैज्ञानिक दृष्टिकोण को समझने में सहायता मिलती है।
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भारतीय पञ्चाङ्ग का कलात्मक चित्र |
पंचांग (पंच + अंग) का अर्थ है "पांच अंग" यानी पांच मुख्य हिस्से, जो किसी भी दिन के ज्योतिषीय महत्व को निर्धारित करते हैं! ये पांच अंग हैं तिथि, वार, नक्षत्र, योग, एवं करण। आइए इन पाँच अंगों को विस्तार से समझते हैं:
🔹 1. तिथि (Tithi) – चंद्र दिवस
🔹 2. वार (Vara) – दिन
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सात वारों का कलात्मक एवं प्रतीकात्मक चित्रण |
🔹 3. नक्षत्र (Nakshatra) – तारामंडल
🔹 4. योग (Yoga) – ग्रहों का संयोग
🔹 5. करण (Karana) – आधी तिथि
✨ सारांश:
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भारतीय चांद्रमास के तिथियों का प्रतीकात्मक चित्रण |
✨ 15 तिथियाँ (Lunar Days)
संस्कृत नाम | हिंदी नाम |
---|---|
प्रतिपदा (Pratipada) | एकम |
द्वितीया (Dvitiiya) | दूज |
तृतीया (Tritiiya) | तीज |
चतुर्थी (Chaturthi) | चौथ |
पंचमी (Panchami) | पंचमी/पाँचम |
षष्ठी (Shashthi) | छठ |
सप्तमी (Saptami) | सतमी |
अष्टमी (Ashtami) | अष्टमी |
नवमी (Navami) | नवमी |
दशमी (Dashami) | दशमी |
एकादशी (Ekadashi) | ग्यारस |
द्वादशी (Dvadashi) | बारस |
त्रयोदशी (Trayodashi) | तेरस |
चतुर्दशी (Chaturdashi) | चौदस/ चउदस |
पूर्णिमा/अमावस्या (Purnima/Amavasya) | पूनम /अमावस |
वैदिक परंपरा में प्रत्येक तिथि को (अलग अलग महीने या पक्ष में) कोई न कोई पर्व त्यौहार होता है. जैसे अजा एकम, प्रेत दूज, सावन की तीज, करवा चौथ, नाग पंचमी, झीलना छठ, शील सप्तमी, दुर्गा अष्टमी, राम नवमी, विजय दशमी (दशहरा) निर्जला एकादशी, वामन द्वादशी, धन्वन्तरी त्रयोदशी (धन तेरस), रूप चौदस, मौनी अमावस्या, गुरु पूर्णिमा आदि.
इसी प्रकार जैन परंपरा में गौतम पड़वा, भाई दूज, आखा तीज, संवत्सरी चौथ, ज्ञान पंचमी, च्यवन छठ, मोक्ष सप्तमी, दुबली अष्टमी, पौष दशमी, मौन इग्यारस, अट्ठाई बारस, मेरु तेरस, चौमासी चौदस, महावीर निर्वाण अमावस्या (दिवाली), कार्तिक पूर्णिमा आदि तिथियां प्रसिद्द है.
🌟 28 नक्षत्र:
🌙 1. करण (Karana)
करण एक तिथि (चंद्र दिवस) का आधा भाग होता है। प्रत्येक तिथि के दो करण होते हैं। कुल 11 करण होते हैं, और ये हमारे मानसिक और शारीरिक कार्यों पर प्रभाव डालते हैं।
🔹 करण के प्रकार:
चर करण (Movable Karanas) – बार-बार आते हैं. | स्थिर करण (Fixed Karanas) – एक बार आता है. |
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1. बव (Bava) – सामान्य | 1. शकुनि (Shakuni) – अशुभ |
2. बालव (Balava) – शुभ | 2. चतुष्पद (Chatushpad) – अशुभ |
3. कौलव (Kaulava) – शुभ | 3. नाग (Naga) – अशुभ |
4. तैतिल (Taitila) – सामान्य | 4. किम्स्तुघ्न (Kimstughna) – शुभ |
5. गर (Gara) – सामान्य | |
6. वणिज (Vanija) – शुभ | |
7. विष्टि (Bhadra) – अशुभ |
✨ शुभ करण: बालव, कौलव, वणिज, किम्स्तुघ्न
⚠️ अशुभ करण: विष्टि (भद्रा), शकुनि, चतुष्पद, नाग
➖ सामान्य करण: बव, तैतिल, गर
👉 महत्व:
⭐ 2. योग (Yoga)
योग सूर्य और चंद्रमा की स्थितियों का योग है, जिसे 27 भागों में बांटा गया है (हर नक्षत्र के लिए एक योग)। योग हमारे आंतरिक और बाहरी ऊर्जा प्रवाह को दर्शाता है।
🔹 योग के प्रकार:
शुभ योग (Good Yogas) | सामान्य योग (Neutral Yogas) | अशुभ योग (Bad Yogas) |
---|---|---|
शुभ (Shubha) | आयुष्मान (Ayushman) | विष्कुम्भ (Vishkumbha) |
सिद्ध (Siddha) | ध्रुव (Dhruva) | अतिगण्ड (Atiganda) |
साध्य (Sadhya) | वृद्धि (Vriddhi) | व्याघात (Vyaghata) |
ब्रह्म (Brahma) | शोभन (Shobhana) | शूल (Shoola) |
वज्र (Vajra) | वरीयान (Variyan) | व्यतीपात (Vyatipata) |
इन्द्र (Indra) | परिघ (Parigha) |
✨ शुभ योग: शुभ, सिद्ध, साध्य, ब्रह्म, इन्द्र — सफलता, स्वास्थ्य और समृद्धि के लिए उत्तम।
➖ सामान्य योग: आयुष्मान, ध्रुव, वृद्धि, शोभन — अच्छे हैं लेकिन अत्यधिक शक्तिशाली नहीं।
⚠️ अशुभ योग: विष्कुम्भ, अतिगण्ड, व्याघात, शूल, व्यतीपात, परिघ — बाधाओं, रोगों और मानसिक अशांति से जुड़े होते हैं।
👉 महत्व:
✨ सारांश:
✨ 27 योग:
🌀 11 करण: