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Friday, July 31, 2009

Photo gallery: Uncommon photographs (Pictures) of Jaipur

Photo gallery: Uncommon photographs (Pictures) of Jaipur

Updated on July 31, 2016
JYOTI KOTHARI profile image
Jyoti Kothari 

Jain Idols: Moti Doongri Dadabadi



Tirthankar Parswanath: Moti Doongri Dadabadi
Tirthankar Parswanath: Moti Doongri Dadabadi
Tirthankar Mallinath: 8th century Integrated carving and fantastic anatomy
Tirthankar Mallinath: 8th century Integrated carving and fantastic anatomy
Bhomiya Baba: A replica of Sammet Shikhar at Moti Doongri Dadabadi
Bhomiya Baba: A replica of Sammet Shikhar at Moti Doongri Dadabadi

About Jaipur and its architecture


Jaipur is a beautiful city and the capital of Rajasthan. Sawai Jaisingh, Maharaja of Amber, built it three hundred years back. He shifted his capital from Amber to Jaipur. Vidyadhar, a renowned town planner, and architect from Bengal designed the city. The old city is walled and all the buildings are pink. Hence, Jaipur is nicknamed as Pink City. It is also called Emerald city for its tradition of Emerald manufacturing.
Jaipur is in the golden triangle of Indian tourist map with Indian capital Delhi and Tazmahal fame Agra. Hawamahal, the icon of Jaipur; Jantar Mantar, the observatory; Forts on the top of mountains, Beautiful palaces and gardens, Hindu and Jain temples are places of attraction. Jaipur is the preferred destination for Bollywood filmmakers.
Jaipur is also the place for precious and semi-precious gemstones. This is the biggest color stone manufacturing and trading center in India. It is also known for its handicrafts and garments industries.
Jaipur is well connected with the rest of the world through air, road and train links.

Jaipur: New look



Wedding stage in Jaipur
Wedding stage in Jaipur

About uncommon Photographs


Huge materials are available in the hub pages and on the web about Jaipur. However, these photographs are different from those available on the net. All these photographs are from my own private collection and none from anywhere else. I have shot all these pictures myself but one with President Bill Clinton.
The pictures in this article reflect religion, society, culture, festival and of course, architect and sculpture of Jaipur. Jaipur is a vibrant city rich with its culture. Large numbers of forts, palaces, and other historical monuments have been attracting indigenous and overseas tourists for centuries. Temples of various religions with beautiful architecture and sculpture are an attraction for both devotees and tourists.
Cultural and religious events and festivals such as Diwali and Makar Sankranti are attractive features of Jaipur. Jaipur wedding ceremonies are also special.
Your suggestions and advice are welcome in the comments section.

Albert hall: Ramniwas Bagh



Albert hall at Ramniwas Bagh
Albert hall at Ramniwas Bagh
Feeding Pegeons at Ramniwas Bagh
Feeding Pigeons at Ramniwas Bagh
Magnificient Domb of Albert hall
Magnificient Domb of Albert hall

Makar Sankranti: Kite flying festival in Jaipur



Crowd at roof top: Makar Sankranti: Kite flying festival in Jaipur
The crowd at rooftop: Makar Sankranti: Kite flying festival in Jaipur
Flying kites at Sunset: Rainbow
Flying kites at Sunset: Rainbow
At roof top: Makar Sankranti: Kite flying festival in Jaipur
At rooftop: Makar Sankranti: Kite flying festival in Jaipur

President Bill Clinton at Jaipur airport



Ramniwas Bagh: Different look




Padestrians inside Ramniwas Bagh
Padestrians inside Ramniwas Bagh

Horse standing at Ramniwas Bagh
Horse standing at Ramniwas Bagh

Side view: Ramniwas Bagh
Side view: Ramniwas Bagh

Makar Sankranti, Kite festival in Jaipur





Lord Shiva: Murli Manohar Temple

Sitting like Maharajah

Sanganeri gate: Sunday View

Dome: Sanganeri Gate

Paush Bada: Getting Prasad (Devoted meal)sitting in the floor outside Vardhaman Gems

Mirza Ismail Road, Lifeline of Jaipur




Rajasthali: Rajasthan Government Emporium at M.I.Road

Evening View: M.I.Road Jaipur

Shops: M.I.Road Jaipur (Right side)

Shops: M.I.Road Jaipur (Left side)

Students at SJ Public school


Festive mood 1
Students in festive mood 1

festive mood 2
Students in festive mood 2

Towers, gates, and wall

Ghanta Ghar (clock Tower) at Ajmeri gate
Ghanta Ghar (clock Tower) at Ajmeri gate

Side gate at Ajmeri gate
Side gate at Ajmeri gate

Revolving Restaurant
Revolving Restaurant
Rounded city wall
Rounded city wall

Pigeon love in Jaipur


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प्रथम पुण्य तिथि: श्रीमती कुसुम कुमारी कोठारी

स्वर्गीया श्रीमती कुसुम कुमारी कोठारी , धर्मपत्नी, स्वर्गीय श्री धीरेन्द्र पत जी कोठारी की प्रथम पुण्य तिथि आज जयपुर में मनाई गई। श्रीमती कुसुम कुमारी कोठारी का स्वर्गवास गत वर्ष आज ही के दिन ३१ जुलाई २००८ को ह्रदय रोग से जयपुर में हुआ था। उस समय आप ७९ वर्ष की थीं।
श्रीमती कुसुम कुमारी का जन्म कोलकाता के स्वनाम धन्य राय बद्रीदास बहादूर मुकीम परिवार में इस्वी सन १९३० में हुआ था।
कोल्कता के प्रसिद्ध पारसनाथ मन्दिर के निर्माता एवं वाइस रोय के जौहरी राय बद्रीदास बहादुर के ज्येष्ठ पुत्र श्री राय कुमार सिंह आप के दादा व श्री फ़तेह कुमार सिंह मुकीम आप के पिता थे। आप का ननिहाल रिंगनोद, मालवा के प्रसिद्ध रावले में था। आप की माँ का नाम श्रीमती सज्जन कुमारी था।
(Johari Sath Blog)
बचपन से ही आप में परिवार के अनुरूप धार्मिक संस्कार थे। उस काल में भी आपने अंग्रेजी एवं संगीत की शिक्षा प्राप्त की थी। आप वीणा व हारमोनियम बजाया करती थीं।
आप का विवाह अजीमगंज के पानाचंद नानकचंद कोठारी परिवार में श्री कमलापत कोठारी के पौत्र व श्री चंद्रपत कोठारी के कनिष्ठ पुत्र श्री धीरेन्द्र पत कोठारी से सन १९४६ में संपन्न हुआ। आपके प्रमिला, उर्मिला, निर्मला, शीला सुजाता नाम की पाँच पुत्रियाँ व ज्योति नाम का एक पुत्र हुआ जिनमे निर्मला का देहांत बचपन में ही हो गया था। अभी आपकी चार पुत्रियाँ व एक पुत्र मौजूद हैं। आपकी दौहित्री (नतनी) व शीला लोढा की पुत्री ने साध्वी श्री शशिप्रभा श्री जी के पास (१९९८) अल्पायु में दीक्षा ग्रहण की थी। वे आज साध्वी श्री श्रद्धान्विता श्री जी के नाम से जानी जाती हैं। साध्वी श्री श्रद्धान्विता श्री, शीला सुजाता तीनो ने ही इस वर्ष वर्षी तप का परना पलिताना में किया।
सितम्बर १९७९ को श्री धीरेन्द्र पत कोठारी के अल्पायु में देहावसान के बाद पुरे परिवार की जिम्मेदारी आप पर आ गई जिसे उन्होंने बखूबी निभायी । साथ ही अपना जीवन पुरी तरह से धर्म ध्यान में समर्पित कर दिया। आप प्रतिदिन जिन पूजा के अलावा चार- पाँच सामायिक किया करती थीं। दृढ़ता पूर्वक एक आसन में बैठ कर जप करना आप को बहुत प्रिय था। आपने अपने जीवन में पालिताना, सम्मेत शिखर, आबू, गिरनार, पावापुरी, राजगृह, कुण्डलपुर, चम्पापुर, नाकोडा, नागेश्वर, मांडव गढ़, अजमेर, मालपुरा, महरोली आदि सैंकडों तीर्थों की यात्राएं कर पुण्य उपार्जित किया। अजीमगंज में प्रसिद्ध नवपद ओली की आराधना आप जीवन पर्यंत करती रहीं। इसके अलावा आपने वीस स्थानक, मौन ग्यारस, ज्ञान पंचमी आदि अन्य अनेक तपस्चर्यायें भी की। आपने शत्रुंजय तीर्थ की निन्याणु यात्रा भी की।
आज हमारी माँ हमारे बीच में नहीं हैं परन्तु उनकी यादें व उनके दिए हुए धार्मिक संस्कार आज भी हमारा मार्ग दर्शन करती है। हम उनके सभी बच्चे यही प्रार्थना करते हैं की वे जहाँ हैं वहीँ से हमें आशीर्वाद प्रदान करती रहें।

ज्योति कोठारी, पुत्र,
ममता कोठारी, पुत्रवधू, दर्शन, पौत्र, जयपुर
प्रमिला पालावत, पुत्री, कोलकाता
उर्मिला बोथरा, पुत्री, आगरा
शीला लोढा, पुत्री, दिल्ली
सुजाता पारख, पुत्री, रायपुर








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Thursday, July 30, 2009

Origins of Jain Migration into Murshidabad by Rajib Doogar

Rajib Doogar is a Professor in the USA. He has written an article about Murshidabad Shaharwali society. He is grand son of late Rajpat Singh Doogar who belonged to Laxmipat Singh Doogar family of Baluchar, Jiaganj.

Please click the link to view the article:
Origins of Jain Migration into Murshidabad

Please send news, events, photos, videos and what not about shaharwali society. we want to preserve our culture.
Thanks,
Jyoti Kothari

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Wednesday, July 29, 2009

Message from Ms. Riju

I have got a message from Ms. Riju and the same is reproduced for your perusal. This is all about her topic of studies. You may find this useful.

Please send information about events, news, photos, videos etyc to be posted in this blog.

Thanks,

Jyoti Kothari

Original Message:

Hi Jyotiji,

Nice to hear from you. Thank you for the congratulatory message and for making a post on your blog about my graduation.


I studied learning and memory within the eye movement control system in humans. Basically, I looked at how people make accurate eye movements under different conditions and how people remember locations in space. I also studied which brain areas are involved while this is happening by using fMRI (functional magnetic resonance imaging) technology.
I continue to do research in this area, but am also looking for jobs outside of academia right now.

Best regards,
Riju,


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सिलामी व व्याह भाग 2

सिलामी व्याह भाग 1 से आगे :

उस समय शादी कम उमर में ही हो जाती थी लेकिन लड़की पियर में ही रहती थी। थोडी बड़ी होने के बाद (मुख्यतः मासिक धर्मं होने के बाद) लड़की को बिदा किया जाता था एवं उसके बाद ही लड़की ससुराल जाती थी। पीहर से बिदा होने की यह रश्म सावन के महीने में ही होती थी इसलिए इसे सावन मोकलाई कहते थे। मोकलाई का अर्थ मारवाडी भाषा में भेजना होता है।

अजीमगंज के बड़े मन्दिर में एक खाता रखा जाता था जिसे केसरिया व्रत का खाता कहते थे। इस खाते में शादी से संवंधित सभी बातें दर्ज की जाती थी। इसमें वर वधु के नाम, माता-पिता, पता आदि सभी बातें दर्ज होती थी। शादी के अवसर पर लड़के वालों से एक निश्चित शुल्क ले कर ही इस खाते में नाम दर्ज किया जाता था। उस राशि में मन्दिर, गुरूजी (यती जी), मन्दिर के पुजारी अदि सभी का हिस्सा होता था। एक प्रकार से यह विवाह की रजिस्ट्री होती थी।

शादी के बाद विदा करते समय लड़की को डोली में बैठा कर भेजा जाता था। इस डोली को झपानक कहते थे। उस समय की औरतें एवं लड़कियां अक्सर झपानक में ही कहीं आया जाया करती थीं। साधारण स्थिति वाले लोगों के यहाँ झपानक नहीं होने पर कोठियों मंगवा लिया जाता था। कुछ समय पूर्व तक राजवाडी (राजा विजय सिंह जी दुधोरिया) में एक झपानक था।

विशेष द्रस्टव्य: ये सारी जानकारी मुझे श्री अशोक सेठिया से मिली है एवं इसके लिए मैं उनका आभारी हूँ।
यदि आपके पास भी अजीमगंज-जियागंज शहरवाली समाज के वारे में कोई जानकारी हो तो हमें लिखना न भूलें। उसे आपके नाम के साथ प्रकाशित किया जाएगा।

सिलामी व्याह भाग 1

प्रस्तुति:
वर्धमान जेम्स

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जयपुर की राजमाता गायत्री देवी का निधन

जयपुर की राजमाता गायत्री देवी का आज निधन हो गया। वे ९० वर्ष की थीं। वे काफी दिनों से बीमार थीं एवं अभी कुछ ही दिनों पूर्व लन्दन से जयपुर वापस पधारीं थीं। जयपुर के संतोकबा दुर्लभजी अस्पताल में उन्होंने अन्तिम साँस ली।

राजमाता गायत्री देवी बंगाल के कूचबिहार राज्य की राज कुमारी थीं एवं अपने समय की अद्वितीय सुंदरी। जयपुर के महाराजा सवाई मानसिंह के पोलो खेल पर मुग्ध हो कर उन्होंने उनका वरण किया व जयपुर की महारानी बनीं। महारानी बनने के बावजूद वे महलों की कैद हो कर नहीं रहीं। उन्होंने जन सेवा के लिए अपने आपको समर्पित किया। भारत स्वतंत्र होने के बाद वे राजनीती में भी आईं व तत्कालीन कांग्रेस सरकार का जम कर विरोध किया। उन्होंने स्वतंत्र पार्टी की स्थापना कर उससे चुनाव लड़ा व जयपुर से सांसद रहीं। जब १९७६ में तत्कालीन प्रधान मंत्री इंदिरा गाँधी ने आपातकाल की घोषणा की तो उन्होंने इसका डट कर विरोध किया। उन्हें उस समय इस विरोध की सजा भी भुगतनी पड़ी एवं वे ६ महीने तक कारागार में भी रहीं। भारतीय जनता पार्टी में राजमाता विजया राजे सिंधिया के बाद उन्ही का नाम लिया जाता था।

१९८९ में उनके लड़के व जयपुर महाराजा कर्नल भवानी सिंह ने कांग्रेस पार्टी से सांसद का चुनाव लड़ा तव उन्होंने बेटे के स्थान पर तत्कालीन भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार गिरधारीलाल भार्गव का समर्थन किया। स्वर्गीय गिरधारीलाल भार्गव का सांसद के लिए वह पहला चुनाव था एवं उस चुनाव में वे ८० हज़ार से भी अधिक मतों से विजयी रहे थे।
स्वर्गीय सांसद गिरधारीलाल भार्गव इस बात के लिए सदैव राजमाता का एहसान मानते थे।

आज राजमाता हमारे बीच नहीं रहीं पर जयपुर की जनता उन्हें सदैव स्मरण करती रहेगी।

प्रस्तुति:
वर्धमान जेम्स


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Tuesday, July 28, 2009

JAS 2009

Jewellers Association of Jaipur has recently organized a Jewelry show at Birla Auditorium, Jaipur between 24 to 27 July 2009.

Exhibitors mainly exhibit Jewelry and not much color stones. Some nice emeralds were exhibited there.

Visitors from all over India came to visit the show. Exhibitors told that they had a moderate sale and this is OK during this recession.

Important post for investors


Posted by:
Vardhaman Gems

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Requirements in Emerald

we and our clients require Emerald cuts of good quality. If you have any either in MM sizes (US $100 to 500) or above 3 carats (Us $ 500 to 6000) please contact us at

Vardhaman Gems@yahoo.com.
Thanks,

Jyoti Kothari
Vardhaman Gems

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Riju Srimal got her Ph. D in Neuroscience

Congratulations! Congratulations! Congratulations


Ms,Riju Srimal, Daughter of  Sri Neptune Srimal has been awarded with her Ph. D in Neuroscience by New York university, USA. She is the grand daughter of Sri Hari Singh Ji Srimal, a Jain scholar from Azimganj.
we Azimganzites are proud of her. I wish more successes and achievements in her life.

Please congratulate Ms. Riju in the comments section.

An appeal to all Shaharwali

Presented by:
Vardhaman Gems

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Monday, July 27, 2009

My Paryushan 2009 at Kolkata

Jyoti Kothari will be volunteering for Paryushana Pravachana this year to Kolkata at Jineshwar Suri Bhavan, Ramesh Mitra lane, Bhawanipur from 17 August.

Samvatsari Pratikramana will be on 24th August.

He will be there from 17 to 24 August 2009.

Paryushan Pravachan: Jyoti Kothari

Posted by:
Vardhaman Gems
Centuries old Tradition of Excellence in Gems and Jewelry

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Shree Neminath Swami Janma Kalyanaka

*

Mulgambhara Neminath Swami Temple, Azimganj


As all of you know that Sadhwi Shashiprabha Shree ji with three of her disciples are staying in Azimganj for Chaturmas। Azimganj Sri Sangh has been organizing several events

Azimganj Sri Sangh organized Shree Neminath Swami Janma Kalyanaka at Shree Neminath Swami Jain temple, Azimganj on sunday, 26 July, 2009. Neminath Swami is the 22nd Tirthankar and the Principal deity of Azimganj.

Mr. Amit, who is with Sadhwi Shree, has informed about the event.

Presented by:
Vardhaman Gems

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Sunday, July 26, 2009

गोष्ठी: श्रावण मास में शिव आराधना

*






गुलाबी नगर विचार मंच
की गोष्ठी "श्रावण मास में शिव आराधना" में मुख्या वक्ता के रूप में बोलते हुए गलता पीठाधीश्वर श्री अवधेशाचार्य ने कहा की श्रावण मास का नक्षत्र श्रवण है एवं चंद्रमा उसका स्वामी है। शिव की आराधना भी शीतल मन से करनी चाहिए। शिव की आराधना सभी अनिष्ट व अमंगल दूर करती है. जगत कल्याण कारक होने से शिव को शंकर कहा जाता है। शिव जल्दी तुष्ट होते हैं इसलिए उन्हें आशुतोष कहा जाता है. वे औघड़ दानी भी हैं. श्रावण मास में शिव जी की आराधना करनी चाहिए। अराधना भक्ति, आस्था व धैर्य के साथ करने से फलप्रद होती है।
अध्यक्षीय उद्वोधन में सत्य नारायण शर्मा "कलाकार" ने कहा की जयपुर का राज घराना शिव भक्त अर्थात शैव था। एक समय यहाँ राज आज्ञा प्रसारित हुई थी की हर देवालय में शिव मूर्ति होना आवश्यक है। उन्होंने आग्रह किया की सांप्रदायिक विद्वेष छोड़ कर समन्वय का रास्ता अपनाते हुए शैव, वैष्णव, शाक्त सभी को एक दुसरे का आदर करना चाहिए.
गोष्ठी में वैद्य हरिमोहन शर्मा, ज्योति कोठारी, मिर्जा हबीब बैग "पारस", चावला जी आदि ने भी अपने विचार रखे। गोष्ठी का संचालन मंच के अतिरिक्त संयोजक ज्योति कोठारी ने किया। धन्यवाद पूर्व मंत्री डा. उजला अरोरा ने व्यक्त किया।
सभा के अंत में कारगिल के वीरों को श्रद्धांजलि दी गई। प्रख्यात संगीतज्ञ गंगू बाई हंगल के निधन पर भी शोक व्यक्त किया गया।



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Posted by:
Jyoti Kothari
Vardhaman Gems
Centuries old tradition of excellence in Gems and Jewelry

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