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Thursday, July 9, 2020

कोरोना काल में ऑनलाइन स्वाध्याय से समय का सदुपयोग

कोरोना काल में स्वाध्याय से समय का सदुपयोग

यह वर्ष २०२० कोरोना महामारी के प्रकोप का समय है. मार्च से ले कर मई तक लोगों को लॉक डाउन घरों में ही रहना पड़ा. ऐसे कोरोना काल में स्वाध्याय से समय का सदुपयोग हो सका. इस समय श्री यशवंत जी गोलेच्छा मेरे पास आये और कहा की आप ऑनलाइन स्वाध्याय करें, मैं लोगों को इसमें जोड़ूंगा। यह विचार मुझे भी ठीक लगा और मैंने हाँ भर दी. हमने ऑनलाइन प्लेटफार्म ढूंढा और ज़ूम पर काम करने का तय किया। संजोग से यशवंत जी ने कुछ दिनों तक संपर्क नहीं किया, पर मेरी धर्मपत्नी इस विषय को लेकर काफी उत्साहित थी. उनने लोगों को फोन कर जोड़ना शुरू किया और १० अप्रैल से स्वाध्याय ऑनलाइन कार्यक्रम प्रारम्भ हो गया. ये एक अच्छा विचार था और लोग इसमें जुड़ने लगे. संख्या बढ़ती गई.

भारत के विभिन्न शहरों से ही नहीं दुनिया के अन्य भागों जैसे जापान, नाइजेरिया, अमरीका, दुबई, कुवैत, थाईलैंड, क़तर, अदि देशों से भी लोग इस स्वाध्याय में जुड़ गए. स्वाध्याय से जुड़नेवालों का सिलसिला चलता और बढ़ता रहा.

स्वाध्याय की प्रक्रिया, समय और विषय

"स्वाध्याय" नाम व्हाट्सऐप ग्रुप भी बनाया गया जिसके माध्यम से सभी दूसरे से और मेरे से संपर्क में रहते थे. लोग कभी ग्रुप में कभी लाइव स्वाध्याय प्रश्न पूछते थे, सुझाव भी देते थे. स्वाध्यायियों की रूचि, और आत्मोन्नति के लक्ष्य के अनुसार विषय तय किये जाते रहे.

प्रतिदिन रात्रि में ८ बजे से ८.४० तक यह स्वाध्याय चलता था. ज़ूम में ४० मिनट तक ही यह कार्यक्रम हो सकता था, उससे ज्यादा नहीं. यह सिलसिला चल ही रहा था की १ जून से अनलॉक १ शुरू गया, लोग कामकाज में जाने लगे, स्वाध्यायी श्रोताओं की सुविधा को ध्यान में रखते हुए ६ जून से ८ समय में थोड़ा फेर बदल कर इसे ८.३० से ९.१० कर दिया गया दिया गया. सभी श्रोता पूर्ववत इस क्रम इस स्वाध्याय क्रम में जुड़े रहे.

चातुर्मास काल में स्वाध्याय


इस क्रम को चलते हुए लगभग तीन महीना हो रहा था, लोगों का स्वाध्याय से जैसे अटूट आत्मीय सम्वन्ध बन गया. इस बीच ४ जुलाई से चातुर्मास प्रारम्भ होनेवाला था. चातुर्मास में जगह जगह पूज्य साधु साध्वी भगवंतों के चातुर्मास होते हैं, और लोग सुबह व्याख्यान सुनने जाते हैं. इसी बात को ध्यान में रखते हुए ४ जुलाई, चातुर्मासिक चतुर्दशी से स्वाध्याय का समय बदल कर सुबह ९ बजे से कर दिया गया.

लेकिन कुछ ही दिनों में स्वाध्यायियों को लगा की सुबह की जगह रात का समय ही ठीक था, इसलिए फिर से समय बदल कर रात के ८.३० बजे से ही कर दिया गया. तबसे लेकर आज तक यह रात्रि 8.30 से ही चल रहा है.

स्वाध्याय का विषय: देव गुरु धर्म तत्व


चातुर्मास काल में सामान्यतः साधु साध्वी भगवंत एक ही विषय पर प्रवचन देते हैं. इसी बात को ध्यान में रखते हुए चातुर्मासिक काल में स्वाध्याय का विषय चुना गया. जैन धर्म मर देव गुरु धर्म तत्व का विशेष महत्व है. यहाँ तक कहा जाता है की सच्चे देव गुरु धर्म पर श्रद्धा ही सम्यग्दर्शन है. इसी बात को ध्यान में रखते हुए इसे चातुर्मास कालीन स्वाध्याय के विषय के रूप में चुना गया. देव तत्व दो हैं अरिहंत व सिद्ध; गुरु तत्व तीन हैं आचार्य, उपाध्याय एवं साधु; धर्म तत्व चार हैं सम्यग दर्शन, ज्ञान, चारित्र, व तप; इन तीनों का कुल योग ९ होता है. अतः सम्मिलित रूप से इन्हे नवपद कहा जाता है. नवपद का दूसरा नाम सिद्धचक्र भी है.


नवपद पूजा की रचना व रचयिता


विमल गच्छ के पूर्वाचार्य ज्ञानविमल सूरी ने नवपद पर प्राकृत व अपभ्रंश भाषा में काव्य लिखा था. तपागच्छ के उपाध्याय यशोविजय जी ने श्रीपाल रास में नवपद की ढाल लिखी थी. खरतर गच्छ के अध्यात्म योगी श्रीमद देवचंद जी ने स्वयं इन पर उल्लाला लिख कर और अन्य दोनों महापुरुषों की कृति उसमे सम्मिलित कर नवपद की पूजा की रचना की. यह पूजा आज भी पुरे भारत में अत्यंत उल्लास व भक्तिभाव के साथ गाई जाती है.

इसी नवपद पूजा को स्वाध्याय का विषय बनाया गया एवं इस के अर्थ पर विस्तृत विवेचन प्ररम्भ किया गया. सभी स्वाध्याय रसिक इसे प्रतिदिन सुन रहे हैं.

कैसे हुई ऑनलाइन स्वाध्याय की शुरुआत


इन सभी बातों की यूँ शुरूआत हुई की २२ मार्च से राजस्थान और २४ मार्च भारत में लॉक डाउन किया गया. ६ अप्रैल महावीर जयंती पड़ रही थी. इस समय कोलकाता के नवकार जैन मंच, जो की प्रतिवर्ष बहुत धूमधाम से महावीर जन्म कल्याणक मनाता आया है, के सामने समस्या थी की लॉक डाउन बीच महावीर जन्म कल्याणक कैसे मनाया जाये? नवकार जैन मंच के सूरज नवलखा ने मेरे सामने एक प्रस्ताव रखा. उसने मुझसे पूछा की क्या मैं ६ अप्रैल महावीर जन्म कल्याणक के अवसर पर भगवन महावीर पर कोई एक घंटे का ऑनलाइन व्याख्यान दे सकता हूँ? इस विषय पर एक वार्ता रखने की मैंने स्वीकृति दे दी और फेसबुक पर यह ऑनलाइन वार्ता हो गई. यह एक नई शुरुआत थी. इसी शुरुआत ने ऑनलाइन स्वाध्याय के लिए प्रेरित किया.

स्वाध्याय के वीडियो के लिए इस चैनल को सब्सक्राइब करें:


Thanks, Jyoti Kothari (Jyoti Kothari, Proprietor, Vardhaman Gems, Jaipur represents Centuries Old Tradition of Excellence in Gems and Jewelry. He is adviser, Vardhaman Infotech, a leading IT company in Jaipur. He is also ISO 9000 professional)



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Tuesday, June 2, 2020

Mongoloids are the least and Caucasoid the most vulnerable to Covid 19 (Novel Corona Virus)


While comparing data of people infected by Corona virus or Covid 19 in recent pandemic I found that the human race Mongoloids are least vulnerable to Covid 19 (Corona Virus). Though Corona virus has been spread from Wuhan, China, a place of Mongoloids; the data says that Mongoloids are the least vulnerable. 

Human Race Caucasoid is the most vulnerable against Covid 19


Probably, the Caucasoid (White race) are the most vulnerable against Covid 19 that we can see in the European Union and in the US. Highest numbers of Covid infected are coming from the US, followed by European countries likes of the UK, France, Italy, Spain, Germany and Russia. Brazil is also among the top runners and had Caucasoid as a major ethnic group. 

Countries with other ethnic races


India, with seventh highest corona virus infected patients so far, is not yet so affected. Though the number is close to 200 thousands, it is much less looking into its vast population of 1.4 billion. No other country but Iran has yet crossed 100 thousand mark. 

African countries, mainly with Negroid (Black race) are not among the worst affected. This is also true for the Australoid.

Human Race Mongoloids are the least affected with Covid 19


Now I come to my point that the Mongoloids are the least affected with Covid 19. The Novel corona virus is initiated from Wuhan, China. However, it could not affect other parts of China. Rest of the China is, by and large, safe from the infection of the disease. There are other countries with vast population of Mongoloids such as Vietnam, South and North Korea, Japan, Taiwan et al. There are only a handful of cases in Vietnam and Taiwan. Number of cases in Japan is limited to few thousands. No proper data is available from North Korea, but they have declared themselves as Corona free. South Korea is also very less infected with the Novel corona virus. India has a vast population of Mongoloids in its North eastern region and the region is the least affected area in India. 

Research is needed why Mongoloids are less vulnerable against Novel Corona Virus


Hence, my humble submission is that the ethnic race Mongoloids are the least vulnerable to the Novel corona virus for some unknown reasons as available global data suggests. It is advisable for the biologists to come forward to conduct research and investigate the reason. A plausible solution may be hided in their genome or there may be some natural antibodies in their body that prevent them from the infection of Covid 19. 

This research may lead to a probable solution for vaccine candidates against Covid 19.  

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Tuesday, August 6, 2019

भारत का अपना गूगल, फेसबुक, यूट्यूब, और व्हाट्सएप्प


भारत का अपना गूगल, फेसबुक, यूट्यूब, और व्हाट्सएप्प बने तो ही भारत वैश्विक अर्थव्यवस्था में बड़ा खिलाडी बन सकता है.

गूगल सर्च इंजन
गूगल 

मोदी २.० ने भारत की अर्थव्यवस्था का आकार ५ वर्ष में ५० ख़राब या ५ ट्रिलियन डॉलर पर ले जाने का लक्ष्य रखा है जिससे भारत विश्व की तीसरी या चौथी बड़ी अर्थव्यवस्था बन सके. परन्तु इस लक्ष्य को पाने के लिए गूगल, फेसबुक, एप्पल, ट्वीटर, लिंकडइन जैसी विश्व स्तर की इंटरनेट कम्पनियाँ बनाना बेहद आवश्यक है. हम जान ते हैं की गूगल दुनिया का सबसे बड़ा सर्च इंजन है परन्तु चीन ने अपना सर्च इंजन बनाया है और चीन का काम गूगल के बगैर भी चल रहा है.

सोशल मीडिया नेटवर्क
सोशल मीडिया नेटवर्क 
गूगल ने यूट्यूब को भी खरीदा और वह भी विश्व में सर्वाधिक देखे जानेवाले वेबसाइटों में शुमार है. इसी प्रकार फेसबुक ने व्हाट्सऐप्प और इंस्टाग्राम का अधिग्रहण कर अपने कारोबार को बेहद मजबूती प्रदान की है. लेकिन चीन में इनका उपयोग भी प्रतिवंधित है और उसने इसी प्रकार की कम्पनियाँ अपने देश के लिए विकसित कर ली है. भारत की जनसँख्या भी लगभग चीन के बराबर है और यहाँ भी गूगल, फेसबुक जैसी कंपनियों के विकास की पूरी सम्भावना है.

अमेरिका की समृद्धि में गूगल, फेसबुक, यूट्यूब, और व्हाट्सएप्प का योगदान 


अमेरिका की समृद्धि के पीछे गूगल, फेसबुक, यूट्यूब, और व्हाट्सएप्प जैसे इंटरनेट माध्यम की कंपनियों का बहुत बड़ा हाथ है. ये कम्पनियाँ पुरे विश्व से प्रतिवर्ष अरबों डॉलर कमाती हैं. अकेले गूगल विज्ञापनदाताओं से जितना पैसा कमाती है वह कई देशों के सकल घरेलु उत्पाद के बराबर होता है. इसी प्रकार की स्थिति फेसबुक की भी है. यदि सही मायने में देखा जाये तो अमेरिका को २००८ की महामंदी से इन्ही इंटरनेट कंपनियों ने बाहर निकाला. ये सच है की उस समय अमेरिका की अधिकतर बड़ी कम्पनियाँ चाहे वो मैन्युफैक्चरिंग, बैंकिंग, विपणन, या रियल एस्टेट किसी भी क्षेत्र में हो, मंदी से गुजर रही थी और भारी नुक्सान दे रही थी. अमेरिका का शेयर बाजार डुब रहा था. बहुत सी बड़ी कम्पनियाँ या तो दिवालिया हो गई थी या दिवालिया होने के कगार पर खड़ी थी. चारों तरफ त्राहि माम की स्थिति थी. ऐसी स्थिति में इंटरनेट कंपनियों ने जबरदस्त काम किया, मुनाफा कमाया और अमेरिका को उस महामंदी से बाहर निकाल दिया.

यूट्यूब
यूट्यूब 


ये सभी कम्पनियाँ वैश्विक स्तर पर काम करतीं हैं इसलिए उनके आय का स्रोत पूरी दुनिया से आता है. ये कम्पनियाँ अकेले अमेरिका पर निर्भर भी नहीं हैं. इससे भी बड़ी बात है की इनके उत्पाद हमारी रोजमर्रा की ज़िन्दगी और संस्कृति का हिस्सा बन चुके हैं.

भारत में बने चीन जैसी इंटरनेट कम्पनियाँ 

जैसा की पहले ही बताया गया है की चीन ने गूगल, फेसबुक जैसी कंपनियों को प्रतिवंधित किया और अपना सर्च इंजन बाइडू विकसित किया. यह चीन में उसी तरह फल फूल रहा है जैसे वैश्विक स्तर पर गूगल.  क्या भारत ऐसी कोई स्वदेशी सर्च इंजन नहीं बना सकता? 

उसी प्रकार चीन ने WeChat नाम का सोशल मीडिया बनाया है जिसमे १ अरब यूजर हैं. ध्यान रहे वैश्विक स्तर पर फेसबुक के २ अरब यूजर हैं. इसके अलावा भी चीन में कई और सोशल मीडिया अप्प हैं और वे वहां फल फूल रहे हैं. इस प्रकार चीन ने अपने यहाँ गूगल और फेसबुक जैसी इंटरनेट कम्पनियाँ बना कर अपने देश का पैसा बाहर जाने से रोक रहा है. प्रश्न ये है की क्या भारत ऐसी कोई स्वदेशी  सोशल मीडिया नहीं बना सकता?

भारत में गूगल और फेसबुक जैसी इंटरनेट कम्पनियाँ बनने की सम्भावना 

भारत में गूगल और फेसबुक जैसी इंटरनेट कम्पनियाँ बनने की अपार संभावनाएं है. जिनमे से कुछ कारणों पर प्रकाश डालना चाहता हूँ. 

सोशल मीडिया ट्री
सोशल मीडिया ट्री 

१. भारत की विशाल जनसँख्या (१३० करोड़ या १.३ अरब)
२. विश्व में सर्वाधिक तकनीकी लोग 
३. सॉफ्टवेयर व इंटरनेट तकनीक में विशेष दक्षता 
४. वैश्विक पहुँच व खुलापन 
५. विश्व का सबसे बड़ा प्रजातंत्र 
६. विश्व में दुसरी सबसे अधिक स्टार्ट अप की संख्या 
७. विश्व के सर्वश्रेष्ठ प्रवन्धकों की उपलब्धता 
८. पूंजी की उपलब्धता 
९. इंटरनेट की व्यापक पहुँच
१०. सहयोगी सरकार

इसप्रकार अन्य भी अनेक कारण हैं जिससे भारत इस प्रकार की इंटरनेट कम्पनियाँ विकसित कर सकता है. 

भारत सरकार के बजट २०१९ से उम्मीद की किरण  

भारत की वित्तमंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण ने इस वर्ष २०१९ के बजट में भारत को वैश्विक अर्थव्यवस्था बनाने एवं उसे आर्थिक महाशक्ति बनाने के लिए अनेक उपायों की घोषणा की है. इससे भी गूगल और फेसबुक जैसी इंटरनेट कम्पनियाँ बनाने की सम्भावना बढ़ जाती है. प्रधानमंत्री मोदी कई वर्ष पूर्व ही हाईवे के साथ आईवे की बात कर चुके हैं. इसी प्रकार भारत सरकार ने आगामी पांच सालों में अधोसंरचना के विकास में १०० लाख करोड़ रुपये के निवेश का वादा किया है. 

इस तरह अब समय आ गया है जब हम भारत का अपना गूगल, फेसबुक, यूट्यूब, और व्हाट्सएप्प बनाने की दिशा में विचार करें और कदम बढ़ाएं. इससे जहाँ भारतीय जनता को बड़ा लाभ होगा वहीँ उद्योगपतियों और उद्यमियों को भी फायदा होगा. रोजगार का सृजन होगा और ५० ख़राब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने में मदद मिलेगी.

आभार: सभी चित्र Pixabay से लिया गया है.

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Jyoti Kothari (Jyoti Kothari, Proprietor, Vardhaman Gems, Jaipur represents Centuries Old Tradition of Excellence in Gems and Jewelry. He is adviser, Vardhaman Infotech, a leading IT company in Jaipur. He is also ISO 9000 professional)

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Saturday, July 20, 2019

'कोरा' (Quora) में हिंदी के प्रश्न एवं उत्तर


कोरा के प्रश्न और ज्योति कोठारी के जवाब 

कोरा एक प्रश्न-उत्तर का मंच है जिसमे कोई भी सदस्य कोई भी प्रश्न पूछ सकता है और कोई भी सदस्य उसका उत्तर दे सकता है. पहले कोरा अंग्रेजी भाषा में ही था परन्तु कुछ समय पहले इसमें हिंदी के प्रश्न और उत्तर भी जोड़ दिए गए हैं.  मैंने भी हिंदी के प्रश्नों का उत्तर देना प्रारम्भ किया है. यहाँ पर प्रश्नों के लिंक दिए गए हैं जहाँ जा कर आप मेरे एवं अन्य लोगों द्वारा दिए गए उत्तर देख सकते हैं. प्रश्नों के साथ उसके उत्तर देने का दिन भी लिखा गया है. 


क्या धर्म-निरपेक्ष देश में समाज को अल्पसंख्यक और बहुसंख्यक में बंटा जा सकता है? 

भारत एक महाशक्ति हो सकता है? 
नमामी गंगे योजना क्या है? 
गोलन पहाड़िया कहा स्थित है? 
जैन धर्म का इतिहास क्या है? 
भारत की प्राचीन भाषा कौन सी है? 
क्या सबसे बड़ा धर्म मानवता का होता है? 
पेरू कब आजाद हुआ? 
जैन धर्म मैं अरिहन्त कौन है? 



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भारत को अमेरिका से आगे ले जाने के लिए क्या करना होगा?


अमरीका ने पिछले २०० सालों से लगातार तरक्की की है और उसके पास प्राकृतिक संसाधन भी बहुत अधिक मात्रा में है. इसलिए एक वर्ष में अमरीका को पीछे छोड़ने की बात करना शेखचिल्ली के सपने जैसा है. लेकिन फिर भी भारत अमरीका को पीछे छोड़ सकता है, इस बात में दम है, पर कितने समय में? यह हमारे दृष्टिकोण, योजना, इच्छाशक्ति और ऊर्जा पर निर्भर करता है. इसके लिए हमें कुछ जगह सुधार करना पड़ेगा और कुछ नई चीजें भी करनी पड़ेगी. तो आइये, देखते हैं भारत कैसे अमरीका को पीछे छोड़ सकता है.

आगे पढ़ें 

भारत को अमेरिका से 1 साल में आगे ले जाने के लिए क्या-क्या करना होगा?


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Friday, July 19, 2019

My Paryushan at Azimganj 2019


Paryushan this year 2019


Paryushan this year will commence on August 26, 2019, according to Khartar Gachchh sect. The Samvatsari will be observed with enthusiasm on September 2, 2019. As usual, I  will be volunteering myself for Paryushana pravachan this year too. I will be in Azimganj city of Murshidabad district in West Bengal this year. It is worth noted that Azimganj is my native place. However, I never had been there for Paryushan. 


I have been going continually to observe Paryushan since 1984. Of course, I have to discontinue it while discharging my duties as secretary, Khartar Gachchh Sangh, Jaipur for a few years. Right now, I can't remember all of my Paryushana but listing those I can recall.


My Paryushans


Gangapur city in Rajasthan
Jaipur in Rajasthan
Ajmer in Rajasthan 
Bharatpur in Rajasthan
Beawar in Rajasthan
Durg in Chhattisgarh
Hyderabad in Andhra Pradesh
Gwalior in Madhya Pradesh (Twice)
Indore in Madhya Pradesh (Twice)
Chandrapur in Maharashtra
Malegaon in Maharashtra
Delhi, the capital of India
Patna in Bihar
Lucknow in Uttar Prades
Kanpur in Uttar Pradesh
Varanasi in Uttar Pradesh
Kolkata, West Bengal
Howrah in West Bengal 
Koimbatore in Tamilnadu
Bangkok in Thailand (Twice)
Tokyo in Japan

पर्युषण पर्व का महत्व भाग 1

पर्युषण पर्व का महत्व भाग 2


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Thursday, July 18, 2019

जयपुर के बहुचर्चित सड़क दुर्घटना में दोषी कौन?



सड़क दुर्घटना में दोषी कौन?


अभी परसों जयपुर के एक व्यस्ततम चौराहे पे एक भयानक सड़क दुर्घटना हुई जिसमे दो लोग मारे गए. १२० किलोमीटर की रफ़्तार से आती हुई एक कार ने लाल बत्ती पे खड़ी दुपहिया बाहन सवारों को टक्कर मारी जिससे उसमे सवार दो लोगों की मौत हो गई. इस सड़क दुर्घटना का दोषी कौन? प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार टक्कर इतनी भयानक थी की बाइक में सवार लोग २०-२५ फुट ऊँचे उछल गए. दुर्घटनास्थल पर ही उनकी मृत्यु हो गई. दोनों ही युवा थे, उनकी मृत्यु से जहाँ उनके घर पर मातम छा गया वहीँ पूरा शहर भी आंदोलित हो उठा है.


जयपुर का बहुचर्चित सड़क दुर्घटना

इस दुर्घटना के लिए प्रत्यक्ष रूप से कार चालक ही दोषी है परन्तु क्या इसमें व्यवस्था का दोष नहीं? ऐसा समाचार है की कार चालाक ने यह स्वीकार किया की उसे ठीक तरह से गाड़ी चलानी नहीं आती  तो फिर उसे कार चलाने का लाइसेंस कैसे मिला? नियमानुसार ड्राइविंग टेस्ट देने और उसमे सफल होने के बाद ही ड्राइविंग लाइसेंस मिल सकता है. परन्तु लाइसेंस दिलाने में दलालों के प्रभाव एवं बिना टेस्ट के लाइसेंस बनवाने के गोरखधंधे से सभी परिचित हैं. अफसरों और दलालों की मिलीभगत से यह काम धड़ल्ले से चलता है. तो फिर असली दोषी कौन? यह बात केवल जयपुर के लिए नहीं है अपितु पुरे भारत में ऐसी ही परिस्थिति है.

ऐसी भी खबरें है की कर चालाक को मिर्गी के दौरे पड़ते हैं. ऐसी स्थिति में गाड़ी चलाना और भी खतरनाक हो जाता है. क्या इस प्रकार के रोगियों को या मानसिक रोगियों को ड्राइविंग लाइसेंस देना खतरनाक नहीं?

कार चालक ने स्वीकार किया की उसने कार को नियंत्रित करने की कोशिश की परन्तु नहीं कर पाया. उसने ये भी कहा की ब्रेक की जगह एक्सीलेटर पे पैर रख दिया जिससे गाड़ी की गति और बढ़ गई और दुर्घटना घट गई. यह भी समाचार है की पहले से ही उसकी गाडी १०० किलोमीटर प्रति घंटे की रफ़्तार से चल रही थी और एक्सीलेटर पे पैर रखने से उसकी गति बढ़ कर १२० हो गई. जयपुर के व्यस्त जवाहरलाल नेहरू मार्ग पर १०० से १२० की गति से गाडी चलाने के पीछे क्या मकसद था? इतनी तेज़ गति से गाडी चलाने पर उसे रोका या पकड़ा क्यों नहीं गया?

दुर्घटना के कारण एवं समाधान 


हम अक्सर अत्यंत तेज़ गति से गाड़ी या बाइक चलाते हुए लोगों को देखते हैं. कई लोग खतरनाक तरीके से भी गाड़ी या दुपहिया बाहन चलाते हैं. चौराहे पर मुड़ते समय भी वे अपनी गति कम नहीं करते. ऐसे लोगों को नियंत्रित क्यों नहीं किया जाता? यदि समय रहते इन्हे सजा दे दी जाए तो दुर्घटनाओं की संख्या काफी कम हो सकती है.

हर शहर में अलग अलग सड़कों पर दुपहिया एवं चौपहिया वाहनों के लिए गति सीमा निर्धारित है. निर्धारित गति से अधिक गति से चलने पर सजा और जुर्माने का प्रावधान है. परन्तु यह लागू क्यों नहीं होता? एक महत्वपूर्ण बात ये भी है की गति सीमा से अधिक होते ही सजा का प्रावधान है परन्तु अत्यधिक या खतरनाक गति के लिए विशेष सजा का कोई प्रावधान नहीं है.


सड़क दुर्घटना की समस्या का समाधान 

इस समस्या का समाधान क्या है? अपने कर्तव्यों की अवहेलना करनेवाले अधिकारीयों को दण्डित किया जाए, यही इस समस्या का स्थाई समाधान है. यह देखा जाए की जिस व्यक्ति की बजह से दुर्घटना हुई उसे लाइसेंस किसने जारी किया था? यह भी देखा जाये की जब गाडी खतरनाक गति से चल रही थी उस समय वहां पर ट्रैफिक ड्यूटी पे कौन था? उन सबकी जबाबदेही तय की जाये और उनके लिए भी जुर्माने और दंड का प्रावधान किया जाये. उच्चाधिकारियों को भी अपने अधीनस्थों से सही तरीके से काम लेने में नाकामी के कारण जबाबदेह बनाया जाये.

सभी सरकारी अधिकारी जनता के सेवक हैं और जनता के दिए हुए कर से ही उन्हें बेतन-भत्ता आदि मिलता है. फिर वे जनता के प्रति जबाबदेह क्यों नहीं? उन्हें जबाबदेह बनाने के लिए यदि पुराने कानूनों में बदलाव करना पड़े तो किया जाए. दुर्घटना में दिए जानेवाले सरकारी मुआबजे का एक हिस्सा भी उनसे वसूला जा सकता है. यह उन्हें अपनी जिम्मेदारी समझ कर काम करने के लिए मजबूर करेगा.

इस काम के लिए जन प्रतिनिधियों, राज्य एवं केंद्र सरकार के मंत्रियों को भी अपनी सक्रिय भूमिका निभानी होगी. संसद एवं विधानसभाओं में भी ऐसे प्रश्न उठने चाहिए. यदि केंद्र एवं राज्य सरकार कोई प्रभावी कानून नहीं बनाती है तो कोई भी सांसद या विधायक शून्यकाल में इस मसले को उठा सकता है.

ज्योति कुमार कोठारी

Update:

 दो दिन भी नहीं बीते और आज फिर से ऐसी ही एक दुर्घटना हो गई. आज १९ जुलाई की सुबह सुबह जवाहरलाल नेहरू मार्ग में उसी जगह एक बेलगाम कार चालाक ने एक स्कूटर चालक को टक्कर मार कर बुरी तरह घायल कर दिया. समाचार लिखने तक वह व्यक्ति जीवन और मृत्यु से जूझ रहा है.






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Monday, June 10, 2019

जल संरक्षण सरकार की प्राथमिकता: नरेंद्र मोदी


जल संरक्षण सरकार की प्राथमिकता: नरेंद्र मोदी 


लोकसभा में प्रचंड बहुमत से जीत के बाद भारत के प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने आज बड़ी घोषणा करते हुए जल संरक्षण को सरकार की प्राथमिकता बताया है. आज सरकार के सभी विभागों के एक सौ वरिष्ठ अधिकारीयों के साथ प्रधान मंत्री मोदी ने बैठक की और सभी अधिकारीयों को मुस्तैदी से काम में जुटकर देश की जनता के जीवन को सरल बनाने का उपाय खोजने का निर्देश दिया. श्री नरेंद्र मोदी ने अधिकारीयों से कहा की पानी देश की बड़ी समस्या है और करोड़ों लोगों को पीने क पानी भी नहीं मिलता अतः देशवासियों को पीने का पानी मुहैया करना व गरीबी मिटाना उनके सरकार की प्राथमिकता है.

आज की बैठक से यह सुनिश्चित हो गया की जल संरक्षण इस सरकार की प्राथमिकता है और सरकार इस दिशा में तेजी से काम करेगी.

प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी 

जल का उपयोग और दुरूपयोग 

जल ही जीवन है और पानी के बिना जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती. यही कारण रहा की प्राचीन काल से ही नदी के किनारे सभ्यताओं का विकास हुआ. इसलिए इन्हे नदी मातृक सभ्यता भी कहा जाता है. जीने के लिए पानी का उपयोग तो करना ही पड़ेगा परन्तु इसके दुरूपयोग को रोकने की आवश्यकता है. व्यक्तिगत, सामाजिक, और सरकारी स्तर पर इसके अपव्यय को रोकने का निरंतर प्रयास करना होगा. 

यूँ तो पुरे विश्व में ही पानी की समस्या है परन्तु भारत में यह विकराल रूप धारण कर चूका है. भारत की जनसँख्या अत्यधिक है लेकिन जमीन और पानी की उपलब्धता सीमित है. भारत में प्रति व्यक्ति पानी की उपलब्धता अमरीका के बीसवें हिस्से जितना भी नहीं है. ऐसी स्थिति में अमरीकी जीवन शैली की नक़ल कर पानी का दुरूपयोग करना कहाँ की अक्लमंदी है? 

कुए बावड़ी से जल संरक्षण 

भारत में कुए बावड़ी आदि के माध्यम से जल संरक्षण की बड़ी प्राचीन परंपरा है. यही कारण था की थार के रेगिस्तान में भी पानी उपलब्ध हो जाता था. लेकिन हमने आज़ादी के बाद पाश्चात्य जीवन शैली अपना कर अपनी पुराणी परम्पराओं को नष्ट कर दिया और अब उसके दुष्परिणाम सामने आ रहे हैं. 

इस विषय में मैंने पहले भी अनेक स्थानों पर बहुत कुछ लिखा है और आज फिर से प्रसंगवश इस विषय पर लिख रहा हूँ. 

अनुपम मिश्रा 




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