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Wednesday, September 2, 2020

मंत्राधिराज पञ्च परमेष्ठी मंत्र शुद्ध उच्चारण व विधि पूर्वक सीखें



अष्ट सिद्धि नव निधि दातार, सर्वार्थ सिद्धि दायक, आधि व्याधि उपाधि नाशक, रोग शोक दुख दारिद्र विनाशक, सर्व संताप हर, भूत प्रेत पिशाच आदि की बाधाओं को दूर करने वाले, सर्व समृद्धि कारक, महा मांगलिक, महा प्रभाविक, चमत्कारिक सर्वतोभद्र मंत्राधिराज पञ्च परमेष्ठी मंत्र शुद्ध उच्चारण व विधि पूर्वक सीखने के लिए इस वीडियो का उपयोग करें। 

इस महामंत्र के उच्चारण, पाठ, मनन चिंतन से सभी प्रकार के कष्टों का निवारण होता है और जीव समस्त  आधिभौतिक, आधिदैविक एवं अंततः पारमार्थिक सुख प्राप्त करता है।

Panch Parameshthi In Siddhachakra Patta

मंत्राधिराज पञ्च परमेष्ठी मंत्र शुद्ध उच्चारण व विधि पूर्वक सीखें

यह मन्त्र प्राकृत भाषा में निवद्ध होने से इसके शुद्ध उच्चारण में कठिनाई होती है इस बात को ध्यान में रखते हुए चमत्कारिक सर्वतोभद्र मंत्राधिराज पञ्च परमेष्ठी मंत्र शुद्ध उच्चारण व विधि पूर्वक सीखने के लिए यह वीडियो बनाया गया है. 

मंत्राधिराज पञ्च परमेष्ठी मंत्र का मूल पाठ 

णमो अरहंताणं,
णमो सिद्धाणं,
णमो आयरियाणं,
णमो उवज्‍झायाणं,
णमो लोए सव्‍वसाहूणं ।१।

एसो पंच णमुक्‍कारो, सव्‍व पावप्‍पणासणो।
मंगलाणं च सव्‍वेसिं, पढम हवई मंगलं।२।

मंत्राधिराज पञ्च परमेष्ठी मंत्र का अर्थ 

अर्हन्तों को नमस्कार हो।  
(मोक्ष को प्राप्त) सभी सिद्धों को नमस्कार हो। 
सभी गणनायक आचार्यों को नमस्कार हो। 
सूत्र और अर्थ प्रदान करनेवाले सभी उपाध्यायों को नमस्कार हो। 
लोक में सभी साधु मुनिराजों को नमस्कार हो। 

इन पाँचों (परमेष्ठियों) को किया हुआ (भावपूर्वक) नमस्कार सभी पापों को नष्ट करनेवाला है. ये (पञ्च परमेष्ठी एवं) इन्हे किया हुआ नमस्कार सभी मंगलों में (सर्वश्रेष्ठ) प्रथम मंगल है।   

मंत्राधिराज नवकार मंत्र का महाप्रभाव 

यह परम मन्त्र अनेक नामों से जाना जाता है जैसे चिन्तामणि मन्त्र, नवकार मन्त्र, नमस्कार मन्त्र, महामंत्र, णमोक्कार मन्त्र आदि. इसका शास्त्रीय नाम पञ्च मंगल महाश्रुत स्कंध है. 

इस मंत्र के स्मरण से परमात्मा का आत्यंतिक शरण प्राप्त होता है। परमात्म शरण प्राप्त जीव के समस्त मनोमालिन्य दूर होते हैं। मन के विकार दूर होने से सात्विक भाव प्राप्त होता है, तामसिक भाव एवं समस्त क्लेश, अशांति दूर होते हैं।

जीव का अज्ञान एवं मिथ्यात्व दूर होने पर मोह, राग, द्वेष आदि धीरे धीरे नष्ट हो जाते हैं और परम सुख व परम शांति प्राप्त होती है। ऐसी अवस्था देवदुर्लभ है अतः ऐसे व्यक्ति को देवी देवता भी नमस्कार करते हैं।

सर्वपूज्य नमस्कार महामंत्र 

यह शास्वत अनादि निधन मंत्र है अर्थात इसका न कोई आदि है न अंत है। परम पूज्य परम हितकारी अरिहन्त, सिद्ध, आचार्य, उपाध्याय एवं साधु ये पञ्च परमेष्ठी तीनों लोकों में सर्वश्रेष्ठ एवं अत्यंत परोपकारी तत्व हैं। जगत में इनके सामान उपकारी कोई नहीं. सभी देव, देवेंद्र, मनुष्य, असुर, राक्षस, यक्ष, किन्नर, गंधर्व, इनके चरणों के सेवक हैं। अतः इस मन्त्र की उपासना से ये सभी देवता भी प्रसन्न होते हैं।

इस पंच परमेष्टि मंत्र से बढ़कर कोई मंत्र नही। इसका श्रद्धापूर्वक जप स्मरण चिंतन मनन करने से भव दुख का अंत होकर परमात्म परम व्रह्म स्वरूप प्राप्त होता है। इससे एक भव के नहीं परन्तु भव भव के दुखों का अंत होता है. यह अनंत मृत्युओं पर विजय प्राप्त करनेवाला होने से वास्तविक महामृत्युंजय मन्त्र है. 

जिसप्रकार वैदिक धर्म में गायत्री मन्त्र का एवं शैव मत में महा मृत्युंजय मन्त्र का महत्व है वैसा ही जैन धर्म में इस विश्वकल्याणकारी महामंत्र का महत्व है. 

Thanks, 
Jyoti Kothari, Proprietor, Vardhaman Gems, Jaipur represents Centuries Old Tradition of Excellence in Gems and Jewelry. He is an adviser, Vardhaman Infotech, a leading IT company in Jaipur. He is also ISO 9000 professional)

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Tuesday, September 1, 2020

शक्रस्तव, नाम स्तव, श्रुत स्तव, सिद्ध स्तव मूल

शक्रस्तव, नाम स्तव, श्रुत स्तव, सिद्ध स्तव मूल   

शक्रस्तव (नमोत्थुणं सूत्र)

नमोत्थुणं अरहंताणं भगवंताणं ॥१॥
आइगराणं तित्थयराणं सयं-संवुद्धाणं॥२॥  
पुरिसुत्तमाणं पुरिस-सीहाणं पुरिस-वर-पुंडरीआणं पुरिस-वर-गंधहत्थीणं ॥३ ॥
लोगुत्तमाणं लोह-नाहाणं लोग-हिआणं लोग-पइवाणं लोग पज्जोअगराणं ॥४॥
अभय-दयाण चक्खु-दयाणं मग्ग-दयाणं सरण-दयाणं बोहि-दयाणं ॥५॥
धम्म-दयाणं धम्म-देसयाणं धम्म-णायगाणं धम्म-सारहीणं धम्म-वर-चाऊरंत चक्कवट्टीणं ॥६॥
अप्पडिहय वर-नाण दंसणधराणं वियट्ट-छउमाणं ॥७॥
जिणाणं-जावयाणं तिन्नाणं-तारयाणं बुद्धाणं बोहयाणं मुत्ताणं मोअगाणं ॥८॥
सव्वण्णुणं सव्व-दरिसीणं सिव-मयल-मरुअ-मणंत-मक्खय-मव्वाबाह-मपुणरावित्ति सिद्धिगइ-नामधेयं ठाणं संपत्ताणं, णमो जिणाणं जिअ-भयाणं ॥९॥
जे अ अईआ सिद्धा जे अ भविस्संति णागए काले संपइ अ वट्टमाणा सव्वे तिविहेण वंदामि ॥१०


नाम स्तव (लोगस्स सूत्र) 

लोगस्स उज्जोअगरे, धम्मतित्थयरे जिणे ।
अरिहंते कित्तइस्सं, चऊवीसं पि केवली ॥१॥ 

उसभ-मजिअं च वंदे, संभव-मभिणंदणं च सुमइं च ।
पउमप्पहं सुपासं, जिणं च चंदप्पहं वंदे ॥२॥

सुविहिं च पुप्फदंतं, सीअल-सिज्जंस-वासुपूज्जं च ।
विमल-मणंतं च जिणं, धम्मं संतिं च वंदामि ॥३॥

कुंथुं अरं च मल्लिं, वंदे मुणिसुव्वयं नमिजिणं च।
वंदामि रिट्ठनेमिं, पासं तह वद्धमाणं च ॥४॥

एवं मए अभिथुआ, विहुय-रय-मला, पहीण-जर-मरणा ।
चउवीसं पि जिणवरा, तित्थयरा में पसीयंतु ॥५॥

कित्तिय-वंदिय-महिया, जे ए लोगस्स उत्तमा सिद्धा।
आरुग्ग बोहिलाभं, समाहिवरमुत्तमं दिंतु ॥६॥

चंदेसु निम्मलयरा, आइच्चेसु अहियं पयासयरा ।
सागरवर गंभीरा, सिद्धा सिद्धिं मम दिसंतु ॥७॥

श्रुत स्तव (पुक्खरवरदी सूत्र) 


पुक्खरवर-दीवड्ढे धायइ खण्डे जम्बूदीवे अ, भरहे-रवय विदेहे, धम्माईगरे णमंसामी। तम तिमिर पडल विद्धंसनस्स, सुरगण नरिंद महियस्स, सीमाधरस्स वन्दे, पप्फोड़िय मोहजालस्स। 
 
जाइ जरा मरण सोग पणासणस्स, कल्लाण पुक्खल विसाल सुहावहस्स। को देव दाणव नरिंद गणच्चिअस्स, 
धम्मस्स सार मुहलब्भ करे पमायं। 
सिद्धे भो! पयओ णमो जिणमये, नन्दी सया संजमे, देवन्नाग सुवण्ण किन्नर गण सब्भुअ भावच्चिए। लोगो जत्थ पइट्ठीओ जगमीणं तेलुक्क मच्चासुरं, धम्मो वड्ढउ सासओ, विजयओ , धम्मुत्तरं वड्ढउ। 
सुअस्स भगवओ करेमी काउसग्गं। 
वंदण वत्तियाए, पूअण वत्तियाए, सक्कार वत्तियाए, सम्मान वत्तियाए, वोहिलाभ वत्तियाए, निरुवसग्ग वत्तियाए, सद्धाए, मेहाए, धीइए, धारणाए, अणुप्पेहाए, वड्ढमाणिए ठामि काउसग्गं।

सिद्ध स्तव (सिद्धाणं वुद्धाणं सूत्र)

सिद्धाणं वुद्धाणं, पारगयाणं परम्पर गयाणं। लोअग्ग मुवगयाणं, णमो सया  सव्व सिद्धाणं। जो देवाण वि देवो, जं देवा पंजली णमंसन्ति, तं देव देव महीयं, सिरसा वन्दे महावीरं। इक्को वि णमुक्कारो, जिणवर वसहस्स वद्धमाणस्स, संसार सागराओ तारेइं, णरं वा णारिं वा. 

 उज्जिन्त सेल सिहरे, दिक्खा णाणं निसिहिआ जस्स, तं धम्म चक्कवट्टिं, अरिट्ठ णेमिं णमंसामी। चत्तारि अट्ठ दस दोय वंदिया, जिणवरा चउवीसं परमट्ठ निट्ठि अट्ठा, सिद्धा सिद्धिं मम दिसंतु।  


Thanks,
Jyoti Kothari (Jyoti Kothari, Proprietor, Vardhaman Gems, Jaipur represents Centuries Old Tradition of Excellence in Gems and Jewelry. He is an adviser, Vardhaman Infotech, a leading IT company in Jaipur. He is also ISO 9000 professional)

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Tuesday, August 11, 2020

ऑनलाइन पर्युषण पर्व आराधना

🌹🌹 ऑनलाइन पर्युषण पर्व आराधना 🌹🌹

15 से 22 अगस्त, 2020

वांचन: प्रातः 9.00 से 10.30 You Tube पर


जैन धर्म का महानतम पर्व पर्युषण 15 अगस्त शनिवार से प्रारंभ हो कर 22 अगस्त शनिवार की संवत्सरी के साथ पूर्ण होगा।

जैन समाज प्रतिवर्ष उत्साह के साथ यह पर्व मनाता रहा है। मंदिरों, उपश्रयों में एकत्रित होना, जिनपुजा करना, गुरु महाराज से व्याख्यान सुनना, प्रतिक्रमण करना आदि सभी कार्य सुसम्पन्न होते हैं।

परंतु इस वर्ष कोरोना महामारी के कारण अधिकांश स्थानों पर ऐसा करना संभव नही हो पायेगा। कोरोना की परिस्थिति को देखते हुए इस वर्ष ऑनलाइन पर्युषण करने का निर्णय लिया है। समय प्रातः 9 से 10.30 तक का रखा गया है। पर्युषण का समय होने से वर्तमान एक कि जगह डेढ़ घंटे रखना उचित रहेगा। शाम को प्रतिक्रमण, भक्ति आदि रहता है, अतः शाम का स्वाध्याय पर्युषण काल मे स्थगित रहेगा।

ऑनलाइन सुबह शाम (राई, देवसी, पक्खी, संवच्छरी) प्रतिक्रमण की आठों दिन व्यवस्था रहेगी। जिनेन्द्र भक्ति के रूप में जन्म वांचन के दिन अर्थ सहित स्नात्र पूजा रखी जा सकती है।


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आप सबको विदित ही है कि पिछले 4 महीने से प्रतिदिन रात्रिकालीन स्वाध्याय का क्रम चल रहा है, जिसमे उत्साही स्वाध्यायी गण नियमित भाग ले कर अपने ज्ञान में वृद्धि कर रहे हैं। पर्युषण के पहले तक यह क्रम उसी प्रकार नियमित रूप से चलता रहेगा और पर्युषण पर्व पर अलग शिड्यूल रहेगा।



कृपया इस मैसेज को अपने परिवार जनों, मित्रों, संवंधियों, व परिचित जैनों को फारवर्ड कर धर्म प्रभावना का लाभ लें।

जुड़ने के लिए

https://www.youtube.com/channel/UCh1cAij3A_fLGUx8sBnubnQ/live

अब तक के स्वाध्याय का वीडियो देखने के लिए इस लिंक पर क्लिक करें और धर्म एवं अध्यात्म चैनल को सब्सक्राइब करें।

https://www.youtube.com/channel/UCh1cAij3A_fLGUx8sBnubnQ/

🙏🙏

#Paryshana #Jainism #Jain #Pratikraman #Samvatsari #Kshamapana #पर्युषण #प्रतिक्रमण #जैनधर्म #जैन



Thanks, 

Jyoti Kothari 

 (Proprietor, Vardhaman Gems, Jaipur represents Centuries Old Tradition of Excellence in Gems and Jewelry. He is an adviser, Vardhaman Infotech, a leading IT company in Jaipur. He is also ISO 9000 professional)


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