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Thursday, January 24, 2013

भारतीय प्रजातंत्र एवं नेताजी सुभाष चन्द्र बोस


नेताजी सुभाष चन्द्र बोस का कल जन्म दिवस था। उनके वारे में कल रात सोच रहा था। उनके अद्भुत त्याग एवं वलिदान की गाथा स्मृति पटल पर उभर रही थी। साथ ही सोच रहा था 26 जनवरी प्रजातंत्र दिवस के सम्वन्ध में।

कल नेताजी सुभाष चन्द्र बोस की 116 वीं जन्म जयंती थी। उनके रहस्यमय मृत्यु (1945) के 5 वर्ष बाद से भरतर में 26 जनवरी प्रजातंत्र दिवस के रूप में मनाया जाने लगा। लेकिन भारत में प्रजातंत्र की हत्या बहुत पहले ही हो चुकी थी और ये वाकया भारत के दो महँ सपूतों के साथ जुडी हुई है।

नेताजी सुभाष चन्द्र बोस त्रिपुरी कांग्रेस में भारी बहुमत से कांग्रेस के अध्यक्ष चुने गए। पट्टाभि सीतारमैया की पराजय हुई।  लगभग 40 वर्ष की उम्र में ही वे भारत के सर्वाधिक लोकप्रिय नेता बन चुके थे। अंग्रेज सरकार उनसे डरती थी और भारतीय जनता उन्हें प्यार करती थी। उनके जीत के बाद महात्मा गाँधी ने एक वयां दिया की पट्टाभि सीतारमैया की पराजय मेरी पराजय है। सुभाष जो की गाँधी जी का बहुत आदर करते थे उन्होंने तत्काल कांग्रेस अध्यक्ष के शक्तिशाली एवं गौरवपूर्ण पद से इस्तीफा दे दिया। गांधीजी ने भी ऐसा करने से उन्हें रोक नहीं। इस तरह एक युग का पटाक्षेप हो गया और हो गई भारतीय प्रजातंत्र की हत्या।

अब जरा देखें मोहनदास करमचंद गाँधी अर्थात महात्मा गाँधी के वारे में नेताजी के विचार:
महात्मा गाँधी को "राष्ट्रपिता" की उपाधि सुभाष बोस ने ही दी। ऐसी अपमानजनक घटना के बाद भी आज़ाद हिन्द फौज के एक ब्रिगेड का नाम गाँधी ब्रिगेड रखा गया। ये थी नेताजी की महानता।

पर विचारणीय विन्दु तो भारत का प्रजातंत्र है। उसकी हत्या तो हो चुकी थी। भारत को संविधानिक रूप से प्रजातंत्र बने 63 वर्ष हो गए परन्तु अभी तक वास्तविक प्रजातंत्र नहीं है। अभी भी एक परिवार की मर्जी सभी मतों से ऊपर मानी जाती है।  उस परिवार के एक व्यक्ति को देश में युवराज के रूप में जाना जाता है। वरिष्ठ से वरिष्ठ कांग्रेसी भी उसके आगे हाथ जोड़ कर खड़े रहने में फख्र महसूस करता है।  अभी अभी उनकी युवराज के रूप में ताजपोशी भी हो चुकी है। ऐसा लगता है जैसे देश के प्रधान मंत्री भी उनके आगे नतमस्तक रहते हैं।

क्या अब भी बदलाव नहीं आएगा? क्या देश इस वारे में नहीं सोचेगा? क्या युवा पीढ़ी जागरूक नहीं होगी? क्या एक परिवार का एकाधिपत्य बना ही रहेगा?

क्या भारत में सचमुच का प्रजातंत्र आयेगा? क्या नेताजी का सपना साकार होगा? परसों प्रजातंत्र दिवस है और हमें इस और सोचना ही होगा।


आम जनता और सरकारी तंत्र: नेता, अधिकारी और कर्मचारी





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Jyoti Kothari (Jyoti Kothari, Proprietor, Vardhaman Gems, Jaipur represents Centuries Old Tradition of Excellence in Gems and Jewelry. He is adviser, Vardhaman Infotech, a leading IT company in Jaipur. He is also ISO 9000 professional)



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Sunday, January 20, 2013

आम जनता और सरकारी तंत्र: नेता, अधिकारी और कर्मचारी


आम जनता और सरकारी तंत्र में एक विचित्र सा रिश्ता है। कहने को तो सरकारी तंत्र आम जनता की भलाई के लिए है परन्तु हकीकत कुछ और ही है।  नेता, अधिकारी और कर्मचारी मिलकर सरकारी तंत्र बनाते हैं और एक दुसरे को फायदा पहुचने में लगे रहते हैं।  नेता अधिकारी पर हुकुम चलता है तो अधिकारी कर्मचारी पर रौब गांठता है। यह सब कुछ दिखावे में तो जनता की भलाई के लिए ही होता है।

नेताओं की तनख्वाह, भत्ते, पेन्सन एवं अन्य सुविधाओं में बढ़ोतरी के लिए तो संसद एवं विधानसभा में तुरंत एकमत हो जाता है पर जनता की भलाई के काम बहस मुबाहिसों में ही अटका रहता है। ये नेता लोग जनता हैं की उनका अपना काम सरकारी अधिकारीयों कर्मचारियों के बिना नहीं चल सकता इसलिए उनके बेतन भत्ते आदि बढ़ने के मामले में ये उदार रहते हैं। आखिर उनकी जेब से कुछ भी नहीं लग रहा। पैसा जनता से टैक्स के रूप में सब मिलकर वसूल ही लेते हैं। इसी लिए तो कहते हैं की जनता त्रस्त सरकार मस्त


नेताओं को पांच साल में एक बार जनता के दरबार में जाना होता है। उस समय वे जनता को छलावा देने में प्रायः सफल हो जाते हैं। कभी जाती, कभी धर्म, कभी क्षेत्रीयता और कभी भाषा के नाम पर आम जनता को बरगला लेते हैं। उनके इस काम में सरकारी कर्मचारी भी शामिल हो जाते हैं। आखिर सब मिलजुल कर ही तो सरकारी तंत्र बनाते हैं !!

अब आम जनता को जागना होगा। भारत के अनेक प्रान्तों में इस वर्ष चुनाव होना है और अगले वर्ष लोकसभा का चुनाव (सब कुछ ठीक ठाक रहा तो). आम जनता इनसे महंगाई का, भ्रष्टाचार का, असुरक्षा का जवाब मांगे। हिसाब मांगे की सरकारी अधिकारी कर्मचारी को कितना पैसा मिलता है और बदले में वे कितना काम करते हैं? उनसे ये भी पूछे की जिस जनता के धन से वे पल रहे हैं उसी पर किस अधिकार से रौब गांठ रहे हैं?

अब भी नहीं चेते तो आम जनता के लिए येही बात सवित होती रहेगी की महंगाई की मरी जनता बेचारी

क्या सरकार अपने फिजूलखर्च रोकने के बारे में सोचेगी? क्या नेता सच्चे अर्थों में जनसेवक बनेंगे? क्या अधिकारी कर्मचारियों के बेतन भत्ते कम होंगे? या कम से कम उनकी बढ़ोतरी रुकेगी? क्या उन्हें जिम्मेदार एवं जबाबदेह बनाया जायेगा? प्रशासन आम आदमी के प्रति कब जबाबदेह होगा?

Thanks,
Jyoti Kothari (Jyoti Kothari, Proprietor, Vardhaman Gems, Jaipur represents Centuries Old Tradition of Excellence in Gems and Jewelry. He is adviser, Vardhaman Infotech, a leading IT company in Jaipur. He is also ISO 9000 professional)

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Thursday, January 17, 2013

जनता बेचारी महंगाई की मारी


भारत की जनता बेचारी है महंगाई की मारी है।  

जनता त्रस्त सरकार मस्त है .

लेकिन ऐसा क्यों है?  क्यों हिंदुस्तान की बेवस जनता पड़े पड़े मार खाने को मजबूर है? आखिर क्यों? इस सवाल का जवाब हमें ढूँढना ही पड़ेगा।

भारत देश और इसके शासक आज भी औपनिवेशिक मानसिकता से ग्रस्त हैं। आज भी वही कानून वही व्यवस्था लागू है जिसे अंग्रेजों ने अपने फायदे के लिए, भारत को गुलाम बनाये रखने के लिए बनाया था। आज भी सरकारी कर्मचारी विशेषाधिकार प्राप्त हैं। उन्हें भरपूर वेतन और सुविधाएँ मिलती है लेकिन वे लगभग जिम्मेदारी से विहीन हैं। और उनको ये वेतन जनता की गाढ़ी कमाई से टैक्स के जरिये वसूले गए धन से जाता है।  ये वो तबका है जो अपने मालिकों (जनता) पर रौब गांठता है, परेशान करता है, काम नहीं करता ऊपर से रिश्वत वसूलता है।

ये वो तबका है जो नेताओं की सेवा में लगा रहता है जनता की नहीं। काम नहीं करने पर या गलत काम करने पर प्रायः उसे कोई सजा नहीं होती, इसलिए उसके हौसले बुलंद हैं। जनता को जागरूक हो कर उन पुराने सादे गले औपनिवेशिक कानूनों को बदलवाना होगा एवं सरकारी अधिकारिओं कर्म्चरिओन को जिम्मेदार बनाना होगा तभी देश की परिस्थिति सुधरेगी।

भारत की केंद्र एवं राज्य सरकारें प्रति वर्ष महंगाई भत्ते के रूप में मोटी रकम इन्हें देती है जिस कारन महंगाई का असर इनपर नहीं होता। इन्हें बेचारी जनता से क्या मतलब? इसके अलावा प्रति वर्ष इनका वेतन एक निश्चित दर से प्रति वर्ष बढ़ जाता है। फिर वेतन आयोग तो है ही। हर कुछ वर्षों में एक वेतन आयोग। पहला दूसरा--------पांचवां छठा।

अब तो बस करो। बंद करो ये लूट!


 एक समान काम के लए एक सरकारी एवं एक निजी क्षेत्र के कर्मचारी के वेतन में आम तौर पर तीन से चार गुने का फर्क होता है। विश्वास न हो तो अपने चारों और निगाह घुमा कर देख लें।  ज्यादा दूर जाने की जरूरत नहीं पड़ेगी।  सरकारी खजाने पर पड़ने वाले भार से इन्हें क्या मतलब। इन्हें तो छूट्टी, प्रोविदेंड फण्ड, ग्रैचुइति,  पेन्सन के रूप में लाभ मिल ही रहा है। 

आम जनता और सरकारी तंत्र: नेता, अधिकारी और कर्मचारी

सरकारी खर्च का सबसे बड़ा हिस्सा या तो वेतन चुकाने में जाता है या फिर क़र्ज़ का व्याज चुकाने में। और ये क़र्ज़ भी  है वेतन के खर्च से। अब  विकास के लिए या जन कल्याण के लिए धन आये कहाँ से? सर्कार  या तो पेट्रोल, डीजल, गैस के दाम बढाती है या आम आदमी पर टैक्स के नए बोझ लाद देती है।  कभी रेल का किराया बढाती है तो कभी टोल टैक्स वसूलती है।

आम आदमी जागे तो --------

अब भारत के आम आदमी को जागना होगा। कब तक पड़े पड़े मार खाते रहेंगे? नेता और कर्मचारियों के इस गठजोड़ को तोडना होगा। तभी हम स्वतंत्र भारत के स्वतंत्र नागरिक की तरह जी सकेंगे।
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Jyoti Kothari (Jyoti Kothari, Proprietor, Vardhaman Gems, Jaipur represents Centuries Old Tradition of Excellence in Gems and Jewelry. He is adviser, Vardhaman Infotech, a leading IT company in Jaipur. He is also ISO 9000 professional)


जागो हिंदुस्तान जागो     जागो हिंदुस्तान जागो     जागो हिंदुस्तान जागो      

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Wednesday, January 9, 2013

जनता त्रस्त सरकार मस्त


महंगाई की मार से त्रस्त  जनता को सरकार ने आज एक और तगड़ा झटका दिया है। UPA सरकार के  रेल मंत्री पवन बंसल ने आज रेल किराये में जबरदस्त बढ़ोतरी की है। यह बढ़ोतरी साधारण ट्रेनों में 2 पैसे, मेल / एक्सप्रेस में 4 पैसे, स्लीपर क्लास में 6 पैसे एवं एक में 10 पैसे प्रति किलोमीटर है। यह बढ़ोतरी 5 से 20 प्रतिशत के वीच है।
 जनता त्रस्त सरकार मस्त 

उप नीत केंद्र सरकार ने अभी कुछ ही दिनों पूर्व पेट्रोल, डीजल एवं एलपीजी गैस के दामो में भरी बढ़ोतरी की थी। डीजल के दाम में 10 रुपये और बढाने  पर सरकार फिर से विचार कर रही है। साथ ही आज समाचार मिला है की केंद्र सरकार एलपीजी गैस के दाम में 100 रुपये और बढ़ोतरी कर सकती है।

 सरकार जरूर मस्त हो रही है। जनता त्रस्त है उसकी उसे कोई परवाह नहीं।  सरकार खर्च में बढ़ोतरी का तर्क देती है परन्तु फिजूलखर्ची पर कोई नियंत्रण नहीं। पुरे सरकारी तंत्र की काबिलियत पर प्रश्न चिन्ह लगा हुआ है।  मंत्री एवं अफसर शाही ठाट बात की जिंदगी जी रहे हैं। शानो शौकत में एक दुसरे से होड़ ले रहे हैं।

दिल्ली जैसे देश की राजधानी भी असुरक्षित है। गैंग रेप जैसे कांड ने पुरे देश को हिल कर रख दिया है। आखिर इन सबके लिए जिम्मेदार कौन?
जनता बेचारी महंगाई की मारी

आम जनता और सरकारी तंत्र: नेता, अधिकारी और कर्मचारी


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Monday, June 18, 2012

चातुर्मास में पञ्च परमेष्ठी आराधना एवं व्याख्यानमाला 8 जुलाई से 5 अगस्त


इस वर्ष श्री जैन श्वेताम्बर खरतर गच्छ संघ, जयपुर चातुर्मास में 8 जुलाई से 5 अगस्त तक पञ्च परमेष्ठी आराधना एवं व्याख्यानमाला का कार्यक्रम आयोजित कर रहा है। यह कार्यक्रम विशिष्ट श्रेणी का है एवं इस तरह का आयोजन जयपुर शहर में पहली वार हो रहा है।

जैन धर्म में पञ्च परमेष्ठी तत्व का अत्यंत महत्व है। जैनों के सर्व श्रेष्ठ मंत्र नवकार में इन्ही पञ्च परमेष्ठी को नमस्कार किया गया है। इनमे से प्रथम दो परमेष्ठी अरिहंत एवं सिद्ध परमात्मा को देव तत्व एवं पीछे के तीन आचार्य, उपाध्याय एवं साधू को गुरु तत्व माना गया है। परमेष्ठी तत्व से ही हमें धर्म की प्राप्ति होती है अतः ये धर्म के आधार माने जाते हैं।

  अत्यंत हर्ष का विषय है की हमारे प्रवल पुण्योदय से श्री जैन श्वेताम्बर खरतर गच्छ संघ, जयपुर में इस वर्ष चतुर्विध संघ के साथ चातुर्मास करने का सुअवसर उपस्थित हुआ है।

आगामी 3 जुलाई से चातुर्मास प्रारंभ हो रहा है एवं परम पूज्य स्वर्गीय श्री राजेंद्र मुनि जी  के सुशिष्य परम पूज्य श्री विनय मुनि जी महारज साहब आदि ठाना 3 एवं परम पूज्य प्रवर्तिनी स्वर्गीय श्री विचक्षण श्री जी महाराज साहब की सुशिष्या परम पूज्या श्री सुयशा श्री जी महाराज आदि ठाना 2 का चातुर्मास खरतर गच्छ संघ, जयपुर में हो रहा है।
विनय मुनि एवं सुयशा श्री जी का चातुर्मास प्रवेश जुलुश मुल्तान मंदिर से शिवजी राम भवन

 आप सभी के सान्निध्य में ये सम्पूर्ण कार्यक्रम होगा। जयपुर में विराजीत अन्य साधू साध्वी भगवन्तो को भी आमंत्रित किया जायेगा। 

चातुर्मास प्रारंभ के बाद पहले रविवार 8 जुलाई से ही  पञ्च परमेष्ठी आराधना एवं व्याख्यानमाला का कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा है। उस दिन प्रो. कुसुम जैन अरिहंत पद पर अपना व्याख्यान देंगी.  15 जुलाई को प्रो. जे. बी. शाह, निदेशक, एल. डी. इंस्टिट्यूट, अहमदाबाद का सिद्ध पद पर व्याख्यान होगा. 22 जुलाई को प्रसिद्द जैन मनीषी प्रो. सागरमल जैन आचार्य पद पर अपना उद्वोधन देंगे। 29 जुलाई को इस युग के महापुरुष नवकार मंत्र के परम आराधक पन्यास श्री भद्रंकर विजय जी महाराज के श्रावक शिष्य श्री शशिकांत मेहता उपाध्याय पद का महत्व समझाते हुए नवकार मन्त्र के ध्यान की प्रक्रिया बताएँगे। कर्यक्रम के अंतिम दिन 5 अगस्त को जोधपुर विश्वविद्यालय के प्रो. धरमचंद जैन साधू पद पर प्रवचन देंगे।

इन सभी कार्यक्रमों में भारत के विभिन्न स्थानों से समाज के गणमान्य व्यक्ति भी विशेष अतिथि के रूप में आमंत्रित किये गए हैं।

व्याख्यान माला के साथ ही इन पांच दिनों में विशेष प्रकार की पूजाएँ/ महापूजन आदि रखी गई है जिससे परमेष्ठी तत्व की भक्ति की जा सके।  इन दिनों में विशेष प्रकार के जप अनुष्ठान,एवं तपस्या का भी कार्यक्रम रखा जाएग। साधर्मी वात्सल्य भी आयोजित होंगे.  आप सभी इस कार्यक्रम में सादर आमंत्रित हैं।
जयपुर के जैन समाज की प्रेरणाष्पद गतिविधियां
Thanks,
Jyoti Kothari

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Wednesday, February 15, 2012

Jain Encyclopedia


I am in process of creating a website about Jain and Jainism, Jain Encyclopedia. I feel that there is not enough material about Jain society, religion, philosophy, culture, history, rituals, Jain business, jobs and matrimonial.
If there are something about these, these are scattered.

It is difficult to find desired material for a layman. This inspired me to bring all information about Jain and Jainism into one place. I am presently collecting data and will add to my website jainee.com in due course.

I request all the readers to send me materials in text, images, videos etc about Jain and Jainism. You can mail me info@jainee.com or post printed materials to publish in the website. Please do not send copyrighted materials. If you are owner of the copyright please include permission.

Thanks,
Jyoti Kothari (Jyoti Kothari, Proprietor, Vardhaman Gems, Jaipur represents Centuries Old Tradition of Excellence in Gems and Jewelry. He is adviser, Vardhaman Infotech, a leading IT company in Jaipur. He is also ISO 9000 professional)

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Tuesday, February 14, 2012

Support Anna Hazare






Dear Sir/Madam

Happy Independence Day. Anna Hazare is fighting against corruption and proceeding for his fast (anshan) from today in support of JAN LOKPAL BILL. The central government is all set to fail his program. It is in the best interest of all of us to support him by various means.

You can join his fast at your place or at least forward this mail to your family, friends and anyone you wish. You can also send message using your mobile.



SUPPORT  ANNA HAZARE

SUPPORT JAN LOKPAL

--
Thanks,
Jyoti Kothari
Vardhaman Gems
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Thursday, February 2, 2012

शहरवाली शब्दों का वाक्य प्रयोग: मुर्शिदाबाद की बोली भाग २

शहरवाली शब्दों का वाक्यों में प्रयोग: मुर्शिदाबाद की बोली के कुछ और उदाहरण   पास में उसके हिंदी अर्थ भी दिए गए हैं. 
सूरज कल खाईस था. : सूरज ने कल खाया था.

उषा तो इ काम किस इ नइ. : उषा ने ये काम किया ही नहीं.

शुधा हम को चिनिस नइ. : शुधा ने मुझे पहचाना नहीं.

तुम उसको बोलियों थो?:   तुमने उसे बोला था?

राजा कल कोई काम नई करिस था. : राजा ने कल कोई काम नहीं किया था.

सभी पाठकों से अनुरोध है की वे अपनी ओर से इस ब्लॉग में कुछ जोड़ते रहें. इस से मुर्शिदाबाद  की संस्कृति को आगे बढ़ाने में मदद मिलेगी. इस ब्लॉग में जोड़ने के लिए कृपया मुझे jyoti _kothari @yahoo.com  में मुझे मेल करें. कृपया इस ब्लॉग को "Follow "  करें जिससे हर नई जानकारी आप तक सहजता से पहुच सके. "Follow " करने के लिए ब्लॉग के दाहिने हिस्से में "Follow " पर क्लिक करें.

शहरवाली शब्दों का वाक्य प्रयोग: मुर्शिदाबाद की बोली भाग १
 
शहरवाली शब्दकोश (शब्दावली) Murshidabad डिक्तिओनर्य

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(N.B. Jyoti Kothari is proprietor of Vardhaman Gems, Jaipur, representing Centuries Old Tradition of Excellence in Gems and Jewelry , and  adviser  Vardhaman  Infotech. He is a Non-resident Azimganjite.)



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Tuesday, January 31, 2012

शहरवाली शब्दों का वाक्य प्रयोग: मुर्शिदाबाद की बोली


शहरवाली शब्दों का वाक्य प्रयोग: मुर्शिदाबाद की बोली के कुछ उदाहरण   पास में उसके हिंदी अर्थ भी दिए गए हैं.

हम हिंयां से चट्टी पहन के इ पार से ऊ पार नउके में चप के जाङ. : मैं यहाँ से चप्पल पहन कर इस पार से उस पार जाऊंगा.

हूँआँ नमके हम कलाई का कचौड़ी खाङ.: वहां उतर कर मैं उड़द की कचौड़ी खाऊंगा.

नउके में सुतने का भी है.: नाव में सोने की व्यवस्था भी है.

बाईजी ड्योंठा बनाईस है ऊ बँटे में है.: मिश्रानी ने मठरी बनाई है, वो कटोरदान में है.

बीबीजी सपरिआम, कौंला और बोड़ का राड़ी लामङि.: ननद अमरुद, संतरा, और बेर की राईड़ी लायेंगी.
 
एक ठो खाने का खालो.: एक मिठाई खा लो.

आज कद्दू बूट के दाल का तरकारी बनेगा.: आज घिया चने के दाल की सब्जी बनेगी.

करछुल से निकालोगे की चीमचे से?: करछी  से निकालोगे या चम्मच से?

छाते के खिचड़ी में अम्बल पानी का क्या काम है?:  कमल गट्टे की खिचड़ी में इमली की चटनी क्या जरुरत है?

जीमन होगा तो नाली और गमला  लगेगा.: जीमन होने पर पानी की झारी और तसले की जरुरत पड़ेगी.

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शहरवाली शब्दकोश (शब्दावली) Murshidabad Dictionary


 शहरवाली समाज की अपनी अलग ही बोली थी. यह बोली बड़ी मीठी लगती है. यह बोली हिंदी, मारवाड़ी, उर्दू, बंगाली एवं अंग्रेजी भाषा का मिलाजुला रूप है. इसमें कहीं हिंदी का शब्द व बंगाली का व्याकरण है तो कहीं उर्दू शब्दों को हिंदी के व्याकरण में डाला गया है. कहीं कहीं इस बोली ने अपने आपको अपने ही अंदाज़ में विकसित किया है.  शहरवाली समाज को ठीक तरह से जानने के लिए इसकी बोली को जानना जरुरी है. यहाँ पर कुछ शहरवाली बोली के शब्द हिंदी अर्थ के साथ दिया जा रहा है. 

Murshidabad Dictionary
शब्दकोश (शब्दावली) 
इ पार : इस पार 
ऊ पार: उस पार 
चपना : चढ़ना 
नमना :  उतरना
जाङ : जायेंगे, जाउंगा
आमङ : आऊंगा, आयेंगे
खाङ: खाऊंगा
सुतना: सोना
बिलायती मिटटी: सीमेंट
हम    : मैं
हमलोग : हम 
नउका : नाव 
खाने का : मिठाई, नमकीन 
ड्योंठा: मठरी 
कलाई : उड़द 
हूँआँ : वहां 
हिंयां : यहाँ
चट्टी : चप्पल
बूट : चना
कद्दू: घिया
बंटा: कटोरदान
गमला: तसला
नाली: पानी की झारी
सपरिआम: अमरुद
कौंला : संतरा
बोड़: बेर
शरीफा: सीताफल
तरकारी: सब्जी
बीबीजी: ननद
बाईजी:  मिश्रानी
करछुल: करछी
चिमचा: चम्मच


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शहरवाली समाज के हिंदी वेब पन्नों की सूचि

 

शहरवाली समाज के हिंदी वेब पन्नों की सूचि  

मैंने इस ब्लॉग में अंग्रेजी एवं हिंदी दोनों भाषाओँ का प्रयोग किया है. कुछ लोग हिंदी पढना पसंद करते हैं तो कुछ लोग अंग्रेजी. कुछ वातें हिंदी में ही लिखना सुविधाजनक भी होता है जैसे रीति रिवाज़ से संवंधित बातें. कुछ चीजें हिंदी में ही लिखी जा सकती है जैसे पहेलियां. इन वातों को ध्यान में रखते हुए एवं अलग अलग भाषा के पाठकों को देखते हुए हिंदी एवं अंग्रेजी दोनो भाषाओँ का प्रयोग किया गया है. 

 

दोनों ही प्रकार के पाठकों को ध्यान में रखते हुए इस ब्लॉग को लिखा जाता रहा है. जो लोग हिंदी पढना पसंद करते हैं उनलोगों के सुविधार्थ यहां हिंदी वेब पन्नों की सूचि दी जा रही है. मुर्शिदाबाद एवं शहरवाली समाज को जानने के लिए ये पन्ने उपयोगी हो सकते हैं. कृपया निचे दिए गए लिंक्स पर क्लीक करें. 

 

मुर्शिदाबाद में आम की किस्में

 

शहरवाली समाज में आम खाने की कला

 

अजीमगंज जियागंज में नीमस, पीठा और मेवा सलोनी खिचड़ी खाने का मौसम

 

मुर्शिदाबाद की विरासत बचाने का प्रयास: मुर्शिदाबाद हेरिटेज डेवलपमेंट सोसायटी

 

अजय बोथरा एवं रविन्द्र श्रीमाल तुलापट्टी, पंचायती मंदिर कोलकाता के लिए निर्वाचित

 

अजीमगंज श्री नेमी नाथ स्वामी स्तवन

 

अजीमगंज दादाबाडी में खात मुहूर्त व शिलान्यास भाग 2

 

अजीमगंज दादाबाडी में खात मुहूर्त व शिलान्यास भाग १

 

अजीमगंज दादाबाडी में भैरव जी का उत्थापन

 








कुछ रीति रिवाज़: जापा और जनम 
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Monday, January 30, 2012

रीति रिवाज़: मृत्यु एवं शोक


मृत्यु एवं शोक जीवन की एक अभिन्न प्रक्रिया है जिसे कोई नहीं चाहता परन्तु यह अवश्यम्भावी है. मुर्शिदाबाद के शहरवाली समाज में मृत्यु एवं शोक के  अपने  रीति रिवाज़ हैं. 

किसी व्यक्ति की मृत्यु होने पर पहले उसे स्नान करवा कर अर्थी में उसी प्रकार ले जाया जाता है जैसे अन्य सभी स्थानों पर.  स्मशान में मृत देह को जलने के तत्काल बाद उसे ठंडा कर दिय्स जाता है एवं अश्थी व अवशेषों को वही गंगा में प्रवाहित किया जाता है. मृत्यु के बाद जहाँ मृत देहको लेटाया गया था वहां सर के स्थान पर आटे से गोला बनाया जाता है एवं उस पर थाली ढक कर वहां दीपक जला दिया जाता है. बाद में थाली उठा कर आटे पर बना निशान देखा जाता है. ऐसा मन जाता है की आटे पर बना निशाण अगली गति की सुचना देता है. 
मृत्यु के तीसरे दिन उठावना होता है. उठावने में पहले सब लोग घर पर इकठ्ठा होते हैं उसके बाद सब मिलकर मंदिर व पौशाल जाते हैं. वहां पर यति जी या कोई श्रावक शांति का पाठ करते हैं. फिर सब लोग घर लौट आटे हैं. 

पांचवें या सातवें दिन ठंडा बार देख कर न्हावन  किया जाता है. उसमे घर के सब लोग नाख़ून, बाल बगैरह कटवाते हैं, घर की पूरी धुलाई होती है एवं नहा कर सब मंदिर जाते हैं.

१२ दिन तक शोक रखा जाता है एवं समाज के लोग बैठने आत़े हैं. शोक के समय घर वाले सर पर पल्ला लेते हैं. औरतें गुलाबी साड़ी पहनती है. बैठने आने वाली समाज की औरतें भी गुलाबी साड़ी पहन कर आती है. 

शोक निवारण के लिए पगड़ी बदलाई व वेश पलटाई होती है. लड़के के सुसराल वाले पगड़ी व वेश बदलवाते हैं. १३ वें दिन मंदिर में बारह व्रत की पूजा पढ़ाई जाती है.  आम तौर पर मृयु भोज नहीं होता है एवं शोक के समय किसी प्रकार का लें दें भी नहीं होता. यह शहरवाली समाज की एक बहुत अच्छी प्रथा है.

शोक के बारह दिन तक समाज के सब घरों से खाना भेजा जाता है और घर के एवेम बहार से आने वाले लोग वही खाते हैं. पहले तो १२ दिन तक घर में चूल्हा भी नहीं जलता था. मृत्यु के समय जहाँ अन्य सभी स्थानों व समाजों में मरनेवाले के ऊपर सब को खिलाने पिलाने व दें लें का बोझ पड़ता है वहीँ शहरवाली समाज में समाज के लोग उस परिवार के खाने पीने का इंतजाम करते हैं. ये एक बहुत ही अच्छी प्रथा है एवं इसका अनुकरण अन्य समाजों द्वारा भी किया जाना चाहिए.



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Useful and informative comments reproduced


People are interacting through this blog and I am glad viewing these comments.  Some comments carry useful information and I am posting these comments here so that readers can know more about Shaharwali society. I will be obliged if you provide some information about Shaharwali society of Azimganj, Jiaganj and Murshidabad.
Your contribution will help growing this blog. Thanks.

View some useful comments:

1.  Hi, I must congratulate you personally for this initiative. Nice to visit this site and feel the pulse of Jiagung. I am Prabir Dugar, son of Late Shri Benoy Chandji Dugar from the family of Hira Chandji Dugar, renowned Artist. My Babaji was Late Shri Indra Dugar. I am married to Suchita, d/o Shri Sajan Singhji Nahar. My sister in law Rita Parson married to Dr Narendra Parson is residing at LA. We live in Mumbai and my youngest Sister in law is also at Thane, Mumbai.

we have three daughters Tulika (married to Siddharth Bothra, Director Finance with T Mobile, of Gauhati with a son Rahul age 8 and daughter Rymah age 8 months)settled at Seatlle. Aloka/Sarika (married to Nilesh Parson working as a Principal with Microsoft and with a son Aatish age 8). The youngest Preetika is married to Comander Rohit Dalaya (Pilot with Air India). I am excited to be in touch with our Shaharwalis and keep the rich culture and finesse alive.


Prabir Dugar

2.  Hi Jyoti Bhai,

great to see this site blog here.You have been spear heading the documentation of this Jain clan from West Bengal very nicely.

I wish to add here the details of whatever I know.
Bhandia family in Kolkata is a well known Johri Saath group who have been renowned for their Jewellery and Gem Stone business.

My Grandfather Late Sri Puran Chandji Bhandia ( Johri ) Married as his second wife Smt. Suhag Sundari from the Kothari Family of Guahati who belonged to the Jiyaganj Azimganj Clan of Jains. I am the last grandson of her last son Late Shri.Kiron Singhji Bhandia residing in Coimbatore in Tamil Nadu associated in Jewellery and Textile Business. My Elder Brother Naresh Bhandia lives in Bangalore associated in manufacturing of PP Woven Sacs required in the cement industry. I will be glad to know more and even contribute to the efforts you are taking. Please feel free to get in touch. I have a Family histry Tree for our family contributing data of 13 generations. I will be happy to put in inputs in it if you have any.
thanks and regards

Dinesh Kumar Bhandia

3.  Wow! This is awesome. I am settled in the USA, Tulika Dugar daughter of Pravir Dugar/Suchita Dugar and grand daughter of Late Shri Benoy Dugar and Suhag Dugar. This is a pleasure to connect with people from our heritage. Brings back some fresh memories even though long long time ago. My husband Siddharth and I are trying our best to keep our sheherwali culture alive by talking in the Azimganj-Jiaganj dialect. We love it and our children also love it.

This is awesome. My email is tulika.dugar@gmail.com. I look forward to hearing back from you and so happy we can do this.

Thank you once again!
 Tulika Dugar

With regards,
Jyoti Kothari (N.B. Jyoti Kothari is proprietor of Vardhaman Gems, Jaipur, representing Centuries Old Tradition of Excellence in Gems and Jewelry. He is a Non-resident Azimganjite.)

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Building backlinks to make money online, Earn money creating backlinks


Building backlinks

Back links and building backlinks are the talk of the town since few years. Every Tom, Dick and Harry is talking about these. Why so much noise for these terms? Because these are the essential tools to get traffic and make money online as internet is a big business today. People starts building it just after registering a domain name. Creating backlinks is easy. Create backlinks to your website to earn money online.
Google, Yahoo and Microsoft are big players in Internet business. They have large numbers of links to their sites which drive lot of traffic to these sites. Google have some 225 millions back links to their site where as Yahoo and MSN have approximately 90 and 25 million respectively. These help these sites to make money online in internet business.

You have to build backlinks to make money online, The internet marketers make it a compulsion to generate incoming links for your web site or web page to get traffic. You can not make money on the net without tons of traffic. More the traffic, more the chances to have a click on advertise or an affiliate marketing device. It is very difficult to get online traffic without sufficient back links and to get those to your web sites or web pages you need building backlinks.
This is one of the most important way of search engine optimization (SEO). SEO or Search Engine Optimization is a technique used for the purpose of optimizing your page for the search engines. SEO techniques influence positively your search engine rankings. This is an artificial way to rank higher in SERPs.

Though content is the king and search engines are continually improving their algorithm to find the best content for your search terms, backlinks are still important. Very important! These are the keywords to make money online.

Now the question arises how many quality backlinks do you need,and where from do you get these magical power.

Magical number of backlinks

 Making money online is not an easy job as claimed by many. You have to face tough competitions to in your way. It is as hard as making money in real life business. Creating a web page was never so easy as today. Plenty of online tools are available which creates a web site or a web page for you. This has brought huge competition in online marketing.

Before getting the magical number required for your website you have to know competition and your competitors. You have to build more backlinks than your competitors to get traffic to your site to make money online.

For an example, say, you are writing about America and targeting the keyword "America" and want to get your page in the first page of Google SERP. There are ten results in every page. You have to be indexed at least for the tenth position for the keyword "America" if you want to be in the first page of Google search. This is how you can get huge traffic to make money online.

Let us take an example. Say your competitor, the tenth one in the Google search has ten thousand links. Now you have to build few more backlinks than those ten thousand to beat him in the competition for the keyword "America". If you succeed in building backlinks more than him, you probably indexed in the first page of Google search. You have to go on building backlinks to rank higher in the Google search pages. The same is true for Yahoo, MSN or any other search engines.

Remember, here we are talking of the numbers of backlinks and not of the quality of backlinks. However, quality does matter  as in other fields.

However, you have to act on some other things to make money online.

Quality of backlinks

As I have stated above not only the quantity but also the quality of backlinks do matter in case of building backlinks. High quality backlinks are given more weight than low quality backlinks. Hence, you have to be careful while building backlinks for your site to make money online.

What quality backlinks mean?

Quality of backlinks is decided mainly with two factors. Page rank of a site back linking and relevancy of the site with your keyword or keywords. Page rank is directly proportional to the quality of back links. A backlink from a pagerank 7 or 8 site is worth more than dozens of backlinks from sites with 0 or 1 pagerank. In general, higher the page rank higher the quality of backlinks.

The other factor for the quality of backlinks is relevancy. Backlinks from a relevant site are worth more than backlinks from irrelevant sites. Hence quality of backlinks are again directly proportional to relevancy of the sites you are backlinking to.

Therefore, Check the relevancy and page rank of a site before building backlinks. If you are able to build quality backlinks with relevant and higher page rank sites than your competitors then you will be succeed in getting indexed higher than them (if other factors are similar) and chances are there that you will be getting more traffic. This is the keyword for making money online.

Start making money online. Sign up hubpages.

How to get backlinks

There are different types and ways to get backlinks. There are Do follow and No follow backlinks. No follow backlinks sends traffic to your web site or web page but search engine do not use these links to rank your site or page. Do follow links send traffic to your page as well as search engine use these links to rank your page in SERPs.

You can get organic backlinks, free backlinks, reciprocal links or paid backlinks. When one finds your web site or  web page useful or relevant to their sites they create a backlink to yours. This happens automatically without any efforts from your side. These are called organic backlinks and sends organic traffic to your web site or web page. Some times people bookmark your web site or web page  in bookmarking sites or social networking sites too which provides you with backlinks. These are free back links obviously.

You can also create free backlinks by linking your site or page to your own blogs and sites. Some social bookmarking sites allow you to create your own links. You cam submit your web page or web site to various internet directories to get free backlinks. Commenting on others blogs and participating in forums are other ways to get free back links. You can also get backlinks through News, Images and videos. RSS is also a good way to get free backlinks.

One way links and reciprocal links:

Above mentioned are examples of one way links. Some sites ask you to create a reciprocal link against which they generate a backlink to your web site or web page. These links are called reciprocal backlinks. Reciprocal links have lesser value than one way back links.

Paid backlinks are different than free backlinks. Some sites ask money to backlink you. These are paid backlinks.

Vardhaman Infotech 
A leading IT company in Jaipur 
Rajasthan, India
E-mail: info@vardhamaninfotech.com
www.vardhamaninfotech.com/

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Neeraj Bothra married to Neetu Daftari

 
Neeraj Bothra, son of Sri Jyoti Singh and Urmila Bothra is married to Neetu D/O Sri Anil Daftari, Gwalior. Marriage took place at Dadabadi, Seth ka bagh in Agra, the Taj city on January 28, 2012. Large numbers of family members from various places, e.g. Jaipur, Kolkata, Raipur, Ahmadabad, Delhi,  Lucknow,  Bangkok etc attended the marriage ceremony.  
Ring ceremony and Sangeet evening was organized on 27th, previous night. Marriage ceremony was followed by auspicious Dadaguru Pooja on the next morning at Jin Kushal Suri Dadabadi, Agra.

Neeraj Bothra is my nephew. 

Thanks,
Jyoti Kothari (Jyoti Kothari, Proprietor, Vardhaman Gems, Jaipur represents Centuries Old Tradition of Excellence in Gems and Jewelry. He is adviser, Vardhaman Infotech, a leading IT company in Jaipur. He is also ISO 9000 professional)

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