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Saturday, November 26, 2016

नोटबंदी से जमीन जायदादों की कीमत और कम होगी


सरकार के नोटबंदी के फैसले से जमीन जायदादों की कीमत और कम होगी एवं लोगों की पहुच में आएगी। बेतहाशा भ्रष्टाचार, जमाखोरी एवं कालेधन के प्रभाव से पिछले बीस वर्षों में जमीन जायदादों की कीमते आसमान छू रही थी और यह आम उपभोक्ता के पहुच के बाहर हो गई थी. वर्त्तमान सरकार के प्रयासों के कारण विगत दो वर्षों में भ्रष्टाचार और कालेधन की मात्रा में कमी आई और जमीन जायदादों की कीमते कम होने लगी. नोटबंदी के फैसले से इस की कीमत और कम होगी एवं लोगों की पहुच में आएगी। 



कालेधन को खपाने का सबसे बड़ा जरिया जमीन जायदाद है जिसमे बहोत बड़े पैमाने पर कालेधन का इस्तेमाल होता है. भ्रष्ट राजनेताओं, सरकारी अधिकारियों, तस्करों एवं करचोरी करने वाले अक्सर अपना कालाधन या तो इमे लगते हैं या फिर सोने में निवेश करते हैं. विगत दो-तीन दशकों में इनकी कीमतों में बड़ा उछाल आया और कीमतें आसमान छूने लगी. 

नोटबंदी के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बेनामी संपत्ति की जांच के ऐलान के बाद ऐसे लोगों में हड़कंप है और जानकारों के मुताबिक जमीन की कीमतों में ३० से ४० प्रतिशत के गिरावट की सम्भावना है. इतनी कमी होने पर यह आम लोगों की पहुच में आ जायेगा। साथ ही करचोरों की रकम (संपत्ति) में भी ३० से ४० प्रतिशत की कमी हो जायेगी। जरा सोचिये, यदि वो कर चोरी नहीं करते और ईमानदारी से टैक्स चुकाते तो भी इन्हें अधिकतम ३० प्रतिशत ही कर देना पड़ता!! तो फिर कर चोरी करने से क्या फायदा हुआ? ऊपर से कानूनी कार्यवाही का दर भी इन्हें सता रहा है. 

केंद्र सरकार ने प्रधानमंत्री आवास योजना का शुभारम्भ भी कर दिया है और जमीन सस्ती होने से सरकार कम मूल्य पर इन्हें गरीबों और जरूरतमंदों को दे सकेगी। माध्यम एवं उच्च मध्यवर्ग के जिन लोगों ने अभी तक अपना फ्लैट या मकान नहीं खरीद है वे अब खरीद सकेंगे। बैंकों में ब्याज दर काम होने की पूरी सम्भावना है और इससे मकान पर लिए गए क़र्ज़ की किस्तें भी कम होगी। है न दोहरा फायदा! 

पिछले दो सालों से रियल एस्टेट में मंदी है जिसके कारण सीमेंट, स्टील आदि उद्योग भी मंदी का सामना कर रहे हैं. प्रधानमंत्री आवास योजना के मकानों के निर्माण से ये क्षेत्र भी मंदी से उबर सकेंगे। इस क्षेत्र के उभरने से जहाँ अर्थनीति को फायदा होगा वहीँ विनिर्माण क्षेत्र की तेजी से इस क्षेत्र में रोजगार के व्यापक अवसर भी उपलब्ध होंगे। साथ ही सरकारी खजाने में ज्यादा मात्रा में धन आने से बहुत सी रुकी हुई परियोजनाएं भी फिर से शुरू हो सकेगी एवं नए जनहितकारी कार्य भी प्रारम्भ हो सकेंगे। 

नोटबंदी के तुरंत बाद से ही मैंने इस विषय पर लिखना शुरू किया था और अब तक इस विषय में पांच ब्लॉग लिख चूका हूँ. कृपया इन लेखों को पढ़ें, अपने मित्रों से शेयर करें एवं अपने सुझावों से हमें अवगत कराएं। 

५००, १००० के नोट बंद होने का भारत की अर्थनीति पे असर

जाली नोट होंगे बाहर, घटेगा कालाधन: नोट बंद होने का असर



Jyoti Kothari (Jyoti Kothari, Proprietor, Vardhaman Gems, Jaipur represents Centuries Old Tradition of Excellence in Gems and Jewelry. He is adviser, Vardhaman Infotech, a leading IT company in Jaipur. He is also ISO 9000 professional)

#नोटबंदी से #जमीन #जायदाद की #कीमत और कम होगी

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Friday, November 25, 2016

नोटबंदी से घटेगी मुद्रास्फीति और महंगाई


नोटबंदी के प्रभाव से घटेगी मुद्रास्फीति और महंगाई, यह बात अब स्पष्ट रूप से दिखने लगी है. इस समय करीब १४ लाख करोड़ रुपये के ५०० व १००० के नोट बाज़ार में प्रचलित हैं, यह रकम छोटी करेंसी के २ लाख करोड़ के अतिरिक्त है. अनुमान है की नोटबंदी के बाद पांच सौ  व एक हज़ार के नोटों की संख्या में कमी आएगी और यह १४ लाख करोड़ रुपये के स्थान पर १ से ३ लाख करोड़ घटकर ११ से १३ लाख करोड़ के बीच रह जाएगा। साथ ही जाली नोट भी प्रचलन से बाहर हो जाएंगे जिससे मुद्रास्फीति में भरी गिरावट होगी।




मुद्रास्फीति में कमी और कालेधन का प्रभाव घटने का महंगाई पर बड़ा असर होगा। स्वाभाविक रूप से कालाधन फ़िज़ूलख़र्ची को भी बढ़ावा देता है. कालेधन का प्रभाव कम होने से फ़िज़ूलख़र्ची घटेगी। इन सब कारणों से बाज़ार में आपूर्ति की तुलना में मांग कम होगी और महंगाई घटेगी।  महंगाई इस देश की बड़ी समस्या है और इससे आम आदमी ज्यादा पीड़ित है, इस पर अंकुश लगना देश की आम जनता के लिए बहुत बड़ी राहत देनेवाला होगा।

एक बार बैंक में रूपया आ जाने पर वह आयकर के दायरे में आ जाएगा, ऐसी स्थिति में उस पर कर देना लगभग अनिवार्य हो जाएगा और खर्च के लिए निकले गए रकम भी हिसाब किताब में आ जाएंगे। ऐसी स्थिति में उसे खर्च करते समय थोड़ा सोचना पड़ेगा, (इससे आडम्बरपूर्ण शादी, एवं अन्य सामाजिक खर्चों और दिखावों में भी कमी आएगी), कालेधन की तरह उसे मन मर्ज़ी से खर्च नहीं किया जा सकेगा। इससे बचत की आदत भी बढ़ेगी और सामग्रिक रूप से यह फ़िज़ूलख़र्ची पर रोक लगाकर महंगाई को कम करने में सहायक होगा।

मैंने नोटबंदी के तुरंत बाद ही ९ नबम्बर को एक लेख लिखा था ५००, १००० के नोट बंद होने का भारत की अर्थनीति पे असर जिसमे नोटबंदी से होनेवाले प्रभावों का संक्षिप्त विवरण लिखा था एवं वादा किया था की उन सभी प्रभावों पर क्रमशः विस्तार से चर्चा करूँगा। उस कड़ी में यह तीसरा लेख है. आप से आग्रह है की इन सभी लेखों को पढ़ें, अपने विचार कमेंट्स में लिखें एवं इन लेखों को शेयर भी करें, जिससे ज्यादा से ज्यादा लोगों को जानकारी मिल सके. आप सबके सहयोग से देश विकास के पथ पर आगे बढ़ेगा।


जाली नोट होंगे बाहर, घटेगा कालाधन: नोट बंद होने का असर



Thanks,
Jyoti Kothari
 (Jyoti Kothari, Proprietor, Vardhaman Gems, Jaipur represents Centuries Old Tradition of Excellence in Gems and Jewelry. He is adviser, Vardhaman Infotech, a leading IT company in Jaipur. He is also ISO 9000 professional)
#नोटबंदी के प्रभाव से घटेगी #मुद्रास्फीति और #महंगाई #कालाधन #पाँचसौ #हजार #नोट


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Saturday, November 12, 2016

नोट बंद होने का असर: जनधन व अन्य बैंक खातों में बढ़ेगा लेनदेन


५०० व १००० के नोट बंद होने का व्यापक असर होगा और जनधन व अन्य बैंक खातों में लेनदेन बढ़ेगा। २०१४ तक भारत की बहुत ही कम जनसंख्या बैंकों के माध्यम से लेनदेन करती थी परंतु मोदी सरकार ने जनधन खातों के माध्यम से लगभग २२ करोड़ नये लोगों को बैंकों से जोड़ दिया। परंतु वर्षों पुराणी आदत के कारण उनमे से अधिकांश लोग इन खातों से लेनदेन नहीं करते हैं. अब उनमे से अधिकांश अपने खातों का परिचालन करेंगे व नए खाते भी खुलेंगे जिससे बैंकिंग व्यवस्था को बड़ा लाभ होगा। 



भारत में वास्तु विनिमय अधिकतर नगद रुपये के माध्यम से होता है और बैंकों के माध्यम से बहुत कम. खासकर असंगठित क्षेत्र के व्यापारी एवं सामान्य जनता नगदी से ही अपना काम चलती आ रही है. शहरी क्षेत्रों में फिर भी लोग बैंकों के माध्यम से लेनदेन करते हैं परंतु ग्रामीण भारत में ऐसे लोगों की संख्या नगण्य है. वहां तो केवल सरकारी तंत्र से जुड़े हुए लोग ही बैंकों का उपयोग करते हैं. 

५०० व १००० के नोट बंद होने से इनमे से काफी लोगों को बैंक के माध्यम से अपने पुराने नोट बदलवाने होंगे व धीरे धीरे इस रकम को अपने खाते से निकलवाना होगा जिससे उन्हें बैंकिंग प्रणाली के उपयोग की आदत पड़ेगी। जिन लोगों ने अभी तक अपने बैंक खाते नहीं खुलवाए हैं वे भी अब बैंकों के माध्यम से काम करने लगेंगे. कल वित्तमंत्री अरुण जेली ने कहा की जो ग्रामीण लोग अब तक अपने रुपये नगद के रूप में घर के अंदर असुरक्षित तरीके से रखते थे, वे भी अब अपना धन बैंकों में सुरक्षीत ताख सकेंगे और इसमें उन्हें ब्याज भी मिलेगा। इससे बैंकों के पास अधिक जमा राशि आएगी। 

जब ज्यादा लोग बैंकिंग प्रणाली का उपयोग करेंगे तो स्वाभाविक रूप से बैंकों का कारोबार बढ़ेगा एवं बैंकों की अधिक शाखाएं भी खुलेंगी। इससे बैंकों का मुनाफा भी बढ़ेगा और बैंकिंग क्षेत्र में रोजगार भी. सामान्य जनता एवं असंगठित क्षेत्र के व्यापारी भी बैंकों का अधिक उपयोग करने लगेंगे तो यह कैशलेस इकोनॉमी की तरफ एक बड़ा कदम होगा। अंततोगत्वा इससे कालेधन पर जबरदस्त अंकुश लगेगा। 

५००, १००० के नोट बंद होने का भारत की अर्थनीति पे असर


Thanks,
Jyoti Kothari (Jyoti Kothari, Proprietor, Vardhaman Gems, Jaipur represents Centuries Old Tradition of Excellence in Gems and Jewelry. He is adviser, Vardhaman Infotech, a leading IT company in Jaipur. He is also ISO 9000 professional)

#नोटबंद होने का #असर: #जनधन व अन्य #बैंक #खातों में बढ़ेगा #लेनदेन

चित्र सौजन्य: By Chris Conway, Hilleary Osheroff (Flickr: Hilleary's favorite bank) [CC BY-SA 2.0 (http://creativecommons.org/licenses/by-sa/2.0)], via Wikimedia Commons

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Friday, November 11, 2016

जाली नोट होंगे बाहर, घटेगा कालाधन: नोट बंद होने का असर


पांच सौ (५००) एवं हज़ार (१०००) के नोट बंद होने का भारत की अर्थनीति पे व्यापक असर होगा; जाली नोट होंगे बाहर, घटेगा कालाधन। अभी तक हज़ारों करोड़ के जाली नोट बाजार में मौजूद हैं और यह भारत की अर्थनीति में व्यापक असर डाल रहा है. इसके साथ ही यह आतंकवाद, अलगाववाद और आपराधिक गतिविधियों को भी बढ़ा रहा है. ५०० एवं १००० के नोट बंद होने से ये सभी जाली नोट भी प्रचलन से बाहर हो जायेंगे। जिन लोगों ने ऐसे जाली नोट छापे हैं या जिनके पास यह नोट है उन्हें भरी नुक्सान होगा और उनकी कमर टूट जायेगी। इससे आपराधिक गतिविधियों को काम करने में बहुत मदद मिलेगी। 


पांच सौ का बंद हुआ नोट 
सभी जानते हैं की हमारा पड़ौसी देश पाकिस्तान एवं उसके गुर्गे भारत की अर्थनीति को नुक्सान पहुचने के लिए बड़े पैमाने पर जाली नोट छाप कर भारत भेजते हैं, ISI और उसके गुर्गे इस काम को अंजाम देने में वर्षों से जुटे हुए हैं. नोट बंद होने से एक ही झटके में उनके सारे किये धरे पर पानी फिर गया है. 


पञ्च सौ एवं हज़ार के नोट बंद होने से नगदी के रूप में इकट्ठे किये हुए कालेधन को बहार निकलने में मदद मिलेगी और अर्थव्यवस्था में कालेधन का दबदवा काम होगा। इस एक काम से यह दावा नहीं किया जा सकता की कालेधन की सम्पूर्ण व्यवस्था समाप्त हो जायेगी पर इस पर अंकुश जरूर लगेगा।  कालेधन का मुख्यस्रोत जमीन-जायदाद, सोना-चांदी आदि है.  इनकी खरीद विक्री में ज्यादातर बड़े नोटों का इस्तेमाल होता है, इन बड़े नोटों के प्रचलन से बाहर होने पर इनके कारोबार पर असर पड़ेगा जिससे कालेधन की अर्थव्यवस्था सीमित हो जायेगी। एक बार सभी करेंसी बैंकों में आ जायेगी और उसपर निगरानी रखना आसान हो जाएगा।   



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Jyoti Kothari (Jyoti Kothari, Proprietor, Vardhaman Gems, Jaipur represents Centuries Old Tradition of Excellence in Gems and Jewelry. He is adviser, Vardhaman Infotech, a leading IT company in Jaipur. He is also ISO 9000 professional)

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Wednesday, November 9, 2016

५००, १००० के नोट बंद होने का भारत की अर्थनीति पे असर


५००, १००० के नोट बंद करने के सरकार के फैसले से भारत की अर्थनीति पर जबरदस्त असर होगा और इसके तात्कालिक एवं दूरगामी दोनों ही प्रकार के परिणाम होंगे। इससे कालाधन बड़े पैमाने पर बहार आएगा लेकिन अर्थनीति पर अन्य सकारात्मक प्रभाव भी होंगे और वैश्विक अर्थव्यवस्था में भारत एक सशक्त देश के रूप में उभर कर आएगा। नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में वर्त्तमान सरकार के वित्तमंत्री अरुण जेटली ने अत्यंत सुविचारित रूप से यह फैसला लिया है जिसमे वर्त्तमान में प्रचलित ५०० (पांच सौ) एवं १००० (हज़ार) के नोटों को नए ५००, १०००, एवं २००० (दो हज़ार) के नोटों से बदला जाएगा।


एक हज़ार रुपये का अप्रचलित पुराणा नोट का अग्रभाग 

एक हज़ार रुपये का अप्रचलित पुराणा नोट का पिछला भाग  

भारत की अर्थनीति एवं राजनीती में बड़े बदलाव तो आएंगे ही साथ ही यह सांस्कृतिक बदलाव को भी प्रोत्साहित करेगा और आप सबकी जानकारी के लिए मैं इस पर विस्तार से चर्चा करूँगा। सम्पूर्ण भारतीय जीवनशैली पर पड़नेवाले कुछ प्रभाव निम्नलिखित होंगे:-

१. जाली नोट (करेन्सी) पूरी तरह से प्रचलन से बाहर हो जाएंगे
२. कालाधन व्यापक पैमाने पर बाहर आ जायेगा या नष्ट हो जाएगा
३. बैंकों के पास बहुत बड़ा धन आएगा
४. बैंको में व्यापक स्तर पर नए खाते खुलेंगे एवं पुराने खातों में लेनदेन बढ़ेगा
५. जनधन योजना में खुले हुए खाते प्रचलन में आ जायेंगे
६. मुद्रास्फीति कम होगी एवं महंगाई घटेगी
७. जमीन जायदादों की कीमत और कम होगी एवं लोगों की पहुच में आएगी
८. नशीले पदार्थों एवं सट्टे के व्यापार पर बड़ा अंकुश लगेगा
९. सरकारी तंत्र में भ्रष्टाचार कम होगा
१०. व्याज दर कम होगा एवं पूंजी की उपलव्धता बढ़ेगी
११. नए उद्योग धंधे पनपेंगे एवं रोजगार बढ़ेगा
१२. किसानों को फायदा होगा
१३. फ़िज़ूल खर्ची घटेगी
१४. ईमानदार लोगों का सन्मान बढ़ेगा और बेईमानो का घटेगा
१५. राजनीती में कालेधन का प्रभाव घटने से धनवल और वाहुवल का असर भी कम होगा
१६. विदेशों में भारत की छवि और निखरेगी और देश की प्रतिष्ठा बढ़ेगी
१७. क्रेडिट रेटिंग सुधरेगी, विदेशी निवेश बढ़ेगा एवं विदेशी मुद्रा भण्डार समृद्ध होगा
१८ विदेशी क़र्ज़ पर व्याज की दरें कम होगी जिससे वहुमूल्य विदेशी मुद्रा की वचत होगी
१९. देश के उत्पादकों की प्रतिस्पर्धात्मक क्षमता में वृद्धि होगी जिससे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारतीय वस्तुओं की स्वीकार्यता बढ़ेगी
२०. भारत दुनिया के आर्थिक रूप से ताकतवर देश के रूप में उभरेगा
२१. आतंकवाद एवं अलगाववाद पर अंकुश लगेगा
२२. कैशलेस इकोनॉमी को बढ़ावा मिलेगा

पांच सौ का पुराण नोट जो अब अप्रचलित है 
आने वाले दिनों में उपरोक्त सभी विदुओं / विषयों पर विस्तार से चर्चा करूँगा जिससे भारत पर भविष्य में पड़नेवाले  असर को समझा जा सके. साथ ही कुछ नए बिंदुओं पर भी चर्चा करता रहूँगा जिसे भी पढ़ना न भूलें। आप सब का दृष्टिकोण भी महत्वपूर्ण है अतः अपने विचारों से भी अवगत कराएं जिससे यह चर्चा और भी व्यापक एवं जनहित में हो सके. कृपया अपने कमेंट जरूर करें। इस लेख को अपने परिवार जनों एवं मित्रों तक भी पहुचाएं, एवं व्हाट्सएप, फेसबुक आदि में भी अवश्य शेयर करें जिससे यह जानकारी ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुच सके.

#नोटबंदी #भारत #अर्थनीति #कालाधन #मुद्रास्फीति #महंगाई #भ्रष्टाचार #सरकारीतंत्र #जमीनजायदाद #जालीनोट

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Jyoti Kothari, Adviser, Vardhaman Infotech, a leading IT company in Jaipur. He is also ISO 9000 professional. 

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Tuesday, October 25, 2016

Curecity Inter-school competition on healthcare


"Curecity" is organizing an Inter-school competition on healthcare on November 19, 2016, between 9 AM to 1 PM at SJ Public school, Janata Colony, Jaipur . There will be an essay competition for class IX to XII on the topic "What precautions should be taken to reduce casualties in road accidents" and a poster competition for class VI to VIII on cleanliness and sanitation.

SSJV Shiksha Samiti and Vardhaman Infotech will be organizing partners. The Inter-school competition will be organized to promote awareness among the students about road safety and cleanliness.

There will be a handsome amount of prize money for the winning students and all the participants are entitled to have a certificate of participation. Schools can send their entries to the Principal, SJ Public school (Phone-0141-2613956) latest by November 12, 2016.

Curecity is a healthcare portal for providing various information about health care and to facilitate connectivity between patients and doctors. Curecity has also initiated a digital drive to support emergency services at the time of road accidents. The very initiative may save several lives.

SJ Public school is a renowned CBSE school run by SSJV Shiksha Samiti established in 1889 and Vardhaman Infotech is a leading information and communication technology company in Jaipur.

बीमारी और दुर्घटना में मदद करेगी क्योरसिटी


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Jyoti Kothari (Jyoti Kothari, Proprietor, Vardhaman Gems, Jaipur represents Centuries Old Tradition of Excellence in Gems and Jewelry. He is adviser, Vardhaman Infotech, a leading IT company in Jaipur. He is also ISO 9000 professional)

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Sunday, October 23, 2016

Indian patients have more tolerance: Dr. Anil Sharma


 "Indian patients have more tolerance than their counterparts in the EU and US",  Dr. Anil Sharma told me today during a conversation about his achievements. He added, "Developed countries have much more medical and healthcare facilities than India. Patients, there are aware, sensitive and cautious about their health. Hence, they go to a specialist for consultation in the first and second stages of ailments whereas a larger number of Indian patients visit a specialist mostly when in the third and fourth stages." 
According to him, the state of medical facilities available to the common man in India is vastly different than that of the developed nations and that has created this medico-social gap. His clinical experience reveals that a considerably large number of patients fight through and survive even in face of such under-rated conditions. The inference in his words is — 'When they can survive with such inadequate facilities and adverse conditions, they can also absorb the invasion and shock of surgery". 

Dr Anil Sharma, senior heart surgeon SMS hospital Jaipur
Dr. Anil Sharma during the conversation
Currently in limelight for his successful innovative ways of cardiovascular surgery Dr. Anil Sharma, senior Cardiovascular and Thoracic surgeon in the SMS hospital, Jaipur, has many achievements to his credit.  In a recent interview, Dr. Anil Sharma informed me that his new technique reduces the number and size of the cuts during the surgery. As a professor of  Cardiovascular and Thoracic surgery in the SMS medical college, Jaipur, he is teaching this new technique to his students as well
Dr. Sharma informs that, while teaching, he informs his students about the much higher endurance level of Indian patients as compared with that of European and American patients. He added that though no systematic research has been conducted on the topic, he can claim this to be a fact based on his wide clinical experience. As such, he also advises his students (prospective heart surgeons) that medical research conducted in developed countries can be of help only if and when carefully and critically viewed in the Indian context. 



Interview with Dr. Anil Sharma, the Cardiothoracic surgeon-Video

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Jyoti Kothari (Jyoti Kothari, Proprietor, Vardhaman Gems, Jaipur represents Centuries Old Tradition of Excellence in Gems and Jewelry. He is adviser, Vardhaman Infotech, a leading IT company in Jaipur. He is also ISO 9000 professional)

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Monday, October 10, 2016

सक्षम- कोर्निया अंधत्व मुक्त भारत अभियान


सक्षम- कोर्निया अंधत्व मुक्त भारत अभियान 


राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) ने अपने सेवा प्रकल्प के माध्यम से एक नया कार्यक्रम "सक्षम" प्रारम्भ किया है जिसका उद्देश्य है कोर्निया अंधत्व मुक्त भारत। इसी वर्ष ५ मार्च, २०१६ को दिल्ली में इस कार्यक्रम के शुरुआत की घोषणा की गई और देश के ८ जिलों में पाइलट प्रोजेक्ट के रूप में इसे शुरू किया गया है जिसमे राजस्थान की राजधानी गुलाबी नगरी जयपुर भी एक है.

सक्षम- कोर्निया अंधत्व मुक्त भारत अभियान 

अभी हाल ही में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के सेवा प्रकल्प के प्रमुख एवं प्रचारक माननीय श्री गुणवंत जी कोठारी जयपुर पधारे थे एवं उन्होंने इस प्रकल्प की जानकारी देते हुए इसमें जुड़ने का आग्रह किया। इसके कुछ ही दिनों के बाद सक्षम के प्रमुख एवं प्रचारक माननीय डॉक्टर सुकुमार जी जयपुर पधारे एवं उनसे इस सम्वन्ध में विस्तृत चर्चा हुई.

भारत में लगभग १.५० करोड़ लोग दृष्टि वाधित हैं और उनमे से लगभग २५ प्रतिशत कोर्निया जनित अंधत्व से पीड़ित हैं. यदि उपयुक्त संख्या में नेत्र मिल जाए तो उन्हें सामान्य शल्यक्रिया के द्वारा स्वस्थ्य किया जा सकता है और उनके आँखों की रौशनी वापस आ सकती है. इसके लिए मरणोपरांत नेत्रदान को प्रोत्साहित करना आवश्यक है।

एक अनुमान के अनुसार इस समय भारत में लगभग ४० लाख लोग कोर्निया अन्धत्व से पीड़ित हैं और उन्हें आँखों की जरुरत है परंतु दुर्भाग्य से भारत में साल में मात्र २५००० आँखें ही दान में आती है. इस कमी को पूरा करने के लिए व्यापक जनजागृति की आवश्यकता है साथ ही कोर्निया अन्धत्व से पीड़ित लोगों की जांच कर उनका डाटाबेस बनाना भी जरुरी है. इसके लिए व्यापक संगठन एवं कठिन परिश्रम की जरुरत है.

गौरतलब है की मारने के बाद आँखें दान में देने से उस व्यक्ति या परिवार को कोई हानि नहीं होती एवं दो आँखों से दो व्यक्ति को रौशनी मिल सकती है. इससे अच्छा दान और पुण्य कार्य क्या हो सकता है? अतः आप सभी से निवेदन है की इस पुनीत काम में आगे आएं और अधिक सेअधिक लोगों को प्रोत्साहित कर इस पुण्य कार्य में भागीदार बनें.

बीमारी और दुर्घटना में मदद करेगी क्योरसिटी


#RSS #राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ #सक्षम #कोर्नियाअंधत्वमुक्तभारतअभियान

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Jyoti Kothari (Jyoti Kothari, Proprietor, Vardhaman Gems, Jaipur represents Centuries Old Tradition of Excellence in Gems and Jewelry. He is adviser, Vardhaman Infotech, a leading IT company in Jaipur. He is also ISO 9000 professional)

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Monday, October 3, 2016

बीमारी और दुर्घटना में मदद करेगी क्योरसिटी


curecity digital platform to search doctors
क्योरसिटी
इस आधुनिक युग में परिवर्तित जीवनशैली के कारण बीमारियां बढ़ रही है और उनका स्वरुप भी बदल रहा है. साथ ही निदान एवं उपचार के भी नये नये साधन विकसित हो रहे हैं. लेकिन इन सबकी जानकारी इकट्ठी करना एक कठिन काम है. खास कर किसी भी बीमारी की स्थिति में सही डाक्टर का चुनाव करना किसी चुनौती से कम नहीं है. इस समस्या के समाधान के लिए एक डिजिटल प्लेटफार्म उपलव्ध है जो आपको किसी भी बीमारी की स्थिति में सही डॉक्टर के चयन में मदद करती है. इसमें डॉक्टरों से संवंधित अनेक जानकारियां दी गई है जैसे डॉक्टर का नाम, क्लीनिक का पता, विशेषज्ञता आदि.

"क्योरसिटी" नाम के इस डिजिटल प्लेटफार्म में डॉक्टरों के अलावा चिकित्सा से संवंधित अन्य अनेक जानकारियां भी है जैसे, अस्पताल, नर्सिंग होम, निदान केंद्र, एम्बुलेंस सुविधा, दावा की दुकाने आदि. कुल मिला कर इंटरनेट के इस युग में क्योरसिटी वो सभी जानकारियां प्रदान करती है जीसकी किसी बीमारी के समय किसी व्यक्ति को जरुरत पड़ती है.

 हम सभी जानते हैं की भारत में सड़क दुर्घटनाओं की एवं उन दुर्घटनाओं में मरनेवालों की संख्या विश्व में सर्वाधिक है. सड़क दुर्घटनाओं में करीब आधे लोग केवल इस लिए मर जाते हैं क्योंकि उन्हें वक्त पर चिकित्सकीय सुविधाएँ उपलध नहीं हो पाती है. समय पर सुचना एवं इलाज से ऐसे लाखों लोगों की जान बचाई जा सकती है. "क्योरसिटी" इस दिशा में अब एक बहुत ही महत्वपूर्ण काम कर रही है.

हर उच्च मार्ग (Highway) के नजदीकी अस्पतालों की एक सूचि बनाई जा रही है और उसे QR कोड के जरिये क्योरसिटी डिजिटल प्लेटफार्म से जोड़ा जा रहा है. इसी तरह का एक QR कोड गैयों में भी लगवाया जा रहा है जिसमे संभावित दुर्घटना की स्थिति में स्वचालित तरीके से सूचनाओं का त्वरित आदान प्रदान किया जा सके. इससे दुर्घटना ग्रस्त व्यक्ति की सही जानकारी तत्काल निकटवर्ती अस्पतालों को पहुच जाएगी जिससे वे इलाज का समुचित प्रवंध कर सकें. साथ ही दुर्घटना ग्रस्त व्यक्ति के परिजनों को भी इसकी सुचना तत्काल मिल जाएगी जिससे वे भी सहायता हेतु तत्काल वहां पहुच सकें। इस ऐप में मानचित्र भी होगा जिससे दुर्घटना स्थल की भी सही जानकारी मिल सकेगी।

अभी पायलट प्रोजेक्ट के रूप में दिल्ली- उदयपुर राजमार्ग को चुना गया है और भविष्य में अन्य राजमार्गों तक इसका विस्तार किया जायेगा।

जयपुर के बहुचर्चित सड़क दुर्घटना में दोषी कौन?


          Dainik Bhaskar, Page 5, October 7, App developed by Darshan Kothari, Vardhaman Infotech
क्योरसिटी, दैनिक भास्कर, ७ अकटूबर 
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Tuesday, July 12, 2016

कहानी- जिम्मेदार बच्चा और सहृदय दुकानदार



लेखक: श्यामसुंदर सामरिया  

एक 6 साल का बच्चा अपनी 4 साल की बहिन का हाथ पकड़ कर एक जिम्मेदार बड़े भाई की तरह सड़क के किनारे किनारे जा रहा था ! बड़प्पन का भाव उसके मासूम चहरे पर साफ टपक रहा था !कुछ दूर साथ चलने के बाद बहिन ने अपना हाथ छुड़ा लिया औरअपने छोटे कदमो के साथ भाई के साथ साथ चलने लगी ! कुछ दूर चलने के बाद भाई ने देखा की उसकी बहिन कुछ पीछे रह गई है !उसने पीछे मुद कर देखा की उसकी बहिन एक चमचमाती दुकान के सामने खड़ी है और बड़े ही बाल सुलभ और मोहक एवं ख़ुशी के अंदाज के साथ कुछ देख रही है !
 बच्चा उसके पास आया और बोल "क्या बात है तुझे कुछ चाहिए? "बच्ची ने प्रसन्नता के साथ अपनी उंगली से एक गुड़िया की तरफ इशारा किया !बच्चे ने गुड़िया की और देखा और पूछा "क्या ये गुड़िया चाहिए ?बच्ची ने मुस्कुराते हुए अपनी गर्दन हां में घुमाई ! वहां पर बैठा दुकानदार बड़े ही प्रेम से दोनों बच्चों की हरकतों को निहार रहा था ! वो एक बेहद शालीन और सह्रदय इंसान दिखाई दे रहा था! उसे उस 6 साल के बच्चे की अपने आप को बड़ा समझने की बाल मानसिकता पर बड़ा आनंद आ रहा था !बच्चा दुकानदार के पास गया और अपनी तोतली जुबान से पूछा "ये डॉल कितने की है ?दुकानदार ने मुस्कुरा कर कहा तुम कितने दे सकते हो? बच्चे ने अपनी ज शर्ट की एक जेब में हाथ डाला और उसमे से कुछ रंग बिरंगी सीपियाँ,जो उसने कुछ ही देर पहले समुन्द्र के किनारे से एकत्रित की थी , को दुकानदार के सामने मेज पर फेला दी ! फिर अपनी शर्ट की दूसरी जेब से भी सीपियाँ निकल कर रख दी ! फिर अपनी पेंट की दोनों जेबों में से भी कई छोटी बड़ी रंग बिरंगी सीपिया निकाल कर दुकानदार के सामने काउंटर पर रख दी और कहा ये लीजिए डॉल की कीमत!
 दुकानदार ने उन सीपियों को गिनना चालू किया और ऐसे दर्शाया मानो वो रुपये गिन रहा हो !गिनने के बाद दुकानदार चुप हो गया !बच्चे ने चिंतित स्वर में पूछा "क्या कम है ? दुकानदार ने मुस्कुराते हुए कहा "नहीं ये तो डॉल की कीमत से कुछ अधिक है "और उसने उन सीपियों में से कुछ सीपिया वापस बच्चे को देते हुए कहा "अब ठीक है और डॉल उस बच्चे को देदी !बच्चे के चहरे पर मुस्कान तेर गई उसने वो सीपिया वापस अपनी जेब में रख ली जैसे की एक जिम्मेदार वयस्क अपनी जेब में रुपये रखता है और ख़ुशी के साथ वो डॉल ले कर अपने छोटे छोटे हाथो से अपनी उस छोटी मासूम सी बहन के हाथ में पकड़ा दी !बच्ची ने डॉल को एक हाथ से कस कर पकड़ कर अपने सीने से उसे लगाया और दूसरे हाथ से अपने भाई का हाथ पकड़ कर मुस्कुराते हुए दुकान से बाहर निकाल गई !दुकानदार मुस्कुराते हुए उन्हें जाते हुए देखता रहा !

दुकान में काम कर रहे एक कर्मचारी ने पूछा "आप ने इतनी महंगी डॉल इन बेकार की सीपियों में उस बच्चे को दे दी ? दुकानदार ने कहा "हो सकता है ये सीपिया तुम्हारी और मेरी नज़रों में बेकार हो पर उस बच्चे की नजर में तो ये बेशकीमती है! आज वो बच्चा रुपयों और इन सीपियों में फर्क नहीं समझता पर उसे अपनी जिम्मेदारी का तो अहसास है कल वो बड़ा होगा फिर वो भी दूसरों की तरह रुपयों का महत्त्व समझने लगेगा और जब उसे याद आएगा की उसने अपनी बहिन के लिए कैसे बचपन में सीपियों से एक डॉल खरीदी थी तो क्या वो मुझे याद नहीं करेगा ?मेने बच्चे के मन की इसी सकारात्मक प्रवृति की बढ़ाने का एक छोटा सा प्रयास मात्र किया है जिसके सामने लाखों रुपयों की कीमत भी कुछ नहीं है ! जब की वो तो एक छोटी सी डॉल मात्र थी!

दोस्तों हो सके तो आप लोग भी धन दौलत दान में देने के साथ साथ लोगो में सकत्मकता को बढ़ने की भी कोशिश करे
:-- श्यामसुंदर सामरिया

Thanks,
Jyoti Kothari (Jyoti Kothari, Proprietor, Vardhaman Gems, Jaipur represents Centuries Old Tradition of Excellence in Gems and Jewelry. He is adviser, Vardhaman Infotech, a leading IT company in Jaipur. He is also ISO 9000 professional)

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Wednesday, April 13, 2016

आइये हम सब मिलकर पानी बचाएं, इसका दुरूपयोग बंद करें

 पानी बचाएं, इसका दुरूपयोग बंद करें


सभी भारतवासियों  से मेरा निवेदन है की पानी  बचाने के लिए आगे आए और अपना धर्म निभाये। देश आज पानी के भयंकर संकट  गुजर रहा हैदेश के १० राज्य सूखाग्रस्त घोषित हो चुके हैंदेश के सर्वोच्च न्यायालय एवं कई उच्च न्यायालयों ने केंद्र एवं राज्य सरकारों को सूखे का संज्ञान लेकर त्वरित कार्यवाही करने  के लिए कहा हैमुंबई उच्च न्यायालय ने IPL के १३ मैचों को सूखे के कारण महाराष्ट्र  से बाहर कराने का आदेश दिया हैलातूर लोग पीने के पानी के लिए तरस रहे हैं और सरकारों को रेल भर भर कर वहां पानी भेजना पड़   रहा है.

मारवाड़ी समाज में कहावत थी  पानी को घी से भी ज्यादा संभल  खर्च करना चाहिये पर आज इस समाज में भी खूब पानी ढोला जाता हैआज मारवाड़ी समाज भी अन्य समाजों के जैसे पानी का दुरूपयोग करने लगा है.

पानी का मूल्य तबतक समझ नहीं आता जब तक कुंआ सुख न जाये 

भारत में जल संरक्षण की प्राचीन परम्परा 


भारत में पुराने समय से ही जल-संरक्षण के लिए अनेक उपाय किये जाते रहे हैं. जैसलमेर, थार मरुस्थल का एक ऐसा स्थान है जहाँ वर्षा का सालाना औसत १० इंच भी नहीं है परन्तु  जल-संरक्षण की अद्भुत विधियों के द्वारा यह स्थान न सिर्फ अपनी सारी जरूरतों को पूरा करता था परन्तु जैसलमेर के रस्ते जानेवाले व्यापारिक काफिलों के लिए भी जल आपूर्ति करता था. पूरा राजस्थान ही इस विधि का सुन्दर प्रयोग करता था और कुआ, कुई, जोहड़, तालाव, बांध, टांके आदि के माध्यम से पानी को संचित कर रखता था. राजस्थान की बावड़ियां विश्वप्रसिद्ध है और ये बावड़ियां पानी का बड़ा भंडार हुआ करता था. साथ ही ये भूगर्भ जल के पुनर्भरण का काम भी करता था. 

पानी के महत्व को समझते हुए हमें फिर से अपनी पुरानी परम्पराओं को पुनर्जीवित करना है और जल-संरक्षण के महत्व को समझना हैहमें इस नए सामाजिक क्रांति का अग्रणी बनना हैमौसम विभाग ने इस वर्ष अच्छे मानसून की भविष्यवाणी की है यदि हम अभी से सचेत हो कर जल-संरक्षण की अपनी पुराणी विधाओं का इस्तेमाल करें तो आनेवाले कई वर्षों तक हमें पानी के लिए तरसना नहीं पड़ेगा. राज्य एवं केंद्र की सरकारें उपयुक्त कानून बना कर इस दिशा में ठोस पहल करे. 


जहाँ पर्याप्त जमीन हैइन स्थानों पर तालावकुएंटांके आदि का निर्माण करवा कर  वर्षा जल संरक्षित किया जा सकता हैइन कामों के लिए तकनीक सहज ही उपलव्ध हैसाथ ही इसमें अनेक तरह की सरकारी मदद भी मिलती है
इस साल ५ लाख नए कुएं - तालाव खुदवाने के लिए केंद्र सरकार ने इस वर्ष के बजट में  बहुत बड़ी राशि का प्रवन्ध भी किया है. हमें यह सुनिश्चित करना है की इस राशि का दुरूपयोग न हो और यह भ्रष्टाचार की भेंट न चढ़ जाए. 

तकनीक से मिटेगी पानी की समस्या 

जैन धर्मस्थान में तालाव, काठगोला, मुशिडाबाद  

विकास का पश्चिमी मॉडल भारत के लिए घातक 

आज़ादी के बाद हमने बिना सोचे समझे विकास का पश्चिमी मॉडल अपनाया विशेष कर अमरीकी मॉडल। हमने ये नहीं सोचा की अमरीका और भारत की परिस्थिति में कितना अंतर है. अमरीका के पास विपुल प्राकृतिक संसाधन है और जनसँख्या बेहद कम. जबकि भारत में दुनिया की १८ प्रतिशत जनसँख्या निवास करती है और पानी विश्व का मात्र ४ प्रतिशत है. ऐसी स्थिति में अमरीका की नक़ल कर ज्यादा पानी खर्च करना कहाँ की बुद्धिमत्ता है?


पानी (जल) का दुरूपयोग व अपव्यय 


भारत में वर्षा जल का ६५ प्रतिशत बह कर समुद्र में चला जाता है यदि इसमें से १० प्रतिशत का भी संरक्षण कर लिया जाए तो देश में पानी की कमी नहीं रहेगी. इसके लिए नदी, तलाव, बावड़ी आदि के जलग्रहण क्षेत्रों को अतिक्रमण मुक्त एवं स्वच्छ बनाना होगा और निजी एवं सामाजिक स्तर पर भूजल संरक्षण, एवं वर्षा जल संरक्षण की आदत विकसित करनी होगी. 

आज हम न सिर्फ पानी का दुरूपयोग  कर रहे हैं बल्कि नदी, तालाव आदि को प्रदूषित करने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे. और नदी साफ़ करने का सारा ठेका सरकार पर ही छोड़ दे रहे हैं. ध्यान में रखना पड़ेगा की बिना व्यक्ति और समाज की सोच बदले केवल सरकार के भरोसे ये काम कभी नहीं हो सकता। विद्यालयों-महाविद्यालयों में भी लगातार छात्र-छात्रों को इस विषय में जागृत करने की आवश्यकता है और शैक्षणिक प्रतिष्ठानों के कर्णधार एवं शिक्षक गण इसे अपना कर्त्तव्य समझ कर विद्यार्थियों को जल-संरक्षण के लिए प्रेरित करें.

तालाव, जैन दादाबाड़ी, कोलकाता 

कृषि चक्र में बदलाव व इजराइली तकनीक 


हमने अपनी कृषि में फसल चक्र अपनाते समय भी पानी की उपलव्धता पर ध्यान नहीं दिया। तभी तो लातूर जैसे स्थान में गन्ने की खेती की जिसमे बहुत ज्यादा पानी की खपत होती है और उसका नतीजा सामने है जब लातूर बून्द बून्द का प्यासा हो गयापानी बचाने के मामले में हम इजराइल से बहुत कुछ सिख सकते हैं. बून्द बून्द सिंचाई से लेकर अनेक प्रकार की तकनीक अपना कर इस देश ने अपने अत्यन्त सीमित जल संसाधन से देश का अद्भुत विकास किया है.


प्रकृति प्रेमी भारत में पानी (जल) का दुरूपयोग क्यों? 


भारत प्राचीन काल से ही प्रकृति प्रेमी ही नहीं अपितु प्रकृति पूजक रहा है जहाँ जल को वरुण देवता माना गया है और जिसे देवता माना उसका दुरूपयोग कैसे हो सकता है? जैन धर्म ही एकमात्र ऐसा धर्म है जिसमे पानी में जीव एवं पानी बहांने में जीव-हिंसा का पाप माना गया है और इसीलिए जैन लोग धार्मिक कारण से (परम्परागत रूप से) पानी का कम इस्तेमाल करते रहे हैंपरन्तु ऐसा देखने में रहा है की आज के जैन लोग भी पानी बचाने में उतने तत्पर नहीं रहे

मैं धर्म गुरुओं से भी निवेदन करता हूँ की वे इस विषय में लोगों को जाग्रत करें. पानी के सदुपयोग की सलाह दें एवं इसके दुरूपयोग को पाप बता कर लोगों को ऐसा करने से रोकें. धार्मिक-सामाजिक संगठन भी इस दिशा में लोगों को प्रेरित कर सकते हैं साथ ही अपने खर्च में से कुछ अंश इस मद में भी खर्च करें. 

आइये हम सब मिलकर पानी बचाएं, इसका दुरूपयोग बंद करें एवं प्रकृति से प्राप्त इस अमूल्य धन को सहेजने का प्रयत्न करें। 



गोवंश गौरव भारत भाग ३: गायों की दुर्दशा क्यों और इसके लिए जिम्मेदार कौन



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Jyoti Kothari (Proprietor, Vardhaman Gems, Jaipur represents Centuries-Old Tradition of Excellence in Gems and Jewelry. He is adviser, Vardhaman Infotech, a leading IT company in Jaipur. He is also ISO 9000 professional)

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